सेंट्रल वर्टिगो क्या है – जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके ?

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सेंट्रल वर्टिगो क्या है – जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके ?

सेंट्रल वर्टिगो एक ऐसी स्थिति है, जिसमें चक्कर आना और घूमने या हिलने-डुलने का गलत एहसास होना शामिल है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के भीतर एक समस्या से उत्पन्न होती है। परिधीय चक्कर के विपरीत, जो आमतौर पर आंतरिक कान के मुद्दों से जुड़ा होता है, केंद्रीय चक्कर में अक्सर अधिक गंभीर अंतर्निहित कारण शामिल होते है। तो इस ब्लॉग में, हम सेंट्रल वर्टिगो के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के तरीकों का पता लगाएंगे, इसलिए इसके बारे में जानने के लिए लेख के साथ अंत तक बने रहें ;

सेंट्रल वर्टिगो के कारण क्या है ?

  • सेंट्रल वर्टिगो विभिन्न मस्तिष्क विकारों, जैसे ट्यूमर, मल्टीपल स्केलेरोसिस या स्ट्रोक के कारण उत्पन्न हो सकता है। ये स्थितियाँ मस्तिष्क की संतुलन और स्थानिक जानकारी को संसाधित करने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे चक्कर आता है।
  • माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों को एक प्रकार का केंद्रीय चक्कर का अनुभव होता है जिसे वेस्टिबुलर माइग्रेन के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति बार-बार चक्कर आने से चिह्नित होती है और अक्सर गंभीर सिरदर्द के साथ होती है।
  • कुछ दवाएं, विशेष रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली दवाएं, साइड इफेक्ट के रूप में केंद्रीय चक्कर का कारण बन सकती है। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ ऐसे किसी भी दुष्प्रभाव पर चर्चा करना आवश्यक है।

अगर चक्कर आने जैसी समस्या का सामना आपको भी करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट के संपर्क में आना चाहिए।

सेंट्रल वर्टिगो क्या है ?

  • वर्टिगो चक्कर आने की अनुभूति है या ऐसा महसूस होना कि प्रभावित व्यक्ति के आसपास का वातावरण घूम रहा है। यह प्रभावित व्यक्ति के संतुलन को बिगाड़ सकता है और किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है और नहीं भी। वर्टिगो आमतौर पर स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर जैसी किसी अंतर्निहित स्थिति का संकेत होता है।
  • अगर स्ट्रोक का खतरा आपको काफी गंभीर समस्या में डाल रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए। 

सेंट्रल वर्टिगो के लक्षण क्या है ?

चक्कर आना : 

सेंट्रल वर्टिगो आमतौर पर चक्कर आने या चक्कर आने की गहरी अनुभूति के रूप में प्रकट होता है, जो लगातार या रुक-रुक कर हो सकता है।

मतली और उल्टी : 

सेंट्रल वर्टिगो वाले व्यक्तियों को अक्सर मतली का अनुभव होता है और उनके चक्कर की गंभीरता के कारण उल्टी भी हो सकती है।

संतुलन की हानि : 

अस्थिरता की भावना और संतुलन बनाए रखने में कठिनाई आम है। इससे गिरने और दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

चलने में कठिनाई : 

चलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि केंद्रीय चक्कर समन्वय और चाल को बाधित कर सकता है।

दृश्य गड़बड़ी : 

सेंट्रल वर्टिगो से पीड़ित कुछ लोग दृश्य गड़बड़ी की शिकायत करते है, जैसे धुंधली दृष्टि या तेजी से आंख हिलाना।

सिरदर्द : 

यदि सेंट्रल वर्टिगो माइग्रेन से जुड़ा है, तो गंभीर सिरदर्द एक प्रमुख लक्षण हो सकता है।

सेंट्रल वर्टिगो के रोकथाम के तरीके क्या है ?

  • यदि आपके पास एक अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है जो केंद्रीय चक्कर में योगदान कर सकती है, जैसे उच्च रक्तचाप या मधुमेह, तो इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना आवश्यक है। आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ नियमित जांच से आपके समग्र स्वास्थ्य की निगरानी करने में मदद मिल सकती है।
  • यदि आप ऐसी दवाएं ले रहे है, जो चक्कर का कारण बन सकती है, तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें। वे आपकी दवा को समायोजित करने या दुष्प्रभावों को कम करने के लिए वैकल्पिक विकल्पों की सिफारिश करने में सक्षम हो सकते है।
  • निर्जलीकरण से चक्कर आना और वर्टिगो बढ़ सकता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उचित जलयोजन बनाए रखने के लिए पूरे दिन पर्याप्त पानी पियें।
  • एक स्वस्थ, संतुलित आहार माइग्रेन जैसी स्थितियों को रोकने और समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद कर सकते है। कैफीन और कुछ परिरक्षकों जैसे ट्रिगर खाद्य पदार्थों और योजकों को सीमित करना फायदेमंद हो सकता है।
  • तनाव केंद्रीय चक्कर को बढ़ा सकता है, खासकर अगर यह माइग्रेन से जुड़ा हो। ध्यान, योग या गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होने से समग्र संतुलन में सुधार करने और गिरने के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। ऐसे व्यायाम चुनना आवश्यक है जो आपके फिटनेस स्तर और स्वास्थ्य स्थिति के लिए सही हों।
  • यदि आपने सेंट्रल वर्टिगो के एपिसोड का अनुभव किया है, तो घर पर गिरने से रोकने के लिए सावधानी बरतें। ट्रिपिंग के खतरों को दूर करें, रेलिंग लगाएं और अपने बाथरूम में नॉन-स्लिप मैट का उपयोग करें।
  • कुछ मामलों में, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा की सलाह देते है। यह विशेष कार्यक्रम मस्तिष्क को समस्याओं को संतुलित करने और चक्कर के लक्षणों को कम करने के लिए प्रशिक्षित करने में मदद करता है।

