इमोशनल पेन क्या है? एक्सपर्ट से जानिए इससे निपटने के 8 तरीके!

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इमोशनल पेन क्या है? एक्सपर्ट से जानिए इससे निपटने के 8 तरीके!

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हम सभी कभी न कभी अपनी जिंदगी में एक गहरे दुख की भावना से होकर गुजरते हैं। पर हम अक्सर इस दुख या अनजानी भावना से निपटने के बारे में बिलकुल भी नहीं सोचते हैं। अक्सर हम अपनी शारीरिक पीड़ा पर तो ध्यान दे देते हैं, हालांकि इमोशनल पेन यानी भावनात्मक दर्द के बारे में बिल्कुल भी बात नहीं करते हैं। आपको बता दें की भावनात्मक पीड़ा एक ऐसा दर्द है जिसको देखा नहीं जा सकता है, पर उसको हर पल महसूस किया जा सकता है दरअसल यह दर्द तब होता है, जब हमें कोई गहरा नुकसान हुआ होता है, जैसे कि ब्रेकअप होना, किसी कार्य में असफलता मिलना या फिर किसी अपने को खोना।

इस तरह की घटनाओं से मन पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है, जिसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य काफी ज्यादा प्रभावित होता है। पर आज के दौर में इमोशनल पेन से निपटा जा सकता है, यह एक बहुत ही अच्छी बात है। इस लेख के माध्यम से डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं कि आखिर इमोशनल पेन क्या होता है और इससे निपटने के तरीके क्या हैं?

इमोशनल पेन क्या होता है?

दरअसल इमोशनल पेन एक गहरी और नेगेटिव भावना होती है, जो शारीरिक दर्द से बहुत अलग होती है। आमतौर पर यह आप के पैर या सिर में चोट लगी जैसा नहीं होता है, बल्कि इमोशनल पेन का मतलब होता है, भावनात्मक दर्द, यानी कि जब इंसान को अंदर से दुख, तकलीफ या फिर पीड़ा महसूस होती है। यह दर्द अंदर ही अंदर आपको परेशान करता रहता है। बता दें कि यह दर्द आपको शरीर में नहीं बल्कि मन और दिल में महसूस होता है। इस तरह की पीड़ा आपको तब महसूस होती है जब आपकी जिंदगी में कोई अप्रत्याशित घटना होती है, जैसे आपको किसी से धोखा मिला हो, आपका किसी से बहुत लगाव हो और वो दूर हो जाए, आपने किसी चीज का नुक्सान झेला हो, किसी अपने का निधन हो गया हो या फिर आपको बहुत ही ज्यादा अकेलापन महसूस होता हो। इस तरह की स्थिति में आप उदासी, निराशा, गुस्सा, या अकेलापन महसूस कर सकते हैं। हालांकि सभी लोगों का इस दर्द से बाहर निकलने का तरीका अलग अलग हो सकता है। आपको बता दें कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए आपको इस पीड़ा से बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है।

भावनात्मक दर्द क्यों होता है

आमतौर पर जैसे आप कभी बीमार होते हैं, या फिर आप कभी चोट का शिकार हो जाते हैं, तो उस वक्त आपको शारीरिक रूप से दर्द महसूस होता है। इसी प्रकार हम सभी के अंदर कभी-न-कभी उदासी, तनाव और गुस्से की भावना आती है और फिर हर व्यक्ति इस दौरान भावनात्मक पीड़ा को महसूस करता है। आपको बता दें की हमको भावनात्मक दर्द इसलिए भी होता है, क्योंकि हमारा मन और दिल रिश्तों, उम्मीदों, यादों, या अनुभवों से एक घेहरे रूप से जुड़ होते हैं। दरअसल जब ये चीज़ें टूटती हैं या हमारी उम्मीदें पूरी नहीं होतीं, तो हमको अंदर से एक गहरा दर्द महसूस होता है। आपको बता दें कि कभी-कभी भावनात्मक दर्द हमें अंदर-ही-अंदर से काफी ज्यादा परेशान करता रहता है और हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत ही प्रभावित करता है। हालांकि यह एक प्राकृतिक मानसिक प्रक्रिया है, जैसे हमारे शरीर को चोट लगने पर शारीरिक दर्द महसूस होता है, वैसे ही हमारे दिल को चोट लगने पर भावनात्मक दर्द महसूस होता है। आमतौर पर लोग कई कारणों की वजह से भावनात्मक पीड़ा को महसूस कर सकते हैं, जैसे रिश्तों में चुनौतियां, अपने दुख के साथ डील न कर पाना और इसके साथ ही अपनी या फिर अपनों की बीमारियां आदि।

