क्या आपके भी घर में किसी को पड़ते है मिर्गी के दौरे ? आजमाएं ये 6 उपाय, जिससे मरीज़ को मिले तुरंत राहत

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क्या आपके भी घर में किसी को पड़ते है मिर्गी के दौरे ? आजमाएं ये 6 उपाय, जिससे मरीज़ को मिले तुरंत राहत

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आज के दौर में ऐसे कोई बीमारी या फिर रोग नहीं है, जो बच्चे से बुजर्ग तक के लोगों को प्रभावित न कर रहा हो | ऐसा इस लिए होता है क्योंकि बाल अवस्था और बुजुर्ग लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमज़ोर होते है, जिसकी वजह से उनमें कई बीमारी के गंभीर होना का खतरा बना रहता है | उन्ही में से एक बीमारी है मिर्गी के दौरे पड़ना | मिर्गी एक ऐसा रोग है, जो बच्चों और बुजुर्ग लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है | 

 

आपको बता दें, मिर्गी की बीमारी पीड़ित व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है | अमतौर पर इससे पीड़ित व्यक्ति को दौरे पड़ते है जो कभी हलके और कभी गंभीर भी हो सकते है | भारत जैसे देश में भी न जाने कितने ऐसे लोग मौजूद है, जो मिर्गी की बीमारी से जूझ रहे है और जानकारी कम होने की वजह से अपना सटीकता से इलाज भी नहीं कर पाते है | लेकिन घबराएं नहीं, कुछ ऐसे उपाय है, जिसकी मदद से आप मिर्गी के दौरे से पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के कोशिश कर सकता है | आइये जानते है ऐसे ही 6 उपाय के बारे में :- 

  1. मिर्गी की गंभीरता को समझें और उपचार करें 

 

मिर्गी की बीमारी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जो आवृत्तियों में बाधा आने पर उत्पन्न होते है | यदि मिर्गी की बीमारी का सही समय पर इलाज न करवाया गया है, तो यह मानसिक से जुड़ी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है | लेकिन  मिर्गी के बीमारी से जुडी कुछ थेरेपी और उपचार की प्रक्रिया उपलब्ध है, जिसकी मदद से आप मिर्गी से पड़ने वाले प्रभाव को कम कर  सकते है | हालाँकि इस इलाज की प्रक्रिया पूरी तरह से मिर्गी की स्थिति पर निर्भर करती है | 

 

  1. बायोफीडबैक 

 

यह एक ऐसा प्रशिक्षण होता है, जिसके ज़रिये मिर्गी के दौरे पड़ने के लक्षणों का पता लगया जाता है | यह प्रशिक्षण आम तौर पर उन लोगों पर किया जाता है, जिन पर एंटमिरडिप्टिक ड्रग्स काम करना बंद कर देता है | इसलिए इस प्रशिक्षण की मदद से आप मिर्गी के पड़ने वाले दौरे के लक्षणों का आसानी से पता कर सकते है | 

 

  1. तनाव देता है मिर्गी को बढ़ावा

 

डिप्रेशन और तनाव जैसी मानसिक समस्या मिर्गी को बढ़ावा देने का कार्य करते है | ऐसे में मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को इस बात की कोशिश करनी चाहिए की वह कम से कम तनाव लें | इसके अलावा खुद को रिलैक्स रखें, आराम करें और ऐसे काम करें, जिससे उसे ख़ुशी मिलती हो, क्योंकि ऐसा करने से आप मिर्गी के पड़ने वाले दौरे के अवसर को कम करने की कोशिश कर सकते है | 

 

  1. विटामिन बी 6 का सेवन करें  

 

यदि आपके शरीर में विटामिन बी 6 की कमी हो गयी है तो उससे भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते है | इसलिए विटामिन बी 6 से भरपूर आहार को अपने डेली डाइट में शामिल करें | ऐसा करने से आप मिर्गी के दौरे पड़ने के अवसर को कम कर सकते है | 

 

  1. प्राकृतिक हर्बल का करें उपयोग

 

मिर्गी के दौरे को कम करने के लिए प्राकृतिक हर्बल का उपयोग कर सकते है, यह मिर्गी की बीमारी से राहत पाने का सबसे अलग तरीका है | इस उपचार में कैमोमाइल, पैशन फ्लावर और वैलेरियन हर्ब्स का उपयोग किया जाता है | जो मिर्गी जैसे बीमारी के प्रभावों को कम करने में सक्षम होता है | हालांकि इस उपचार से कई लोगों पर दुष्प्रभाव पड़ने के भी मामले सामने आये है | इसलिए विशेषज्ञ की सलाह के बिना किसी भी तरह के हर्ब्स और उपचार का प्रयोग न करें | 

 

  1. डॉक्टर के पास जाएं

 

यदि आपको बार-बार मिर्गी के दौरे पड़ रहे है, तो बेहतर यही है की आप किसी विशेषज्ञ के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं | मिर्गी एक गंभीर समस्या है, जिसकी स्थिति गंभीर होने पर पीड़ित व्यक्ति की जान भी जा सकती है | इसलिए समय रहते मिर्गी की बीमारी का इलाज करवाने में समझदारी है | 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति या फिर आपका कोई भी परिजन मिर्गी की समस्या से पीड़ित है और सटीकता से इलाज करवाना चाहते है तो इसमें न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 15 वर्षों से पीड़त मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |  

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एक सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट से मिले इलाज के बाद माता-पिता ने दी अपनी यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी

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न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह दिखाया गया की कैसे इलाज के बाद मिले परिणाम से मरीज़ के माता-पिता बेहद खुश है और इलाज करने के लिए वह न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमित मित्तल का शुक्रगुज़ार कर रहे है | 