ध्यान रखें !

अगर आप चक्कर आने या सिर घूमने जैसी समस्या का सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

सेंट्रल वर्टिगो एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। इसके कारणों को समझना, इसके लक्षणों को पहचानना और निवारक उपायों का पालन करने से सेंट्रल वर्टिगो की गंभीरता को प्रबंधित करने और कम करने में मदद मिल सकती है। यदि आपको संदेह है कि आपको सेंट्रल वर्टिगो है, तो आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप उचित निदान और उपचार योजना के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। याद रखें, शुरुआती हस्तक्षेप और जीवनशैली में बदलाव आपकी सेहत में काफी अंतर ला सकते है।

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एक सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट से मिले इलाज के बाद माता-पिता ने दी अपनी यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी

न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह दिखाया गया की कैसे इलाज के बाद मिले परिणाम से मरीज़ के माता-पिता बेहद खुश है और इलाज करने के लिए वह न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमित मित्तल का शुक्रगुज़ार कर रहे है | 

इस वीडियो में उन माता-पिता ने अपने बच्चे को हुए परेशानी के बारे में बताते हुए यह कहा कि कुछ समय पहले एक दुर्घटना होने के कारण उनके बच्चे के दिमाग में फ्रैक्चर आ गया था, जिसकी  वजह से उनके बच्चे के पूरे सिर में सूजन आ गयी थी | हालांकि उन्होंने समय रहते अपने बच्चे इलाज तो करवा लिया था, लेकिन इलाज के बाद कुछ समय बाद उनके बच्चे को दौरे की समस्या होने लग गयी थी, जो अब हर दिन उनके बच्चे को काफी प्रभावित कर रही थी | अनेकों जगह इलाज और परीक्षण करवाने के बाद उन्हें कहीं से न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर के बारे पता चला और समय को व्यर्थ न करते हुए वह अपने बच्चे को लेकर इस संस्थान में इलाज के लिए पहुंच गए | 

 

इस संस्थान में उनकी मुलाकात डॉक्टर अमित मित्तल से हुई जो की न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जिन्होंने उनके बच्चे की स्थिति की पूरी जाँच पड़ताल कर उन्हें दुराप्लास्टी सर्जरी करवाने की सलाह दी | हलाकि सर्जरी सुन कर पहले तो वह काफी डर गए थे लेकिन डॉक्टर अमित मित्तल ने उन माता-पिता को यह अस्वाशन दिया की सर्जरी के बाद उनका बच्चा संपूर्ण से ठीक हो सकता है | इसलिए उन्होंने डॉक्टर पर भरोसा कर सर्जरी करवाने का निर्णय लिया | उनके बच्चे की सर्जरी सफलतापूर्वक से हुई और उनके बच्चे को इस सर्जरी से किसी भी तरह के दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ा | आज उनका बच्चा बिलकुल ठीक है और सर्जरी से मिले परिणाम से वह दोनों माता-पिता बेहद खुश है | उनकी सलाह यही है की यदि कोई भी व्यक्ति दिमाग या फिर रीढ़ की हड्डी से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से गुज़र रहा है तो वह अपने इलाज न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर के डॉक्टर अमित मित्तल से ही करवाए |

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इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी क्या है और क्या इससे हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक की समस्या का इलाज ?

