नर्वस सिस्टम आमतौर पर हमारे शरीर का एक कंट्रोल सेंटर होता है, जो कि हमारे ब्रेन, रीढ़ की हड्डी स्पाइनल कॉर्ड और नसों के जरिये हमारे पूरे शरीर को चलाता है। आपको बता दें कि यह सिस्टम हमारे सोचने, समझने, महसूस करने, चलने, बोलने, देखने और यहां तक कि हमारे सांस लेने जैसे कई कामों को नियंत्रित करता है। पर इस प्रणाली में जब किसी भी तरह की कोई भी रूकावट या फिर कोई गड़बड़ी पैदा हो जाती है, तो इसको आमतौर पर नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहा जाता है। दरअसल यह नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर की परेशानी किसी भी उम्र में हो सकती है और इस समस्या के लक्षण एक व्यक्ति के लाइफस्टाइल और तंत्रिका प्रणाली पर निर्भर करते हैं। आपको बता दें कि नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर की परेशानी में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना, मांसपेशियों में कमजोरी होना, चलने-फिरने में परेशानी होना, संतुलन की कमी होना, बोलने में दिक्कत होना, सुन्नपन होना या फिर झुनझुनी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।
आमतौर पर यह बीमारी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्तर को प्रभावित करती है। हालांकि इस समस्या को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठता है, कि क्या नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर का इलाज संभव है? क्या इस समस्या को सिर्फ दवाइयों से ही ठीक किया जा सकता है या फिर इसका कोई प्राकृतिक तरीका भी है? तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
नर्वस सिस्टम को कैसे ठीक किया जा सकता है?
दवाइयों का उपयोग : आपको बता दें कि नर्वस सिस्टम की समस्यायों में दवाइयों का एक बहुत ही मत्वपूर्ण रोल होता है। पर इस दौरान आप दवाइयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी न करें। ऐसा इस लिए कहा जाता है, क्योंकि गलत दवा या फिर गलत डोज से समस्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
फिजिकल थेरेपी : दरअसल मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करने के लिए फिजिकल थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि यह मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है। इसके साथ ही शरीर को बहुत अच्छा महसूस होता है। इसके लिए आप इसके एक्सपर्ट की मदद जरूर लें, वह आपकी समस्या के अनुसार सही एक्सरसाइज बताएगा। आपको बता दें कि योग भी नर्वस सिस्टम को मजबूत करने में काफी ज्यादा मदद करता है।
सर्जरी : आपको बता दें कि इसके कुछ मामलों में, जैसे कि गंभीर तंत्रिका दबाव या फिर व्यक्ति को ट्यूमर जैसी गंभीर समस्या होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।आमतौर पर सर्जरी का विकल्प सिर्फ विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन की सलाह पर ही अपनाना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान : आज के समय में ज्यादातर लोग काम और जिम्मेदारियों की वजह से तनाव और चिंता में ही रहते हैं, जबकि यह उनके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता है। बता दें कि तनाव और चिंता नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। इसलिए आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी है। दरअसल मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मनोवैज्ञानिक की सलाह से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रिजल्ट मिलते हैं।
स्वस्थ जीवनशैली : रोजाना संतुलित आहार लें, आमतौर पर जिस में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन बी12 और एंटीऑक्सीडेंटस की पर्याप्त मात्रा हो। रोजाना नियमित रूप से कसरत करें, रोजाना समय से भरपूर नींद लें और इसके साथ ही शराब और तंबाकू जैसी चीजों से अपना बचाव करें।
नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के लक्षण
दरअसल जब रीढ़ की हड्डी, नसों और दिमाग के काम करने में गड़बड़ी होने लगती है, तो तब उसको नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहा जाता है। आपको बता दें कि नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के लक्षण हर व्यक्ति में बहुत अलग-अलग हो सकते हैं, जो आमतौर पर एक व्यक्ति की बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करते हैं।
- व्यक्ति के हाथ और पैरों में झुनझुनी या फिर कमजोरी होना।
- इस दौरान व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना।