इस वीडियो में उन माता-पिता ने अपने बच्चे को हुए परेशानी के बारे में बताते हुए यह कहा कि कुछ समय पहले एक दुर्घटना होने के कारण उनके बच्चे के दिमाग में फ्रैक्चर आ गया था, जिसकी  वजह से उनके बच्चे के पूरे सिर में सूजन आ गयी थी | हालांकि उन्होंने समय रहते अपने बच्चे इलाज तो करवा लिया था, लेकिन इलाज के बाद कुछ समय बाद उनके बच्चे को दौरे की समस्या होने लग गयी थी, जो अब हर दिन उनके बच्चे को काफी प्रभावित कर रही थी | अनेकों जगह इलाज और परीक्षण करवाने के बाद उन्हें कहीं से न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर के बारे पता चला और समय को व्यर्थ न करते हुए वह अपने बच्चे को लेकर इस संस्थान में इलाज के लिए पहुंच गए | 

 

इस संस्थान में उनकी मुलाकात डॉक्टर अमित मित्तल से हुई जो की न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जिन्होंने उनके बच्चे की स्थिति की पूरी जाँच पड़ताल कर उन्हें दुराप्लास्टी सर्जरी करवाने की सलाह दी | हलाकि सर्जरी सुन कर पहले तो वह काफी डर गए थे लेकिन डॉक्टर अमित मित्तल ने उन माता-पिता को यह अस्वाशन दिया की सर्जरी के बाद उनका बच्चा संपूर्ण से ठीक हो सकता है | इसलिए उन्होंने डॉक्टर पर भरोसा कर सर्जरी करवाने का निर्णय लिया | उनके बच्चे की सर्जरी सफलतापूर्वक से हुई और उनके बच्चे को इस सर्जरी से किसी भी तरह के दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ा | आज उनका बच्चा बिलकुल ठीक है और सर्जरी से मिले परिणाम से वह दोनों माता-पिता बेहद खुश है | उनकी सलाह यही है की यदि कोई भी व्यक्ति दिमाग या फिर रीढ़ की हड्डी से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से गुज़र रहा है तो वह अपने इलाज न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर के डॉक्टर अमित मित्तल से ही करवाए |

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How To Improve Brain Health With Diet ?

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Enough consuming healthy food improves brain and eye functions. The best Dietitian in Ludhiana can guide you in adopting a healthy lifestyle through a balanced diet. Dietitians monitor your nutrient and protein computation according to your body’s health. They plan everything from your breakfast food to your last food before bed. 

Diets for your brain health

Healthy food with proper vitamins and minerals helps to improve body function, such as the brain and eye, because food gives you the energy to run your brain function. 

Healthy diet to improve your brain health 

If you balance your diet, it helps to improve your body function, such as brain and heart problems. Taking a healthy diet helps to reduce neurology disease. Because neurology and diet are linked, choose the right food to increase your brain health.

Some elements help to improve your brain health. 

Fatty acids 

Omega-3 fatty acids are the best source to improve brain health and eye function. And also, other food has fatty acids, such as flaxseeds, eggs, and avocado. You can take that food. It also helps to improve your body’s health.

Carbohydrates 

You can get carbohydrates through food such as whole grain bread and ragi, but it is a complex carbohydrate. Carbohydrates supply energy to your body through glucose. And some food releases energy slowly or helps to maintain and stabilize your brain function.  

Vitamin and minerals 

Healthy food with proper minerals and vitamins to help reduce the risk of heart disease. If you do not take appropriate vitamins in your food, you suffer various health issues such as muscle weakness and psychological problems. They directly affect your brain function. 

Mediterranean diet

The Mediterranean diet is the best option for good mental health. Taking this diet reduces the risk of stroke and heart health. The Mediterranean diet is preparing traditional food from countries to the Mediterranean Sea. Which include fruits and vegetables, nuts, seafood, whole grain, etc. if you eat whole grain vegetables and fruits daily, it helps to increase your brain function. Such as improving your memory, being entirely focused, and also reduce the psychological problem 

Healthy food 

  •  onions, tomatoes, broccoli, potatoes, cucumber, etc., those vegetables have proper nutrients and protein. 
  • apples, bananas, oranges, melons, etc. take some fruit
  • Eat dairy milk products 
  • Garlic, basil, mint, and rosemary add to your food 
  •  nonvegetarian fish, meat, egg, etc.

Unhealthy food 

  • Avoid sugary drinks and dessert 
  • Avoid eating processed meat 
  • Do not take refined grain 
  • Less trans-fat food 

Mind diet 

It combines a Mediterranean diet and a dietary approach to stop hypertension. It helps to improve brain function and health. High blood pressure is the cause of dementia. Mind diet helps to reduce high blood pressure through food. Which include Healthy food and unhealthy food

Healthy food 

  • eat leafy vegetables like spinach, broccoli, carrots, sprouts, etc. It helps improve your brain and eye functions. 
  • You take soybeans and soy milk 
  • Regular eating whole grain food 
  • Eggs, fish 
  • Nuts
  •  Red Wine, but you can take one glass. 

Unhealthy food  

  • Avoid cheese on a regular basis. You can take one time per week 
  • Do not take sugary food and drink 
  • Less consumption fired food 
  • You can eat red meat, but three times per week 

When you take proper food which has nutrients, minerals, and vitamins, then it helps to grow your body and also improves your brain health. 

Nutrients have an essential role in food. It helps to boost your brain and body. How do you know you get a proper nutrient in daily life? You can consult the Best Nutritionist In Ludhiana who can guide you on which food has the right nutrients. 

