नसों में दर्द के कारण और क्या है इस दर्द से बचाव का इलाज !

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नसों में दर्द के कारण और क्या है इस दर्द से बचाव का इलाज !

नसों में दर्द का होना भी काफी गंभीर समस्या है। नसों में दर्द का होना व्यक्ति के लिए काफी परेशानियां खड़ी कर सकता है। इसलिए ये समस्या क्यों होती है इसके बारे में जानने के बाद फ़ौरन किसी अच्छे डॉक्टर का चयन करें।

तो वहीं इस समस्या से बचाव का तरीका क्या है और किस कारण ये समस्या व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है इसके बारे में बात करेंगे। इसलिए अगर आपके नसों में दर्द है और इससे आप भी निजात पाना चाहते है, तो आज का आर्टिकल खास आपके लिए है ;

नसों में दर्द का कारण क्या है ?

नसों में दर्द के कई कारण है, जैसे ;

  • मधुमेह की समस्या। 
  • नशीली पदार्थों का सेवन। 
  • एचआईवी (HIV) संक्रमण या एड्स की समस्या। 
  • चेहरे की तंत्रिका संबंधी समस्याओं का सामना करना। 
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विकार। 
  • सीमित हिस्से में दर्द या जटिल सिंड्रोम की समस्या। 
  • दाद का होना भी इसके एक कारण में शामिल है। 

तंत्रिकाशूल या नसों में दर्द की समस्या क्या है ?

  • नसों का दर्द एक तंत्रिका मार्ग का दर्द है। आमतौर पर, नसों का दर्द अपने आप में कोई बीमारी तो नहीं है, बल्कि चोट या विशेष विकार का लक्षण है। वहीं कई मामलों में, दर्द का कारण ज्ञात नहीं हो पाता।
  • यदि आपकी तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त है या ठीक से काम नहीं कर पा रही है तो आपको न्यूरोपैथिक दर्द यानी नसों में दर्द की समस्या हो सकती है। वही ये दर्द अगर ज्यादा गंभीर हो तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना के सम्पर्क में आना चाहिए।
  • तंत्रिकाशूल, जिसे आमतौर पर टिक डौलौरेक्स के रूप में जाना जाता है, जो एक ऐसी स्थिति है जो चेहरे के गंभीर दर्द के कारण होती है, और दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप कर सकती है। जैसे – चबाना, बात करना, मुस्कुराना, जैसी सरल क्रियाएं आपके गंभीर दर्द के झटके का कारण बन सकती हैं।

नसों में दर्द की समस्या किस विटामिन की कमी से होता है ?

  • नसों में दर्द की समस्या विटामिन बी12 की कमी (vitamin B12) के कारण हो सकता है। दरअसल, विटामिन बी12 को पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy), का एक प्रमुख कारण माना जाता है। क्युकि इससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से जुड़े नसों में दर्द होता है। 

नसों में दर्द की समस्या का इलाज क्या है ?

  • इसके इलाज के लिए व्यक्ति को सबसे पहले ये जानना चाहिए कि ये समस्या किस कारण होती है, और कारणों को जानने के बाद किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करें। 
  • इसके बाद समस्या ज्यादा गंभीर होने पर आपका डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह भी दे सकते है। 
  • मधुमेह वाले लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना भी इसके एक महत्वपूर्ण इलाज में शामिल है। 
  • दर्द से राहत के लिए कुछ दवाएं भी आपके डॉक्टर आपको दे सकते है। 
  • एक विशेष तंत्रिका या तंत्रिका समूह पर निर्देशित इंजेक्शन के साथ एक तंत्रिका ब्लॉक करना होता है। वही इसका उद्देश्य दर्द संकेतों को “बंद” कर, सूजन को कम करना है।

अगर आप भी अपने नसों में दर्द की समस्या से निजात पाना चाहते है तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन जरूर से करना चाहिए। क्युकि समय पर इस समस्या का इलाज करना बहुत जरूरी है। 

निष्कर्ष :

नसों में दर्द का होना काफी मुश्किलें खड़ी कर सकता है व्यक्ति के लिए इस लिए इस दर्द को नज़रअंदाज़ न करें और समय रहते किसी बेहतरीन डॉक्टर का चयन करें।

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सिर,गर्दन और पीठ में दर्द के क्या है लक्षण और कैसे रहे इससे सतर्क ?