इमोशनल पेन के लक्षण

  1. व्यक्ति का समाज से दूरी बना लेना और ज्यादातर अकेले रहना।
  2. अक्सर उदास रहना। 
  3. कुछ भी काम करने का मन न होना।
  4. बहुत ज्यादा सोना या फिर नींद न आना। 
  5. गुस्सा या चिड़चिड़ापन महसूस होना। 
  6. ज्यादातर अकेलेपन को महसूस करना। 
  7. बहुत ज्यादा या फिर बहुत कम भूख का लगना। 
  8. आत्मविश्वास की कमी होना। 
  9. खुद को नुकसान पहुँचाने वाला व्यवहार होना। 
  10. तोड़फोड़ करने वाला स्वभाव होना। 
  11. व्यक्ति का मानसिक रूप से थक जाना।
  12. ज्यादातर मन में नकारात्मक विचार का आना।
  13. भूख और वजन में बदलाव होना। 

इमोशनल पेन से होने वाली शारीरिक समस्याएं

दरअसल इमोशनल पेन सिर्फ हमारे मन को ही नहीं प्रभावित करता, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी अपना प्रभाव डालता है। जब हम भीतर से दुखी होते हैं, तो हमारा शरीर भी इस चीज को महसूस करता है और इसकी वजह से ही हमको कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं, जैसे 

  1. पाचन संबंधी समस्याओं का होना। 
  2. नींद का न आना। 
  3. मांसपेशियों में दर्द या तनाव महसूस होना। 
  4. दिल संबंधी परेशानियों का होना। 
  5. त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ना। 
  6. सिरदर्द होना। 
  7. भूख की कमी होना या फिर ज़रूरत से ज़्यादा भूख लगना। 
  8. शरीर में थकान और कमजोरी महसूस होना। 
  9. इम्यून सिस्टम का कमजोर होना। 
  10. अधिक चक्कर आना या फिर सिर हल्का लगना। 
  11. चेहरे पर झुर्रियां या उम्र से पहले बुढ़ापा आ जाना। 

इमोशनल पेन से निपटने के 8 तरीके

दरअसल इमोशनल पेन से निपटने के कई तरीके हो सकते हैं, जिनको अपने दैनिक जीवन में अपनाकर आप आसानी से अपने दर्द से उभर सकते हैं।

  1. अपनी भावनाओं को समझें

दरअसल अपने इमोशनल पेन से निपटने का पहला कदम ही यही है कि, आप अपने भावनात्मक दर्द को समझें और उसको स्वीकार करें। आप अपने दुख को या फिर अपने गुस्से को अंदर ही अंदर दबाने की कोशिश न करें, हालांकि इस तरह की भावनाओं को अपने परिवार के किसी सदस्य या फिर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। 

  1. अपने मन की बात को शेयर करें

आप अपने मन की बात को किसी भरोसेमंद दोस्त, अपने परिवार के सदस्य या फिर किसी प्रोफेशनल से शेयर करें। दरअसल अपनी बात को कह देना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि मन की बात कह देने से मन में किसी भी प्रकार का बोझ नहीं रह जाता है, इससे मन हल्का होता है। जब आप बात को शेयर करते हैं, तो इससे आप जिस स्थिति से जूझ रहे होते हैं, आपको उसके बारे में भी पता चल पाता है। 

  1. डेली रूटीन बनाए रखें

आप एक सही दिनचर्या को बनाएं और साथ ही उसका पालन करें। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आप भावनात्मक उथल-पुथल के चलते किसी एक काम पर  टिक नहीं पाते हो। इसलिए यह बहुत जरूरी है की आप अपने लक्ष्य को पहचानें और उस पर निरंतर काम करें। जिस से अपना जीवन अर्थपूर्ण लगे। 

  1. व्यायाम या कसरत करें

रोजाना कसरत करना हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत ही ज्यादा अच्छा होता है। जब आप रोज़ कोई फिजिकल एक्टिविटी जैसे थोड़ी देर टहलना, हल्का व्यायाम करना, दौड़ना और जब साइकिलिंग करते हैं, तो इस दौरान आपका दिमाग एंडोर्फिन और सेरोटोनिन जैसे ‘खुशी हार्मोन’ को छोड़ता है। आमतौर पर यह तनाव और चिंता कम करने में मदद करते हैं और आपके मूड को बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा जब आपका मन अशांत हो तो आप धीरे-धीरे गहरी सांस लें। ऐसा करने से आपका दिमाग शांत होता है और सोचने की शक्ति बढ़ती है। 

