मेनिंगियोमा एक प्रकार का ऐसा ट्यूमर होता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्ली में विकसित होता है, इस झिल्ली को मेनिन्जेस कहा जाता है | मेनिंगियोमा कोई ब्रेन ट्यूमर नहीं है, लेकिन यह मस्तिष्क के आसपास मौजूद नसों और वाहिकाओं पर दबाव डाल सकता है | मेनिंगियोमा मस्तिष्क में होने वाला सबसे आम प्रकार का ट्यूमर माना जाता है | अधिकतर मामलों में मेनिंगियोमा काफी धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन यह कई सालों तक बिना लक्षण को दिखाए बढ़ सकता है और इसके विपरीत कई बार मेनिंगियोमा मस्तिष्क के आसपास मौजूद ऊतकों, नसों और वाहिकाओं, इसके प्रभाव से गंभीर रूप से विकलांगता हो सकते है |
पुरुषों की तुलना में मेनिंगियोमा महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है | इसके ज्यादातर मामले अधिक उम्र के लोगों या फिर वयस्कों में ही पाए जाते है, लेकिन यह कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है | चूंकि मेनिंगियोमा बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है, खासकर बिना लक्षण को दिखाए, इसलिए इससे तुरंत इलाज की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन समय-समय पर डॉक्टर के पास जाकर परीक्षण करवाना मेनिंगियोमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए बेहद ज़रूरी होता है | आइये जानते है मेनिंगियोमा के सामान्य लक्षण, कारण और कैसे किया जाता है इलाज :-
मेनिंगियोमा के सामान्य लक्षण क्या है ?
मेनिंगियोमा के लक्षण अक्सर बहुत धीरे-धीरे शुरु होते है | मेनिंगियोमा के शुरुआती चरणों इससे पहचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है | लक्षण इस बात पर निर्भर कर सकता है की मेनिंगियोमा मस्तिष की किस स्थान पर स्थित है या फिर यह आपके रीढ़ की हड्डी में भी स्थित हो सकता है | आइये जानते इससे जुड़े कुछ सामान्य लक्षण के बारें में, जिनमें शामिल है :-
- आंखों की दृष्टि में परिवर्तन होना, जैसे की दोहरी दृष्टि का दिखना या फिर आंखों में धुंधलापन आना
- सुबह के समय सिरदर्द का अधिक बढ़ना
- सुनने की क्षमता का कम होना या फिर घंटी जैसा बजने का अनुभव होना
- याद्दाशत कमज़ोर होना
- सूंघने की क्षमता का कम होना
- दौरे पड़ने
- हाथ और पैर में कमज़ोरी आना
- बोलने में परेशानी होनी
मेनिंगियोमा होने के मुख्य कारण क्या है ?
मेनिंगियोमा को उत्पन्न करने वाले कारणों का अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, विशेषज्ञों का मानना है कि मस्तिष्क में मौजूद मेनिन्जेस में कुछ कोशिकाओं में कुछ परिवर्तन होता है, जो अनियंत्रित रूप से गुणा करने के लिए प्रेरित करने का कार्य करता है | जिससे मेनिंगियोमा उत्पन्न हो जाता है | इसके अलावा बचपन में रेडिएशन के संपर्क में आने से भी मेनिंगियोमा होने का एक अज्ञात पर्यावरणीय जोखिम कारक होता है, जो सेलफोन के इस्तेमाल से भी हो सकता है |
मेनिंगियोमा से जुड़े जोखिम कारकऔर जटिलताएं क्या है ?
जोखिम कारक
- विकिकरण उपचार :- मस्तिष्क के इलाज में शामिल विकिकरण उपचार मेनिंगियोमा ट्यूमर होने के जोखिम कारक को बढ़ा सकता है |
- महिला हार्मोन संबंधित :- मेनिंगियोमा महिलाओं में होना आम है, इसका मतलब यह है कि इसका संबंध महिला हार्मोन के साथ हो सकता है | कुछ शोध से इस बात का पता चला है की मौखिक जन्म नियंत्रण और हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा के उपयोग से मेनिंगियोमा के वृद्धि होने का खतरा बढ़ सकता है |
- मोटापा :- वजन का अनियमितता से बढ़ना कई प्रकार के कैंसर के लिए जोखिम कारक होता है | कई बड़े अध्ययनों में यह भी पाया गया है की जो लोग मोटापे से ग्रसित होते है, उनमें अक्सर मेनिंगियोमा होने के अवसर सबसे अधिक होते है | लेकिन अभी तक मोटापे और मेनिंगियोमा के बीच का संबंध स्पष्ट नहीं हो पाया है |
जटिलताएं
मेनिंगियोमा और उसके उपचार लंबे समय तक रहने वाले गंभीर स्थितियों को उत्पन्न कर सकता है | इसके उपचार के लिए अक्सर सर्जरी या फिर विकिकरण उपचार का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह उपचार जटिलताओं से घिरे होते है, जिनमें शामिल है :-
- ध्यान केंद्रित करने में तकलीफ होना |
- याद्दाशत कमज़ोर होना
- व्यक्तित्व में बदलाव आना
- दौरे पड़ने
- कमज़ोरी होने
- हास्य की भावना में बदलाव आना
- बोलने में परेशानी होनी
मेनिंगियोमा से कैसे पाएं निदान ?
मेनिंगियोमा के अधिकतर लक्षण बहुत देर से सामने आते है, लेकिन कई मेनिंगियोमा का तुरंत देखभाल करने की ज़रुरत पड़ सकती है | यदि आप ऊपर बताये गए किसी भी लक्षणों से गुजर रहे है, तो इलाज के लिए आपको स्वास्थ्य पेशेवर से मिलना चाहिए, क्योंकि अधिकतर मामलों में मेनिंगियोमा के अक्सर कारणों का पता नहीं लगता, जिसका पता केवल इमेजिंग स्कैन से ही किया जा सकता है |
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