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यह 5 फ़ूड करते है दिमाग की नसों को कमज़ोर, जाने एक्सपर्ट्स से दिमाग को कैसे रखे हेअल्थी

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हमारा दिमाग शरीर के बाकी अंगों में से एक जटिल अंग होता है, जो शरीर के हर अंग के कार्य को नियंत्रित करता है | दिमाग के स्वास्थ्य का हमेशा ख्याल रखना चाहिए इसके लिए सही खानपान बेहद ज़रूरी होता है | लेकिन कुछ खाद पदार्थ ऐसे भी होते है जिसके सेवन से दिमाग की नसों को कमज़ोर हो जाती है | आइये जानते है 5 ऐसे ही फूस के बारे में :- 

 

  1. प्रक्रिया भोजन :- प्रक्रिया भोजन यानी प्रोसेस्ड फ़ूड में उच्च स्तर में सोडियम, चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा का प्रयोग किया जाता है, जिसके सेवन से दिमाग की नसों को काफी नुस्कान पहुँचता है और याददाश्त तक कमज़ोर हो जाती है | 

 

  1. ट्रांस फैट भोजन :- यह भोजन आमतौर पर प्रोसेस्ड फ़ूड में पाया जाता है |  जिसके सेवन से दिमाग की नसों में सूजन आ जाती है और डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ जाता है | 

 

  1. चीनी का अधिक सेवन करना :- चीनी के अत्यधिक सेवन से दिमाग को अधिक सक्रिय कर देती है | क्योंकि ग्लूकोस दिमाग के लिए ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत होता है, लेकिन इसमें पायी जाने वाली चीनी पदार्थ दिमाग को ओवरड्राइव मोड में डाल सकती है | 

 

  1. शराब का अधिक सेवन करना :- शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करने से दिमाग की नसों पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालते है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक होने और मनोभ्रंश विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है | 

 

  1. कैफीन का अधिक सेवन करना :- कैफीन में उत्तेजित जैसे पदार्थ पाए जाते है, जिसके अधिक सेवन से दिमाग में चिंता और अवसादों के लक्षण को ख़राब कर देते है और रक्तस्राव का स्तर भी बढ़ जाता है | 

 

इन खाद पदार्थ के अलावा अन्य कारक ऐसे भी होते है, जो दिमाग की नसों को कमज़ोर कर देते है, जैसे की धूम्रपान करना, तनाव में रहना और प्रदुषण | इसलिए यह ज़रूरी है की आप इन खाद पदार्थो का सेवन कम करे और बेहतर जीवनशैली के लिए अच्छे खानपान को अपनाये | इससे जुडी कोई भी जानकारी या अपने विचारों का विमर्श करना चाहते है तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमिता मित्तल न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट्स है, जो आपकी समस्या को कम करने में आपकी सहायता करेंगे |

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Successful Excision Brain hamarage

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A brain hemorrhage refers to bleeding in the brain. Doctors may also mention it as a brain bleed or an intracranial hemorrhage. A brain hemorrhage is a medical emergency that requires immediate treatment. In the Neuro Life Brain and Spine Hospital, we have the most advanced technology and an experienced team of doctors who have provided many successful excisions for hammering . 

 

In this video, a patient came with his son and wife for brain hammering treatment, and he visited the Neuro Life Brain and Spine Hospital with Dr Amit Mittal. He showed all the brain scans to the doctor, and they found out his father had a brain disorder. So the doctor suggested the surgery. Our experienced doctors assured confidence in the patient during the surgical procedure. The surgical team used the most advanced techniques and technology. After the operation was successfully done, the patient was kept under close monitoring for the next few days. After this, the patient was relieved from the hospital. 

The patient and his son found satisfactory results from the procedure. Suppose you are also facing any severe neuro-related problems. In that case, we suggest you consult our senior and most experienced doctor, Dr Amit Mittal, from Neuro Life Brain and Spine Hospital.

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ब्रेन टीबी के क्या है लक्षण और इलाज के तरीके ?

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डॉक्टरों का कहना है की ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो ज्यादातर फेफड़ों को प्रभावित करता है। अगर इस जानलेवा बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह मौत का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा ब्रेन टीबी की समस्या क्यों होती है, इसके लक्षण क्या है और इससे हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है इस बात पर खास ध्यान रखें ;

क्या है ब्रेन टीबी ?

  • दरअसल टीबी की बात करें तो ये सिर्फ फेफड़े में ही नहीं दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है। आपको बता दें कि टीबी के बैक्टीरिया धीरे-धीरे ब्रेन में प्रवेश करते है और एक गांठ का निर्माण करते है। 
  • यही गांठ बाद में टीबी का रूप ले लेती है, जिससे मस्तिष्क की झिल्लियों में सूजन या गांठ विकसित होने लगती है। और इस गांठ को मेनिन्जाइटिस ट्यूबरकुलोसिस, मेनिन्जाइटिस या ब्रेन टीबी के नाम से जाना जाता है।
  • अगर आप भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट के संपर्क में आना चाहिए।

ब्रेन टीबी के लक्षण क्या है ?

  • इसके लक्षण शुरुआती दौर में तो सामान्य होते है, लेकिन जैसे-जैसे आपके द्वारा लापरवाही की जाती है वैसे ही इसके लक्षणा गंभीर हो जाते है। वहीं इसके सामान्य लक्षण में थकान और अस्वस्थता नज़र आती है। 
  • और इसके गंभीर लक्षण होने पर आपको गर्दन में अकड़न, सिरदर्द और हल्की संवेदनशीलता का महसूस होना। इसके अलावा, आप निम्न लक्षणों का अनुभव भी कर सकते है, जैसे :
  • बुखार की समस्या। 
  • उलझन महसूस होना। 
  • मतली और उल्टी की समस्या का सामना करना। 
  • सुस्ती का आना। 
  • चिड़चिड़ेपन की समस्या का सामना करना। 
  • बेहोशी की हालत में होना आदि।

अगर इसके लक्षण ज्यादा गंभीर नज़र आ रहें है और आपके दिमाग पर इसका गहरा असर पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

क्यों होती है ब्रेन टीबी की समस्या ?