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में यह बताया कि ब्रेन स्ट्रोक ऐसी समस्या है, जिससे आपातकालीन स्थिति में मेडिकल केयर की ज़रुरत पड़ती है, क्योंकि इस स्ट्रोक से पीड़ित मरीज़ के दिमाग की कोशिकाएं मर जाती है | लेकिन एक स्ट्रोक पीड़ित व्यक्ति को कैसे प्रभावित करता है, यह पूर्री तरह से इस बात पर निर्भर करता है की स्ट्रोक के अटैक ने व्यक्ति के मस्तिष्क पर कहाँ और कितना नुक्सान किया है | 

 

अगर बात करें की क्या ब्रेन स्ट्रोक का इलाज किया जा सकता है तो इसका जवाब हां है | आजकल हर हॉस्पिटल और संस्थान में ऐसे नयी तकनीकों ने प्रक्षेपण किया है जिसके उपयोग से ब्रेन स्ट्रोक की समस्या का इलाज भी आसानी से किया जा सकता है | इन उपचारों में एक है इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी |  इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी यानी आईआर एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें मस्तिष्क के चिंता हिस्सों में नियमित रूप से निर्दिष्ट करने के लिए छोटे कैथेटर ट्यूब और तारों और इसके साथ ही छोटे सुईओं का उपयोग कर सर्जरी की जाती है | इस प्रक्रिया को पिनहोल प्रक्रिया भी कहा जाता है जो ओपन सर्जरी और लैप्रोस्कोपी सर्जरी के मुकाबले एक बेहतर विकल्प होता है | 

 

यदि बात करें जटिलताओं की तो ओपन सर्जरी के मुकाबले आईआर सर्जरी से होने वाले जोखिम कारक बहुत कम होता है | इससे हुए सर्जरी के बाद मरीज़ को हॉस्पिटल में ज्यादा दिन नहीं बिताने पड़ते है और वह जल्द ही ठीक होने के बाद अपने रोज़मर्रा जीवनशैली पर वापिस भी जा सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | 

 

यदि आपका का कोई परिजन ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्या से पीड़ित है और आप उसका इलाज करवाना चाहते है तो इसलिए लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ब्रेन और स्पाइन सर्जन में स्पेशलिट्स है, जो इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी का उपयोग कर ब्रेन स्ट्रोक जैसे समस्या को कम करने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पाए दिए नंबरों से आप इस संस्थान से सीधा संपर्क कर सकते है |

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ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया क्या होती है और इसके मुख्य लक्षण कौन से है ?

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया की ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया एक ऐसी समस्या है जिसमे जब कोई रक्त की नली किसी नस के बहुत ही पास आ जाती है तो हार्ट पल्सेशन से उस नली पर कई सालों तक दबाव और धक्का पड़ता रहता है , जिससे ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित मरीज़ को चेहरे पर काफी तीव्र दर्द होने लग जाता है | 

 

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया 95 प्रतिशत तक के पीड़ित मरीज़ों में रक्त की धमनी या फिर नस के दबने से उत्पन्न होता है और बाकि के बचे 5 प्रतिशत पीड़ित मरीज़ को घांट या फिर ट्यूमर की वजह से होता है | कई मामलों में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से होने वाला दर्द इतना तीव्र हो जाता है कि इससे पीड़ित मरीज़ के मन में सुसाइड करने का ख्याल भी आने लग जाते है | आइये जानते है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के मुख्य लक्षण कौन-से है:- 

 

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के मुख्य लक्षण 

 

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित मरीज़ को दाएं और बाएं चहरे पर काफी तेज़ झटके का अनुभव हो सकता है | यदि मरीज़ के चेहरे की किसी एक हिस्से पर दर्द होता है तो उस हिस्से के तीन जगह पर तीव्र दर्द होगा | जिनमे शामिल है :- 

 

  • आँखों की ऊपरी हिस्से में दर्द होना 
  • आँखों के निचे या फिर मुँह के ऊपर वाले जबड़े में दर्द होना 
  • चेहरे के निचे के जबड़े से लेकर गाल तक दर्द होना 
  • चेहरे में दर्द शॉक की तरह महसूस होना और पूरे दिन इस दर्द से गुज़ाना

 

यदि आप ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की बीमारी से गुजर रहे है तो बेहतर है की आप डॉक्टर के पास जाएं और अच्छे से इलाज करवाएं, क्योंकि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का सही समय पर इलाज करना बेहद ज़रूरी होता है, अगर सही समाय इलाज न करवाया गया तो यह आगे जाकर बाहत बड़ी बीमारी और गणबहिर बीमारी का कारण बन सकती है | 

 

डॉक्टर अमित मित्तल ने भी कहा की ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया इलाज में न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर आपकी संपूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है | इसलिए आज ही लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक वेबसाइट में जाएं और और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | 

 

अधिक जानकारी के लिए आप लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है, यहाँ आपको इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मिल जाएगी |   

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रीढ़ की हड्डी का क्षय रोग क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण कौन-से है?