- चलने-फिरने में काफी ज्यादा कठिनाई होना।
- बोलने या फिर कुछ भी समझने में परेशानी होना।
- अचानक व्यक्ति को चक्कर आना या फिर बेहोशी होना।
- मानसिक तनाव या फिर डिप्रेशन होना।
- ज्यादातर सिर दर्द होना।
- अपना संतुलन खोना।
- मांसपेशियों में कमजोरी होना।
- दौरे आना।
- कुछ भी देखने में परेशानी होना।
- नींद से जुड़ी समस्याएं होना।
- इस दौरान शरीर की हरकतों पर नियंत्रण न रहना।
इस दौरान अगर आपको या फिर आपके परिवार, या आपके किसी जानने वाले को इस तरह के लक्षण महसूस होते हैं, तो उस समय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
निष्कर्ष : नर्वस सिस्टम शरीर का कंट्रोल सेंटर होता है, जो हमारे पूरे शरीर को चलाता है। यह हमारे कई कामों को नियंत्रित करता है। इस प्रणाली में जब कोई भी रूकावट या गड़बड़ी उत्पन्न होती है, तो इसको नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहा जाता है। नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इस समस्या में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना, मांसपेशियों में कमजोरी होना, चलने-फिरने में परेशानी होना, संतुलन की कमी होना, बोलने में दिक्कत होना, सुन्नपन होना या फिर झुनझुनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह समस्या व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक दोनों स्तर को प्रभावित करती है। पर सही समय पर इसका उपचार और सावधानी से इस को कंट्रोल किया जा सकता है। दवाइयों के साथ-साथ लाइफस्टाइल में सुधार, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान और प्राकृतिक उपचार इसको बेहतर बनाने में मददगार होते हैं। यदि आपको या आपके किसी जानने वाले को किसी भी तरह के नर्वस सिस्टम के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इस दौरान आपका एक्सपर्ट या डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेना बेहद जरूरी है। अगर आपको भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी है और आपको भी नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर की समस्या है और आप इस समस्या का इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1. जब नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाता है तो क्या होता है?
हम सभी के शरीर में नर्वस सिस्टम एक बहुत ही अहम भूमिका निभाता है और जब व्यक्ति का नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो इसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस दौरान व्यक्ति को थकान, चक्कर आना, हाथ-पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी, याददाश्त की कमी, मूड स्विंग्स, नींद की समस्या और इसके साथ ही रिएक्शन देने में सुस्ती जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नर्वस सिस्टम के कमजोर होने से एक व्यक्ति को चलने-फिरने में असंतुलन, बोलने में रुकावट और ध्यान केंद्रित करने में भी काफी ज्यादा कठिनाई होती है। आमतौर पर इसका समय पर इलाज न किये जाने पर यह समस्या एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का रूप ले सकती है।
प्रश्न 2. ब्रेन पावर को बढ़ाने के लिए क्या करें?
आपको बता दें कि अपनी दिमागी शक्ति को बढ़ाने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और एक अच्छी नींद को लेना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। इसके लिए आप अपनी रोजाना डाइट में बादाम, अखरोट, अश्वगंधा, हरी सब्जियां, फल और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त चीजों को शामिल करें। आमतौर पर नियमित रूप से मेडिटेशन और प्राणायाम करने से मानसिक तनाव काफी कम होता है और इसके साथ ही एकाग्रता बढ़ती है। आपको बता दें कि नई चीजों को सीखने की आदत, जैसे किताब पढ़ना या पहेली हल करना, ब्रेन को एक्टिव बनाए रखने में मदद करती है। इस दौरान आप मोबाइल और टीवी का इस्तेमाल सीमित करें। आप रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और आप कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
प्रश्न 3. दिमाग के लिए कौन सा योग करें?
आमतौर पर अपने दिमाग को तेज और स्वस्थ बनाने के लिए योग सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। दरअसल अपने दिमाग की शक्ति को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, कपालभाति और श्वासन योगासन प्रभावी माने जाते हैं। बता दें कि यह प्राणायाम दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाते हैं, जिसकी वजह से एकाग्रता, स्मरण शक्ति और मानसिक शांति मिलती है।