  • वैसे देखा जाए तो दिमाग के टीबी की समस्या एक-दूसरे से नहीं फैलती लेकिन, जब फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है तो उसके मुंह से निकली बूंदें दूसरे व्यक्ति के अंदर आसानी से प्रवेश कर जाते है। 
  • वहीं ये बूंदें यदि दिमाग में प्रवेश कर जाती है, तो व्यक्ति के दिमाग में टीबी या ब्रेन टीबी होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।

सुझाव :

ब्रेन में टीबी का होना काफी खतरनाक माना जाता है, क्युकी इससे आपके जान जाने का भी भय हो सकता है, इसलिए जरूरी है की इसके लक्षण ज्यादा गंभीर होने से पहले आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर के सम्पर्क में आना चाहिए।

ब्रेन टीबी का पता किन टेस्टों के माध्यम से लगाया जा सकता है ?

  • मेनिन्जेस की बायोप्सी को करवाकर आप इस बीमारी का पता लगा सकते है।
  • ब्लड कल्चर से भी। 
  • छाती का एक्स-रे करवा कर भी। 
  • सिर का सीटी स्कैन करवाना। 
  • ट्यूबरक्लोसिस के लिए त्वचा का टेस्ट करवाना आदि।

इलाज क्या है ब्रेन टीबी का ?

  • ब्रेन टीबी के इलाज में डॉक्टर पहले कुछ दवाओं के माध्यम से मरीज का इलाज करना शुरू करते है। यदि दवाओं से आराम नहीं मिलता है तब डॉक्टर थेरेपी कराने का सुझाव देते है।
  • ब्रेन ट्यूबरकुलोसिस या ब्रेन टीबी को डॉक्टर दो मुख्य प्रकार से सर्जरी कराने की सलाह देते है, ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस और ब्रेन ट्यूबरकुलोमा से जुड़े हाइड्रोसिफ़लस है। ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस अक्सर चिकित्सा उपचार के प्रति प्रतिक्रिया करता है, लेकिन चिकित्सा उपचार में असफल होने वालों के लिए तुरंत सर्जरी की आवश्यकता होती है। 
  • वेंट्रिकुलोपेरिटोनियल (वीपी) शंट और एंडोस्कोपिक थर्ड वेंट्रिकुलोस्टॉमी (ईटीवी) दोनों सर्जरी का सुझाव डॉक्टर द्वारा दिया जा सकता है।
  • हालांकि बाद वाला क्रोनिक हाइड्रोसिफ़लस के रोगियों में तीव्र मेनिन्जाइटिस की तुलना में अधिक बार सफल होता है। अन्य रोगियों की तुलना में टीबीएमएच के रोगियों में वीपी शंट के बाद जटिलताओं का खतरा अधिक हो सकता है। 
  • इसके अलावा डॉक्टर मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के बाद ही सर्जरी का निर्णय लेते है।

निष्कर्ष :

मस्तिष्क जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, व्यक्ति के शरीर में इसलिए जरूरी है की इसका सही से कार्य करना बहुत जरूरी है और ये सही से कार्य तभी कर सकता है, जब आपके द्वारा इसका अच्छे से ध्यान रखा जाएगा।  

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न !

मस्तिष्क सर्जरी से जुड़े जोखिम और लाभ क्या हैं?

मस्तिष्क में सर्जरी के बाद मरीजों को मस्तिष्क की चोट, मस्तिष्क में सूजन और स्ट्रोक के कारण होने वाली गंभीर जटिलताओं का खतरा हो सकता है। वही इसके लाभ की बात करें, तो इस सर्जरी की मदद से आपकी हर तरह की दिमागी समस्या ठीक हो सकती है।

यदि दवा से सुधार नहीं हो रहा है तो क्या स्पाइनल टीबी का सर्जरी ही एकमात्र समाधान है ?

कई बार टीबी के कारण रीढ़ की हड्‌डी में ज्यादा क्षति पहुंचने लगती है, ऐसी गंभीर स्थिति में सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज है, जिसे स्पाइनल फ्यूजन ऑपरेशन किया जाता है।

क्या एक्सडीआर टीबी के इलाज में सर्जरी अनिवार्य है ?

 इलाज दवा प्रतिरोध की सीमा, रोग की गंभीरता और क्या रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता किया गया है, इस पर निर्भर करता है। इसलिए सर्जरी का सहारा स्थिति गंभीर होने पर ही किया जाता है। 

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जानिए क्या है ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स और कैसे किया जाता है इनका उपचार?

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ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स की अगर बात करें तो दोनों ही हमारे शरीर से जुड़े हुए भाग है। वही ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स की समस्या किन कारणों से होती है और इनको हम कैसे ठीक कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो आप भी अगर इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ;

क्या है ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स ?

  • “ब्रेन डिसऑर्डर्स” की बात करें तो ये व्यक्ति को तब प्रभावित करते है जब व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है, वही जब दिमाग क्षतिग्रस्त होता है तो यह आपकी स्मृति, आपकी संवेदना और यहां तक ​​कि आपके व्यक्तित्व सहित कई अलग-अलग चीजों को प्रभावित कर सकता है। 
  • इसके अलावा “स्पाइन डिसऑर्डर्स” की अगर बात करें तो ऐसा होने पर आपको कंधे से लेकर गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है, आप गर्दन और पीठ में दर्द, जलन या चुभन सी महसूस कर सकते है। ब्लैडर या आंत में खराबी, जी मिचलाना, उल्टी और हाथ-पैरों मे दर्द की समस्या हो सकती है, पैरालाइज, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना भी स्पाइन डिसॉर्डर के अंतर्गत ही आते है।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चुनाव करें।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स के लक्षण क्या है ? 