पॉट्स रोग को रीढ़ का हड्डी का क्षय रोग भी कहा जाता है, जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी काफी प्रभावित हो जाती है | यह संक्रमण फेफड़ो से रक्तप्रवाह द्वारा आपके रीढ़ की हड्डी तक फैलता है | इसकी वजह से आपकी कशेरुकाओं में नकारात्मक प्रभाव डालने के साथ-साथ एक टेडी रीढ़ की हड्ड़ी बनने का कारण भी बन जाती है | लेकिन घबराएं नहीं इसका उपचार दवाओं और सर्जरी द्वारा किया जा सकता है | 

न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉ अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में  यह बताया की रीढ़ की हड्डी का क्षय रोग एक किस्म का जीवाणु संक्रमण होता है, जो रीढ़ की हड्डियां पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालते है | यह एक तरह का ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी.) है जो विशेष रूप से एक्सट्रापल्मोनरी टीबी होता है | यह पॉट्स रोग आपके शरीर के फेफड़ो से शुरू होकर रीढ़ की हड्डी तक पहुंच जाती है | 

जिसकी वजह से आपको पीठ में काफी लम्बे समय तक दर्द या फिर हाथ-पैरों की मांसपेशियों में कमज़ोरी होने का अनुभव हो सकता है | जिसकी वजह से आपके रीढ़ की हड्डी टेडी भी हो सकती है और साथ ही कशेरुक क्षतिग्रस्त होने का खतरा भी जाता है | कई मामले ऐसे भी होते है जिसमे पॉट्स रोग घातक भी साबित हो सकते है | पॉट्स रोग की समस्या टीबी होने का सबसे आम माना जाता है | एक शोध के अनुसार पूरे विश्व में कम से कम 40 प्रतिशत लोग इस समस्या से जूझ रहे है |  

पॉट्स रोग होने के मुख्य लक्षण क्या है?   

  • पीठ में तीव्र दर्द होना और अकड़न की समस्या 
  • हाथ-पैरों में कमज़ोरी और सुन्न होने का अनुभव करना 
  • गर्दन में दर्द होना 
  • भूख न लगना
  • वजन का घटते रहना 
  • बुखार आना  

पॉट्स रोग से कौन से हड्डियां प्रभावित हो जाती है ? 

पॉट्स रोग आपके रीढ़ की हड्डी का कोई भी हिस्सा या फिर कशुरूका को प्रभावित कर सकती है | आइये जानते है इसके सबसे ज्यादा लक्षण निमरनलिखित क्षेत्र में पाए जाते है :- 

  • ग्रीवा रीढ़ की हड्डी 
  • मध्य भाग या वक्षीय की रीढ़ की हड्डी में 
  • रीढ़ की हड्डी का निचला भाग या फिर लम्बर स्पाइन 

पॉट्स रोग होने के मुख्य कारण क्या है ? 

रीढ़ की हड्डी में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु होता है, जो पॉट्स रोग होने का कारण बनती है | टीबी से संक्रमित व्यक्ति टीबी पैदा करने वाली बैक्टीरिया को बूंदों में अपने सांसो के ज़रिये अंदर लेने से भी पॉट्स रोग हो सकता है, क्योंकि यह संक्रमण आपके फेफड़ों से शुरू होता है और रक्तप्रवाह द्वारा आपके रीढ़ की हड्डियों तक पहुंचता है | 

यदि सही समय पर इस समस्या का उपचार न किया गया तो यह पॉट्स रोग आपके रीढ़ की हड्डी का काफी क्षतिग्रस्त कर सकते है | इसलिए लक्षणों का अनुभव होते ही डॉक्टर के पास जाये और इलाज करवाए | इससे जुडी जानकारी के लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर से परामर्श कर सकते है | यहाँ से सीनियर कंसलटेंट डॉ अमित मित्तल ब्रेन और स्पाइन सर्जन में एक्सपर्ट है इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |

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स्ट्रोक के मुख्य लक्षण कौन-से है? जानिए F.A.S.T के मदद से कैसे पता करे स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण

एक व्यक्ति के मस्तिष्क को सही तरह से काम करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और धमनियां के माध्यम से व्यक्ति के मस्तिष्क में ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाती है | स्ट्रोक की समस्या तब उजागर होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है या फिर रक्त की वाहिका फट जाती है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आपके मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में सही मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होता तो इससे मस्तिष्क पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालता है जिस कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या फिर मर जाती है |  

 

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट यूट्यूब शॉर्ट्स के द्वारा से यह बताया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्ट्रोक के होने मुख्य लक्षण और संकेत एक जैसे ही होते है, जो कि निम्नलिखित है :- 

  • आपके चेहरे या हाथ या फिर पैर एक तरफ से कमज़ोर या सुन्नता हो जाना 
  • भ्रम का होना, बोलने में परेशानी होना और किसी बात को समझने में दिक्कतों का सामना करना 
  • दोनों आँखों से देखने में परेशानी का होना 
  • चलने में परेशानी होना, बार-बार चक्कर आना 
  • शरीर को संतुलन या समन्वय की कमी होना 
  • बिना किसी वजह से सिर में तीव्र दर्द होना 
  • कुछ समय के लिए बेहोश हो जाना 
  • किसी स्पष्ट कारण के बिना गिर जाना   
  • स्ट्रेंथ की कमी होना 

 

स्ट्रोक के लक्षणों में F.A.S.T है कैसे फायदेमंद ?