  1. रचनात्मक कार्य करें और जर्नलिंग करें 

दरअसल भावनात्मक दर्द से निपटने के लिए रचनात्मकता मतलब क्रिएटिविटी एक बेहतरीन थेरेपी है, जैसे लिखना, पेंटिंग करना, संगीत आदि। आपको जो चीज़ें पसंद हैं उनको करें, जैसे म्यूजिक सुनना, किताब पढ़ना या कोई हॉबी को अपनाना यह आपके मन को अच्छा महसूस करवा सकता है। इसके साथ ही आप रोजाना 5 से 10 मिनट के लिए जर्नलिंग करें मतलब एक डायरी लिखें। क्योंकि एक व्यक्ति के लिए लिखना बहुत जरूरी होता है। लिखकर अपनी भावनाओं को बाहर निकालें, जैसे जो भी आप महसूस कर रहे हैं, उसको एक डायरी में लिखें और आपके मन में जो भी कुछ चल रहा है, उन बातों को तब तक लिखें, जब तक कि वो बातें बाहर निकल न जाएं। इससे आपके दिल का बोझ कम होता है और मन हल्का होता है। 

  1. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं

दरअसल अच्छी नींद और संतुलित भोजन इमोशनल पेन से निपटने का एक कमाल का तरीका है। यह शरीर और मन दोनों को मजबूत बनाता है। हालांकि जब आप एक अच्छी नींद लेंगे और साथ ही आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे तो इस से आपको अपने नेगेटिव विचारों से लड़ने के लिए ऊर्जा मिलेगी। 

  1. मेडिटेशन करें

हर रोज आप 10 से 15 मिनट तक के लिए ध्यान करें। मेडिटेशन आपको नकारात्मक सोच से दूर रखने में आपकी मदद करता है और आपको वर्तमान में रखता है। मेडिटेशन आपके मन की बेचैनी कम करता है। मेडिटेशन करते समय सकारात्मक बातें सोचें और बोलें। 

  1. प्रोफेशनल की मदद लें

अगर आप किसी वजह से अपने दर्द को सह नहीं पा रहे हैं या फिर किसी को बता नहीं पा रहे हैं। तो आपके लिए यह बहुत ही ज्यादा जरूरी है कि किसी काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें। 

निष्कर्ष :

सभी लोग कभी न कभी अपनी जिंदगी में एक गहरे दुख की भावना से होकर गुजरते हैं। इमोशनल पेन दिखाई देने वाला कोई घाव नहीं है, बल्कि यह एक गहरी और नेगेटिव भावना होती है, जो शारीरिक दर्द से बहुत अलग होती है। इमोशनल पेन व्यक्ति को भीतर ही भीतर बहुत परेशान करता है। यह तब होता है, जब व्यक्ति को किसी चीज का नुक्सान झेलना पड़ता है, किसी से लगाव हो और वो दूर हो जाए और जब किसी अपने का निधन हो जाता है आदि। इसलिए जरूरी है कि अपने दर्द को समझें और उसको स्वीकार करें। इस दर्द से निपटने के लिए ऊपर बताये सुझावों को अपनी जिंदगी में अपनाएं। अगर दर्द ज्यादा गहरा हो तो किसी काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें। अपने दर्द को अकेले सहन न करें, किसी की मदद लेने में बिल्कुल भी संकोच न करें। अगर आप भी इमोशनल पेन जैसी किसी स्थिति के शिकार हैं, आप इस से उबर नहीं पा रहे हैं और आप डॉक्टर की सलाह लेना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी और मदद ले सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1. अपने भावनात्मक दर्द को कैसे कम करें?

आप अपने भावनात्मक दर्द को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन या जर्नलिंग (डायरी) कर सकते हैं। 

प्रश्न 2. भावनाएं दर्दनाक क्यों होती हैं?

आपके शरीर को जब किसी भी प्रकार की चोट लगती है, तो आपको काफी दर्द होता है, पर वह दर्द दिखाई देता है। इसी प्रकार जब आपको किसी बात का दुख या तनाव होता है, तो उस दौरान आप भावनात्मक दर्द महसूस करते हैं। क्योंकि हमारा मन और शरीर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

प्रश्न 3. भावनात्मक विचार को कैसे काबू करें?

दरअसल अपनी सांसों पर ध्यान देकर अपनी भावनाओं को कंट्रोल किया जा सकता है।