  • “स्पाइन डिसऑर्डर्स” की बात करें तो इसमें रीढ़ की हड्डी का सुन्न होना शामिल है। 
  • कमज़ोरी की समस्या। 
  • गर्दन या पीठ में हल्के या तेज जलन वाले दर्द का अनुभव करना। 
  • उल्टी या मतली की समस्या। 
  • कंधे या पीठ का गोल होना। 
  • आंत्र या मूत्राशय की शिथिलता का सामना करना।
  • “ब्रेन डिसऑर्डर्स” की बात करें तो इसमें सिर दर्द, चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी, खासकर शरीर के एक तरफ।
  • अचानक भ्रम की स्थिति का सामना करना। 
  • बोलने में परेशानी का सामना करना। 
  • भाषण समझने में कठिनाई का सामना करना। 
  • एक या दोनों आँखों से देखने में अचानक परेशानी। 
  • चलने में अचानक परेशानी, या चक्कर का आना।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स का इलाज क्या है ?

  • स्पाइन डिसऑर्डर्स की यदि बात करें तो इस समस्या की वजह से किसी इंसान को स्पाइनल ट्यूमर हो सकता है और जब ट्यूमर की समस्या होती है तो इसके लिए व्यक्ति को सर्जरी करानी पड़ सकती है और इस सर्जरी में रेडिएशन थैरेपी या कीमोथैरेपी की जा सकती है। इसके अलावा अन्य स्पाइन डिसॉर्डर के लिए बैक ब्रेसिंग, इंजरी के लिए आइस या हीट थैरेपी, इंजेक्शन, दवाएं, पीठ या पेट की मांसपेशियों की मजबूती के लिए फिजिकल थैरेपी जैसे विकल्प मौजूद है। 
  • ब्रेन डिसऑर्डर्स की बात करें तो इसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को प्रबंधित करने और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के परामर्श और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी। अल्जाइमर और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी कुछ स्थितियों के लक्षणों में सुधार करने और स्ट्रोक की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन। 

यदि आपको अपने ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स का इलाज सर्जरी के माध्यम से करवाना है तो इसके लिए आप लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करें।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स के लिए बेस्ट हॉस्पिटल व सेंटर !

अगर आपके ब्रेन या स्पाइन के हिस्से में किसी तरह की गंभीर चोट लग गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर के अनुभवी डॉक्टरों और सर्जनों का चयन करना चाहिए ताकि आपको आपकी समस्या का हल मिल सकें।

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ਕੀ ਸਰੀਰ ਦੀ ਹੋਰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਕਰਕੇ ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦਾ ਖਤਰਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ?

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ਅੱਜ ਕਲ ਦੇ ਚਲਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਵਿਅਸਤ ਕਾਰਜਕ੍ਰਮ ਹੋਣ ਕਰਕੇ, ਜ਼ਿਆਦਾ ਕੰਮਾਂ ਦੇ ਬੋਝ ਨਾਲ ਉਹ ਆਪਣੇ ਤੇ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦੇ ਪਾ ਰਹੇ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਤਣਾਅ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਫਿਰ ਦਿਮਾਗ਼ ਤੇ ਅਸਰ ਪੋਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦਾ ਰੂਪ ਲੈ ਲੈਂਦਾ ਹੈ।ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਤਾ ਟਾਲ ਨਹੀਂ ਸਕਤੇ ਪਰ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਧਿਆਨ ਜ਼ਰੂਰ ਰੱਖ ਸਕਤੇ ਹਾਂ। ਆਓ ਜਾਣੋ ਕਿਵੇਂ। 

 ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਨੂੰ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਖੂਨ ਆਉਣਾ ਵੀ ਕੀਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਭਾਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕੇ ਤੁਹਾਡੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂ ਅਤੇ ਖੋਪੜੀ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਜਾਂ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਖੂਨ ਦਾ ਆ ਜਾਣਾ।ਇਹ ਇਕ ਜਾਨਲੇਵਾ ਸਥਿਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਤੁਰੰਤ ਇਲਾਜ ਮੰਗਦੀ ਹੈ।ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿੱਚ ਖੂਨ ਆਉਣ ਨਾਲ ਜਿਹੜੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਜਾਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉਹ ਵੀ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਫਿਰ ਸਿਰ ਦਰਦ, ਉਲਟੀਆਂ, ਝਰਨਾਹਟ ਜਾ ਚਿਹਰੇ ਦਾ ਅਧਰੰਗ ਦੇ ਆਸਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਲਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। 

 

ਦੋ ਤਰਾਂ ਦੇ ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ 

  • ਖੋਪੜੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਖੂਨ ਬਹਿਣਾ ਪਰ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਬਾਹਰ  

           ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ ਤਰਾਂ ਦੀ ਝਿੱਲੀ ਲੇਅਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੇਨਿੰਜਸ ਵੀ ਕੀਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਮੇਨਿੰਜਸ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਟਕ ਕੇ ਅਤੇ ਸ਼ੀਲਡ ਕਰਕੇ ਰੱਖਦਿਆਂ ਹਨ ਤਾ ਕੇ ਕੋਈ ਸਟ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਦਿਮਾਗ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਨਾ ਪੁਹੰਚਾ ਸਕੇ।ਇਹ ਲੇਅਰਾਂ ਖੋਪੜੀ ਦੀ ਹੱਡੀ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ।ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਹੋਣ ਦਾ ਡਰ ਇਹਨਾਂ ਲੇਅਰਾਂ ਵਿਚ ਕੀਤੇ ਵੀ ਹੋ ਸਕਤਾ ਹੈ :- ਦੁਰਾ ਮਾਤਰ, ਅਰਚਣੋਈਡ ਅਤੇ ਪੀਆ ਮਾਤਰ। 