डॉक्टर अमित मित्तल ने बताया की F.A.S.T का उपयोग लोगों को यह याद दिलाने के लिए किया जाता है कि, इस दौरान स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान कैसे करे और क्या करना चाहिए | FAST  का अर्थ है :- 

  1. F : चेहरा का झुकना – यह देखे कि वह व्यक्ति का चेहरा मुस्कुराने के दौरान लटक तो नहीं रहा | 
  2. A : बांह में कमजोरी का आना – यह सुनिश्चित करे व्यक्ति को दोनों उठाने पर कोई ढीला या फिर कमज़ोर तो नहीं हो   गया | 
  3. S : बोलने में परेशानी – यह देखे कि व्यक्ति को सरल वाक्य बोलने के समय अस्पष्ट या फिर अजीब लगने वाले शब्द तो नहीं बोल रहा | 
  4. T : आपातकालीन सेवाओं को संपर्क करें – स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति का हर समय महतवपूर्ण होता है, इसलिए बेहतर यही है की आपातकालीन सेवाओं को संपर्क करे | 

 

यदि आपको या फिर आपके किसी साथी को स्ट्रोक के किसी भी तरह लक्षण दिखाई दे रहे है तो समय बिलकुल भी न   गवाएं और जल्द-जल्द नज़दीकी आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करे | इससे जुडी कोई भी जानकारी लेना चाहते हो तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है, यहाँ के डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरोसर्ज़न में एक्सपर्ट है, जो आपको इस समस्या को कम करे में आपकी मदद कर सकते है |

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यह 5 फ़ूड करते है दिमाग की नसों को कमज़ोर, जाने एक्सपर्ट्स से दिमाग को कैसे रखे हेअल्थी

हमारा दिमाग शरीर के बाकी अंगों में से एक जटिल अंग होता है, जो शरीर के हर अंग के कार्य को नियंत्रित करता है | दिमाग के स्वास्थ्य का हमेशा ख्याल रखना चाहिए इसके लिए सही खानपान बेहद ज़रूरी होता है | लेकिन कुछ खाद पदार्थ ऐसे भी होते है जिसके सेवन से दिमाग की नसों को कमज़ोर हो जाती है | आइये जानते है 5 ऐसे ही फूस के बारे में :- 

 

  1. प्रक्रिया भोजन :- प्रक्रिया भोजन यानी प्रोसेस्ड फ़ूड में उच्च स्तर में सोडियम, चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा का प्रयोग किया जाता है, जिसके सेवन से दिमाग की नसों को काफी नुस्कान पहुँचता है और याददाश्त तक कमज़ोर हो जाती है | 

 

  1. ट्रांस फैट भोजन :- यह भोजन आमतौर पर प्रोसेस्ड फ़ूड में पाया जाता है |  जिसके सेवन से दिमाग की नसों में सूजन आ जाती है और डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ जाता है | 

 

  1. चीनी का अधिक सेवन करना :- चीनी के अत्यधिक सेवन से दिमाग को अधिक सक्रिय कर देती है | क्योंकि ग्लूकोस दिमाग के लिए ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत होता है, लेकिन इसमें पायी जाने वाली चीनी पदार्थ दिमाग को ओवरड्राइव मोड में डाल सकती है | 

 

  1. शराब का अधिक सेवन करना :- शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करने से दिमाग की नसों पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालते है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक होने और मनोभ्रंश विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है | 

 

  1. कैफीन का अधिक सेवन करना :- कैफीन में उत्तेजित जैसे पदार्थ पाए जाते है, जिसके अधिक सेवन से दिमाग में चिंता और अवसादों के लक्षण को ख़राब कर देते है और रक्तस्राव का स्तर भी बढ़ जाता है | 

 

इन खाद पदार्थ के अलावा अन्य कारक ऐसे भी होते है, जो दिमाग की नसों को कमज़ोर कर देते है, जैसे की धूम्रपान करना, तनाव में रहना और प्रदुषण | इसलिए यह ज़रूरी है की आप इन खाद पदार्थो का सेवन कम करे और बेहतर जीवनशैली के लिए अच्छे खानपान को अपनाये | इससे जुडी कोई भी जानकारी या अपने विचारों का विमर्श करना चाहते है तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमिता मित्तल न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट्स है, जो आपकी समस्या को कम करने में आपकी सहायता करेंगे |

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पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होता है माइग्रेन की समस्या, आइये जानते है डॉक्टर से क्या है इसके कारण

हल्का सिरदर्द तो आजकल लगभग हर व्यक्ति को होता है,वही कुछ लोग को गंभीर सिरदर्द या फिर माइग्रेन जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है | लेकिन क्या आपको यह बात पता है की पुरूषों की तुलना में महिलाओं को  माइग्रेन होने खतरा ज़्यादा होता है | 

न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसलटेंट डॉ अमित मित्तल जो की ब्रेन और स्पाइन सर्जन में एक्सपर्ट है, उनका कहना है की महिलाओं में हार्मोनल के उतर-चढ़ाव पुरुषों को तुलना में अधिक होता है, जिससे उनमे माइग्रेन जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती  है | माइग्रेन एक ऐसा सिरदर्द है जो आमतौर पर  सिर के एक तरफ से शुरू होता है | इसके मुख्य लक्षण है मल्टी या उलटी होना, प्रकाश और शोर जैसे पर्यावरण से सवेदनशील होना आदि  | आमतौर पर यह सिरदर्द 4 घंटे से अधिक समय तक नहीं रहता, परंतु कुछ लोगों में यह सिरदर्द 2 -3 दिन तक रहता है | 

डॉ अमित मित्तल ने बताया की पीरियड्स के दौरान भी माइग्रेन स्थिति को बिगाड़ देती है | पीरियड्स के दौरान  महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन काफी अधिक मात्रा में होता है | इस साइकिल की वजह से एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन्स माइग्रेन को ट्रिगर करते है , जो की सिरदर्द का कारण  बनता है | कई महिलाएं हार्मोन को कण्ट्रोल करने की दवा का सेवन करते है, लेकिन इन दवाओं के सेवन से माइग्रेन होने का रिस्क अधिक हो जाता है | 

एक आंकड़े के अनुसार दुनियाभर में 18-40 वर्ष की महिलाओं में माइग्रेन की समस्या अधिक पायी गयी है, जिसका सही समय पर इलाज करवाना बेहद आवश्यक है | अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है | जिससे आपको इस समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है |

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ब्रेन टीबी के क्या है लक्षण और इलाज के तरीके ?

डॉक्टरों का कहना है की ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो ज्यादातर फेफड़ों को प्रभावित करता है। अगर इस जानलेवा बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह मौत का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा ब्रेन टीबी की समस्या क्यों होती है, इसके लक्षण क्या है और इससे हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है इस बात पर खास ध्यान रखें ;

क्या है ब्रेन टीबी ?

  • दरअसल टीबी की बात करें तो ये सिर्फ फेफड़े में ही नहीं दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है। आपको बता दें कि टीबी के बैक्टीरिया धीरे-धीरे ब्रेन में प्रवेश करते है और एक गांठ का निर्माण करते है। 
  • यही गांठ बाद में टीबी का रूप ले लेती है, जिससे मस्तिष्क की झिल्लियों में सूजन या गांठ विकसित होने लगती है। और इस गांठ को मेनिन्जाइटिस ट्यूबरकुलोसिस, मेनिन्जाइटिस या ब्रेन टीबी के नाम से जाना जाता है।
  • अगर आप भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट के संपर्क में आना चाहिए।

ब्रेन टीबी के लक्षण क्या है ?

  • इसके लक्षण शुरुआती दौर में तो सामान्य होते है, लेकिन जैसे-जैसे आपके द्वारा लापरवाही की जाती है वैसे ही इसके लक्षणा गंभीर हो जाते है। वहीं इसके सामान्य लक्षण में थकान और अस्वस्थता नज़र आती है। 
  • और इसके गंभीर लक्षण होने पर आपको गर्दन में अकड़न, सिरदर्द और हल्की संवेदनशीलता का महसूस होना। इसके अलावा, आप निम्न लक्षणों का अनुभव भी कर सकते है, जैसे :
  • बुखार की समस्या। 
  • उलझन महसूस होना। 
  • मतली और उल्टी की समस्या का सामना करना। 
  • सुस्ती का आना। 
  • चिड़चिड़ेपन की समस्या का सामना करना। 
  • बेहोशी की हालत में होना आदि।

अगर इसके लक्षण ज्यादा गंभीर नज़र आ रहें है और आपके दिमाग पर इसका गहरा असर पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

क्यों होती है ब्रेन टीबी की समस्या ?

  • वैसे देखा जाए तो दिमाग के टीबी की समस्या एक-दूसरे से नहीं फैलती लेकिन, जब फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है तो उसके मुंह से निकली बूंदें दूसरे व्यक्ति के अंदर आसानी से प्रवेश कर जाते है। 
  • वहीं ये बूंदें यदि दिमाग में प्रवेश कर जाती है, तो व्यक्ति के दिमाग में टीबी या ब्रेन टीबी होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।

सुझाव :

ब्रेन में टीबी का होना काफी खतरनाक माना जाता है, क्युकी इससे आपके जान जाने का भी भय हो सकता है, इसलिए जरूरी है की इसके लक्षण ज्यादा गंभीर होने से पहले आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर के सम्पर्क में आना चाहिए।

ब्रेन टीबी का पता किन टेस्टों के माध्यम से लगाया जा सकता है ?