  •   ਐਪੀਡਿਊਰਲ ਹੈਮਰੇਜ:- ਇਹ ਹੈਮਰੇਜ ਖੋਪੜੀ ਦੀ ਹੱਡੀ ਅਤੇ ਦੁਰਾ ਮਾਤਰ(ਬਾਹਰ ਲੈ ਹਿਸਾ)  ਦੀ ਝਿੱਲੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। 
  •  ਸਬਡਿਊਰਲ ਹੈਮਰੇਜ :- ਇਹ ਹੈਮਰੇਜ ਦੁਰਾ ਮਾਤਰ(ਬਾਹਰ ਲੈ ਹਿਸਾ) ਅਤੇ ਅਰਚਣੋਈਡ ਝਿੱਲੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। 
  •  ਸਭਆਰਚਨੋਈਡ ਹੈਮਰੇਜ :- ਇਹ ਹੈਮਰੇਜ ਅਰਚਣੋਈਡ ਝਿੱਲੀ ਅਤੇ ਪੀਆ ਮਾਤਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।  

 

  •    ਦਿਮਾਗ਼ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਖੂਨ ਬਹਿਣਾ

              ਇਸ ਦੇ ਵਿੱਚ ਦੋ ਤਰਾਂ ਦੇ ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਹੋਣ ਦਾ ਡਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ  ਜੋ ਅਸਲ ਬ੍ਰੇਨ  ਟਿਸ਼ੂ ਵਿੱਚ ਵਾਪਰਦਾ ਹੈ। ਇਸਨੂੰ ਦਿਮਾਗੀ ਹੈਮਰੇਜ ਜਾਂ ਹੈਮੋਰੈਜਿਕ ਸਟ੍ਰੋਕ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।  

  • ਇੰਟਰਾਸੇਰੇਬ੍ਰਲ ਹੈਮਰੇਜ:- ਖੂਨ ਜੋ ਦਿਮਾਗ ਦੇ ਸੇਰੀਬੈਲਮ ਵਿੱਚ ਵਾਪਰਦਾ ਹੈ।ਸਮੇਤ ਦਿਮਾਗੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਵੀ। 
  •  ਇੰਟਰਾਵੈਂਟ੍ਰਿਕੂਲਰ ਹੈਮਰੇਜ :- ਖੂਨ ਦਾ ਦਿਮਗੀ ਖੋਲ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਣਾ ਜਿੱਥੇ ਕੇ ਸੇਰੀਬਰੋਸਪਿਨਾਲ ਤਰਲ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।       

ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਹੋਣ ਦੇ ਚਿੰਨ ਅਤੇ ਲੱਛਣ :- ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਹੋਣ ਦੇ ਅਲਗ ਅਲਗ  ਲੱਛਣ ਦਿਸਦੇ ਨੇ ਜੋ ਦਿਮਾਗ ਦੇ ਅਲਗ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹਿਸਾ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ। 

  • ਕੁਝ ਆਮ ਜੇ ਲੱਛਣ ਜਿਵੇ ਕਮਜ਼ੋਰੀ, ਝਰਨਾਹਟ, ਸੁੰਨ ਹੋਣਾ, ਚਿਹਰੇ ਦਾ ਅਧਰੰਗ ਹੋਣਾ । ਅਕਸਰ ਇਹ ਲੱਛਣ ਬਾਹ ਜਾ ਲੱਤ ਦੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ।  
  • ਇਕ ਦਮ ਗੰਭੀਰ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਸਿਰ ਦੁੱਖਣਾ ਜਿਸ ਨੂੰ ਗਰਜ ਦਰਦ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਪੀੜ ਸਭਆਰਚਨੋਈਡ ਹੈਮਰੇਜ ਵਿੱਚ ਵਾਪਰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਬਹੁਤ ਦਰਦਨਾਕ ਅਤੇ ਅਚਾਨਕ, ਜੋ ਦਰਦ ਦਾ ਹੋਣਾ ਇੱਕ ਤੋਂ ਪੰਜ ਮਿੰਟ ਤੱਕ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।ਕਦੇ ਕਦੇ ਇਹ ਦਰਦ ਦਾ ਹੋਣਾ ਖ਼ਤਰੇ ਆਲਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਪਰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਇਹ ਗ਼ਲਤ ਸਾਬਤ ਵੀ ਹੋ ਸਕਤਾ ਹੈ।        
  •  ਮਤਲੀ ਅਤੇ ਉਲਟੀਆਂ 
  •  ਆਪਣੇ ਆਪ ਨਾਲ ਉਲਝਏ ਰਹਿਣਾ। 
  •  ਹਲਕਾ ਜਾ ਸਿਰ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਣਾ ਅਤੇ ਚੱਕਰ ਆਉਣੇ।
  •  ਦੌਰੇ 
  •  ਨਿਗਲਣਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਦਿਕਤ ਆਉਣੀ।
  •  ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਨਿੱਘਾ ਚਲੀ  ਜਾ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਣੀ, ਲਾਈਟ ਤੋਂ ਸੰਵੇਦਨਸ਼ੀਲਤਾ
  •  ਤਾਲਮੇਲ ਅਤੇ ਸੰਤੁਲਨ ਵਿੱਚ ਗੜਬੜ ਹੋਣੀ 
  •  ਗਰਦਨ ਦਾ ਕਠੋਰ ਹੋਣਾ 
  •  ਸਮਝ ਦੀਆਂ ਮੁਸ਼ਕਲਾਂ ਆਉਣੀਆਂ (ਪੜਨ, ਲਿਖਣ,ਸਮਝਣ ਵਿੱਚ)  
  •  ਸੁਸਤ ਅਤੇ ਨਿੰਦਰੇ ਰਹਿਣਾ 
  •  ਸਾਹ ਲੈਣ ਵਿੱਚ ਦਿਕਤ ਅਤੇ ਅਸਧਾਰਨ ਦਿਲ ਧੜਕਣ ਦੀ ਰਫ਼ਤਾਰ
  •  ਕੋਮਾ 