  • मेनिन्जेस की बायोप्सी को करवाकर आप इस बीमारी का पता लगा सकते है।
  • ब्लड कल्चर से भी। 
  • छाती का एक्स-रे करवा कर भी। 
  • सिर का सीटी स्कैन करवाना। 
  • ट्यूबरक्लोसिस के लिए त्वचा का टेस्ट करवाना आदि।

इलाज क्या है ब्रेन टीबी का ?

  • ब्रेन टीबी के इलाज में डॉक्टर पहले कुछ दवाओं के माध्यम से मरीज का इलाज करना शुरू करते है। यदि दवाओं से आराम नहीं मिलता है तब डॉक्टर थेरेपी कराने का सुझाव देते है।
  • ब्रेन ट्यूबरकुलोसिस या ब्रेन टीबी को डॉक्टर दो मुख्य प्रकार से सर्जरी कराने की सलाह देते है, ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस और ब्रेन ट्यूबरकुलोमा से जुड़े हाइड्रोसिफ़लस है। ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस अक्सर चिकित्सा उपचार के प्रति प्रतिक्रिया करता है, लेकिन चिकित्सा उपचार में असफल होने वालों के लिए तुरंत सर्जरी की आवश्यकता होती है। 
  • वेंट्रिकुलोपेरिटोनियल (वीपी) शंट और एंडोस्कोपिक थर्ड वेंट्रिकुलोस्टॉमी (ईटीवी) दोनों सर्जरी का सुझाव डॉक्टर द्वारा दिया जा सकता है।
  • हालांकि बाद वाला क्रोनिक हाइड्रोसिफ़लस के रोगियों में तीव्र मेनिन्जाइटिस की तुलना में अधिक बार सफल होता है। अन्य रोगियों की तुलना में टीबीएमएच के रोगियों में वीपी शंट के बाद जटिलताओं का खतरा अधिक हो सकता है। 
  • इसके अलावा डॉक्टर मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के बाद ही सर्जरी का निर्णय लेते है।

निष्कर्ष :

मस्तिष्क जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, व्यक्ति के शरीर में इसलिए जरूरी है की इसका सही से कार्य करना बहुत जरूरी है और ये सही से कार्य तभी कर सकता है, जब आपके द्वारा इसका अच्छे से ध्यान रखा जाएगा।  

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न !

मस्तिष्क सर्जरी से जुड़े जोखिम और लाभ क्या हैं?

मस्तिष्क में सर्जरी के बाद मरीजों को मस्तिष्क की चोट, मस्तिष्क में सूजन और स्ट्रोक के कारण होने वाली गंभीर जटिलताओं का खतरा हो सकता है। वही इसके लाभ की बात करें, तो इस सर्जरी की मदद से आपकी हर तरह की दिमागी समस्या ठीक हो सकती है।

यदि दवा से सुधार नहीं हो रहा है तो क्या स्पाइनल टीबी का सर्जरी ही एकमात्र समाधान है ?

कई बार टीबी के कारण रीढ़ की हड्‌डी में ज्यादा क्षति पहुंचने लगती है, ऐसी गंभीर स्थिति में सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज है, जिसे स्पाइनल फ्यूजन ऑपरेशन किया जाता है।

क्या एक्सडीआर टीबी के इलाज में सर्जरी अनिवार्य है ?

 इलाज दवा प्रतिरोध की सीमा, रोग की गंभीरता और क्या रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता किया गया है, इस पर निर्भर करता है। इसलिए सर्जरी का सहारा स्थिति गंभीर होने पर ही किया जाता है। 

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मिर्गी के दौरे को ठीक करने के लिए प्राथमिक उपचार क्या है ?

मिर्गी के दौरे के लिए प्राथमिक उपचार दौरे का अनुभव करने वाले व्यक्ति की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। जब किसी को दौरा पड़े तो यहां कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए, और साथ ही इन कदमों को उठा कर आप कैसे खुद से मिर्गी के दौरे का बचाव कर सकते है इसके बारे में चर्चा करेंगे ; 

दौरा पड़ने पर कौंन-से महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए ? 

शांत रहें – 

सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात शांत रहना है। हालाँकि दौरे देखने में डरावने हो सकते है, लेकिन दिमाग को संतुलित रखना ज़रूरी है।

व्यक्ति की रक्षा करें –

यदि व्यक्ति पहले से ही जमीन पर नहीं है, तो उसे बैठने में मदद करें या किसी भी चोट से बचने के लिए उसे अपनी तरफ धीरे से लिटा दें। उन्हें दबाकर न रखें या उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध न लगाएं।

क्षेत्र साफ़ करें –

सुनिश्चित करें कि आस-पास कोई नुकीली या खतरनाक वस्तु न हो जिससे दौरे के दौरान व्यक्ति संभावित रूप से खुद को घायल कर सके। सुरक्षित स्थान बनाने के लिए सभी बाधाओं को दूर करें।