 

ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦਾ ਹੋਣਾ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪੰਜਾਹ ਸਾਲ ਤੋਂ ਘੱਟ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਜਿਸਦਾ ਖਾਸ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੇਸਸੁਰ, ਕਲੈਸਟਰੋਲ, ਮੈਗਰੈਨ, ਟਾਈਪ ਦੋ ਡਾਬੀਟੀਜ਼ ਦਾ ਰਹਿਣਾ। ਅਕਸਰ ਜੋ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੇ ਤੇ ਫਿਰ ਬਲੱਡ ਦੀਆ ਦੀਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਨੇ ਤੇ ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਵਰਗੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਪਲੇ ਪੈ ਜਾਂਦੀਆਂ । 

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अचानक होने वाले दिमागी दौरे के लक्षण, कारण, खर्चा और इलाज

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Stroke (Brain Attack) दिमागी दौरा हैं क्या ?

सीजर्स जिसे हम आम भाषा में दिमागी दौरा या फिट्स के नाम से जानते हैं. ये बीमारी किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है।

जब दिमाग में किसी तरह का इलेक्ट्रिकल डिस्टर्बेंस पैदा होने लगता है तो ये दौरे पड़ते हैं. फिट्स या सीजर्स के दौरान व्यक्ति का व्यवहार, सोचने और समझने की क्षमता काफी प्रभावित होती है।

अगर आपको 2 बार से अधिक सीजर्स या दौरे आ चुके हैं तो उसे एपिलेप्सी यानि मिर्गी भी कह सकते हैं. ये दौरे अलग-अलग तरह के और अलग-अलग वजहों से होते हैं. दौरे का समय 30 सेकंड से 2 मिनट तक का हो सकता है.

दौरा किन स्थितियों में पड़ता है :

 ० बेहद तनाव लेना।

० समय पर दवाई न लेने से।

० कम नींद लेना।

० हॉर्मोंस में बदलाव का आना।

० ज्यादा शराब पीना।

० ब्लड शुगर का गिरना।

० ब्लड प्रेशर का कम हो जाना।

कारण क्या दिमागी दौरा पड़ने के ?

 > जनेटिक यानि की जीन्स में गड़बड़ी।

> स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर का होना।

> गर्भ में चोट का लगना।

> दिमाग में टेपवर्म या कीड़े का उत्पन होना।

> कैल्शियम और सोडियम की कमी।

यदि आप इस दौरे के कारण अत्यधिक परेशान हैं तो बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन आपके लिए उत्तम हैं। क्युकि इस बीमारी से निजात पाना बहुत जरूरी हैं। जिसके लिए न्यूरोलॉजिस्ट एक अच्छा विकल्प हैं।

दिमागी दौरे से निजात पाने में खर्चा कितना आता हैं ?

 इस दौरे के इलाज का खर्चा हर हॉस्पिटल में अलग-अलग हैं। तो वही इस बीमारी की सर्जरी में शुरुआती लागत कुछ हॉस्पिटल्स में तक़रीबन 40,000 तक की आ जाती हैं।

लक्षण क्या हैं इस बीमारी के ?

– आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।

– शरीर का अकड़ जाना।

– मुंह से झाग आना।

– बेहोश हो जाना।

– हाथ या पैर का लगातार चलना।

– होंठ या जीभ काट लेना।

इलाज क्या है इस दौरे का ?

 इसका इलाज एक अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट के द्वारा किया जाता हैं। ताकि मरीज़ की स्थिति जल्दी ठीक हो सकें। तो वही मरीज़ को जल्दी आराम मिले उसके लिए डॉक्टर्स कुछ टेस्ट का भी सुझाव देते है जिससे की रोगी को जल्दी आराम मिल सके। टेस्ट की अगर बात करें तो रोजाना ब्लड टेस्ट, एमआरआई (MRI) इइजी (EEG) इन टेस्टों के रिजल्ट को देखते हुए डॉक्टर कुछ दवाएं भी देते हैं। जिससे की मरीज़ जल्दी ठीक हो जाए।

  • तो वही अगर दवाइयां मरीज़ को नहीं सूट करती तो डॉक्टर उन्हे सर्जरी की सलाह देते हैं जिससे की मरीज़ की हालत जल्दी ठीक हो सके।

किन बातों का रखें ध्यान ?

– दवाई का सेवन समय पर करें।

– रोजाना 7-8 घंटे की भरपूर नींद लें और तनाव को न पनपने दे।

– फल-सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करे।

– ड्राइविंग बिल्कुल भी न करें।

– न तो स्वीमिंग करें और न ही बाथटब में नहाएं।

– बहुत ऊंची जगहों पर न जाएं।

निष्कर्ष :

दिमागी दौरे ने आपको अत्यधिक परेशान कर रखा हैं तो अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट का चुनाव करें और उस हॉस्पिटल का चुनाब करे जहा पर इसके सभी टेस्ट उपलब्ध हो और इलाज भी काफी अच्छा किया जा रहा हो। यही नहीं इस इलाज के लिए बहुत से लोग न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का सुझाव भी देते है क्युकि इस हॉस्पिटल में ऐसे मरीज़ो का इलाज काफी अच्छा किया जाता हैं। अन्तः आपको इस लेखन के माध्यम से यही समझाने का प्रयत्न किया जा रहा हैं कि अपनी सेहत को लेकर कृपया लापरवाह न हो।

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ल्स पाल्सी (चेहरे की कमजोरी) के लक्षण, निदान एवं उपचार के तरीके क्या है ?