सिर को गद्देदार रखें – 

व्यक्ति के सिर के नीचे मुड़ा हुआ जैकेट या तकिया जैसी कोई नरम वस्तु रखें ताकि वह इसे फर्श से टकराने से रोक सके।

तंग कपड़ों को ढीला करें – 

यदि व्यक्ति के कपड़े उसकी गर्दन या छाती के आसपास तंग है, तो उचित वायु प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए इसे ढीला करने का प्रयास करें।

दौरे का समय नोट करें –

दौरे के शुरू होने का समय नोट करना सहायक होता है। इससे बाद में जरूरत पड़ने पर चिकित्सा पेशेवरों को मदद मिलेगी।

उनके मुँह में कुछ भी न डालें – 

आम धारणा के विपरीत, दौरे के दौरान व्यक्ति के मुँह में अपनी उंगलियाँ या चम्मच सहित कुछ भी डालने की सलाह नहीं दी जाती है। क्युकी इससे चोट लग सकती है। 

उनके साथ रहें –

जब तक दौरा ख़त्म न हो जाए, तब तक व्यक्ति के पास रहें और उन पर कड़ी नज़र रखें। यदि दौरा ख़त्म होने पर वे सचेत है, तो उन्हें शांति से आश्वस्त करें।

दौरे के बाद – 

दौरे के समाप्त होने के बाद, व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में लाने में मदद करें और सुनिश्चित करें कि वे सामान्य रूप से सांस ले रहे है। वे भ्रमित हो सकते हैं, इसलिए आश्वासन और आराम प्रदान करें।

चिकित्सा सहायता लें – 

कुछ मामलों में, विशेष रूप से यदि यह व्यक्ति का पहला दौरा है या यह पांच मिनट से अधिक समय तक रहता है, या यदि उन्हें बाद में सांस लेने में कठिनाई होती है, तो तत्काल चिकित्सा सहायता लें। अगर दौरे के दौरान आपकी सेहत पर कुछ गलत प्रभाव पड़ने लगे तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

सहायक बने रहें – 

जब तक व्यक्ति पूरी तरह से सतर्क और ठीक न हो जाए, तब तक उसके साथ रहना जारी रखें। दौरे के बाद वे थका हुआ या भ्रमित महसूस कर सकते है, और वहां किसी अपने के होने का आश्वस्त कर सकता है आपको।

दौरे के बारे में लिखे – 

यदि संभव हो, तो दौरे के बारे में कोई भी विवरण लिखें, जैसे कि इसकी अवधि, दौरे शुरू होने से पहले व्यक्ति क्या कर रहा था, और दौरे के दौरान कोई असामान्य व्यवहार। यह जानकारी चिकित्सा पेशेवरों के लिए उपयोगी हो सकती है।

मिर्गी के दौरे पर डॉक्टरी सहायता कब लें !

  • व्यक्ति जब 5 मिनट से अधिक समय तक बेहोश रहा हो। 
  • दौरा पांच से दस मिनट या उससे अधिक समय तक जारी रह सकता है।
  • ऐसा लगता है कि दौरा अधिक समय तक नहीं रहता है, लेकिन फिर भी व्यक्ति ठीक नहीं हो पाता है।
  • व्यक्ति को चलने और सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
  • व्यक्ति काफी देर तक सो चुका है और जाग नहीं रहा है।
  • व्यक्ति को तुरंत दूसरे दौरे का अनुभव हुआ (पहले दौरे के तुरंत बाद)।
  • व्यक्ति को बुखार है और उसके हाथ-पैरों में अकड़ आ गई हो।
  • व्यक्ति कमजोर, सुस्त और उल्टी करने लगें।
  • दौरे के दौरान व्यक्ति को चोट लगी हो।
  • जिस व्यक्ति को दौरे पड़ रहे है, वह मधुमेह से पीड़ित है या उसे हृदय रोग या उच्च रक्तचाप जैसी अन्य संबंधित स्वास्थ्य स्थितियाँ है। तब आपको डॉक्टर का चयन करते वक़्त देरी नहीं करना चाहिए।

यदि दौरे के दौरान आपकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

ध्यान रखें :

अगर आपको दौरा गंभीर रूप से पड़े तो कृपया उसे नज़रअंदाज़ न करें बल्कि समय पर आपको इसके इलाज के लिए न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन करना चाहिए। वहीं अगर आपको दौरा पहली बार पड़ा है तो इसके लिए आप डॉक्टरी सलाह भी लें सकते है।

सारांश :

उन्हें रोकने या उनके मुँह में कोई वस्तु डालने का प्रयास न करें। यदि आवश्यक हो तो चिकित्सा सहायता लें और व्यक्ति के ठीक होने पर उसके लिए मौजूद रहें। मिर्गी का दौरा भयावह हो सकता है, लेकिन सही प्राथमिक उपचार से, आप दौरे का अनुभव करने वाले व्यक्ति के लिए सुरक्षित परिणाम सुनिश्चित करने में मदद कर सकते है।