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बेल्स पाल्सी, चेहरे की अचानक कमजोरी की विशेषता वाली स्थिति, हर साल हजारों लोगों को प्रभावित करती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम बेल्स पाल्सी के लक्षण, निदान और उपचार के तरीकों के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आपको इस समस्या से निजात मिल सकें ;

लक्षण क्या है बेल्स पाल्सी के :

बेल्स पाल्सी आम तौर पर अचानक, अक्सर रात भर में आती है, और काफी चिंताजनक हो सकती है। और सामान्य लक्षणों में शामिल हो सकती है।

चेहरे की कमजोरी : 

बेल्स पाल्सी के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक चेहरे के एक तरफ की अचानक कमजोरी या पक्षाघात है। इसके परिणामस्वरूप मुंह या पलक झुक सकती है।

स्वाद की हानि : 

बेल्स पाल्सी से पीड़ित कुछ व्यक्तियों को अपनी जीभ के अगले दो-तिहाई हिस्से में स्वाद की अनुभूति में कमी का अनुभव हो सकता है।

बेल्स पाल्सी के कारण अगर मांसपेशियों में समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि का होना : 

चेहरे के प्रभावित हिस्से पर ध्वनि तेज़ या विकृत हो सकती है।

आंखों की समस्याएं : 

प्रभावित हिस्से से आंख को पूरी तरह से बंद करने में असमर्थता से सूखापन, जलन और यहां तक कि संक्रमण भी हो सकता है।

अत्यधिक आंसू निकलना : 

विरोधाभासी रूप से, कुछ रोगियों को प्रभावित हिस्से पर अत्यधिक आंसू निकलने का भी अनुभव हो सकता है।

बेल्स पाल्सी का पता कैसे लगाया जा सकता है ?

बेल्स पाल्सी के निदान में आमतौर पर एक संपूर्ण चिकित्सा परीक्षण और चेहरे की कमजोरी के अन्य संभावित कारणों का पता लगाना शामिल है। यहां बताया गया है की इस समस्या का पता कैसे लगाया जा सकता है ;

नैदानिक ​​परीक्षा का चयन करके : 

एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मांसपेशियों की कमजोरी के लक्षणों के लिए आपके चेहरे की जांच करेगा और चेहरे के भाव बनाने की आपकी क्षमता का आकलन करेंगे।

अन्य स्थितियाँ : 

स्ट्रोक या ट्यूमर जैसे अन्य संभावित कारणों को खत्म करने के लिए, आप एमआरआई (MRI) या सीटी (CT) स्कैन जैसे परीक्षणों से गुजर सकते है।

इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) : 

निदान की पुष्टि करने में मदद करने के लिए चेहरे की मांसपेशियों की विद्युत गतिविधि का आकलन करने के लिए एक ईएमजी किया जा सकता है।

बेल्स पाल्सी का इलाज क्या है ?

बेल्स पाल्सी में किसी भी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती क्युकी यह अपने आप ठीक हो जाती है, और अधिकांश लोग कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों के भीतर पूरी तरह ठीक हो जाते है। हालाँकि, पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को तेज़ करने और लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद के लिए उपचार के विकल्प मौजूद है ;

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स : 

प्रेडनिसोन जैसी ये सूजन-रोधी दवाएं अक्सर चेहरे की तंत्रिका की सूजन और सूजन को कम करने के लिए निर्धारित की जाती है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ प्रारंभिक उपचार महत्वपूर्ण है।

एंटीवायरल दवाएं : 

कुछ स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एसाइक्लोविर जैसी एंटीवायरल दवाएं भी लिख सकते है, हालांकि बेल्स पाल्सी में उनकी प्रभावशीलता पर अभी भी विचार हो रहा है।

आंखों की देखभाल : 

आंख को पूरी तरह से बंद करने में असमर्थता के कारण होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए कृत्रिम आँसू और मलहम की सिफारिश की जा सकती है। गंभीर मामलों में, आंख पर पैच लगाना या रात में बंद पलक पर टेप लगाना आवश्यक हो सकता है।

फिजिकल थेरेपी : 

फिजिकल थेरेपी व्यायाम मांसपेशियों की टोन बनाए रखने और रिकवरी के दौरान मांसपेशी शोष को रोकने में मदद कर सकता है।

वैकल्पिक उपचार : 

कुछ व्यक्ति एक्यूपंक्चर जैसे पूरक उपचार तलाशते है, लेकिन उनकी प्रभावकारिता अनिश्चित है और इस पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से चर्चा की जानी चाहिए।

इसकी समस्या गंभीर होने पर आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए, लेकिन किसी भी तरह की सर्जरी का चयन करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें। 

ध्यान रखें :

सहायक उपाय, पर्याप्त आराम, तनाव प्रबंधन और एक संतुलित आहार पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में आपकी सहायता कर सकते है। और साथ ही अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो इसके लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन करना चाहिए।     

निष्कर्ष :

शीघ्र निदान और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसे उचित उपचार, रिकवरी में काफी तेजी ला सकते है और जटिलताओं को कम कर सकते है। हालाँकि, इस स्थिति के प्रबंधन के लिए उचित मूल्यांकन और मार्गदर्शन के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना आवश्यक है।