 आज के समय की बात की जाए तो लोग काम के ज्यादा दबाव और एक ही जगह पर घंटो बैठने की वजह से उनको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे सिर,गर्दन और पीठ में दर्द की समस्या और ये दर्द व्यक्ति पर अपना काफी बुरा प्रभाव छोड़ता है। इसके अलावा इस तरह के दर्द की समस्या के लक्षण क्या है और कैसे हम इस समस्या से खुद को बाहर निकाल सकते है इसके बारे में भी बात करेंगे, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;

सिर,गर्दन और पीठ में दर्द की समस्या क्यों उत्पन होती है ?

  • अकसर यह समस्या हड्डियों से जुड़ी किसी न किसी बीमारी का संकेत जरूर होती है, लेकिन अगर इसके साथ आपको लगातार सिर दर्द की शिकायत भी बनी हुई है और शरीर के अंगों में कुछ बदलाव महसूस हो रहे है तो यह न्यूरोलॉजिकल समस्या की शुरुआत हो सकती है।
  • इसलिए अगर ऐसा कोई भी लक्षण दिख रहा है तो तुरंत डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि न्यूरो से जुड़ी किसी भी बीमारी में तत्काल इलाज की जरूरत होती है।

अगर आप भी सिर,गर्दन और पीठ में दर्द की समस्या से परेशान है तो इससे जल्द निजात पाने के लिए बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करें।

सिर,गर्दन और पीठ में दर्द के लक्षण क्या है ?

  • खराब बैठने या सोने की मुद्रा भी आपके सिर और गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द बना सकता है। वही शरीर की खराब स्थिति आपकी पीठ, कंधों और गर्दन में तनाव पैदा करती है। यह तनाव सिरदर्द का कारण बन सकता है। इसके अलावा आप अपनी खोपड़ी के आधार पर एक सुस्त, धड़कता हुआ दर्द भी महसूस कर सकते हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो जाता है या उसे अपने चेहरे की बनावट में मामूली परिवर्तन भी नजर आता है तो यह भी न्यूरो समस्या के लक्षण हो सकते है। वही समय पर इनका इलाज़ नहीं होता तो खतरा काफी बढ़ जाता है। इसी समस्या से ही ब्रेन स्ट्रोक भी आता है। स्ट्रोक के कई मामलों में यह देखा जाता है कि मरीज देरी से अस्पताल पहुंचा है। इसका कारण यह है कि लोग न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं देते।

सिर,गर्दन और पीठ में दर्द से बचाव का तरीका ?

  • इसका सबसे अच्छा बचाव का तरीका ये है कि व्यक्ति अगर ज्यादा समय तक एक ही मुद्रा में काम कर रहा है तो उसको अपने बैठने के तरीके में बदलाव लाना चाहिए।
  • दूसरा अगर व्यक्ति गलत मुद्रा में सोता है, तो भी उसको इस समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • इसके अलावा थोड़ी बहुत एक्सरसाइज भी व्यक्ति को करते रहना चाहिए रोजाना।
  • तो वही पौष्टिक खाने की चीजों का सेवन करना चाहिए, अपने स्वास्थ्य शरीर के लिए।

अगर आपको भी सिर,गर्दन और पीठ में दर्द की समस्या ने अपना शिकार बना लिया है तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन जरूर से करना चाहिए और साथ ही डॉक्टरों के द्वारा बताए गए उपायों को जरूर से आजमाए।

निष्कर्ष :

समस्या कोई भी हो अगर सही समय पर उसका इलाज मिल जाए तो उस समस्या का हमेशा के लिए खात्मा किया जा सकता है, ठीक वैसे ही सिर,गर्दन और पीठ में दर्द की समस्या है अगर ये समस्या आप में रहती है तो लक्षणों को देखते हुए सही समय पर डॉक्टर का चयन जरूर से करें।

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Neurocysticercosis: दिमागी कीड़े के खात्मे के लिए अपनाए इसके बेहतरीन उपाय !

न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस (Neurocysticercosis): अगर आपके भी सिर में दर्द की समस्या हमेशा बनी रहती है, तो हो जाए सतर्क, क्युकि सिर में दर्द की समस्या आपके दिमाग में कीड़े की मौजूदगी को दर्शा सकती है।

इसलिए आज के आर्टिकल में हम सिर में दर्द का दिमागी कीड़े से क्या तालुकात है , और इसको हम ठीक कैसे करे या इसको ठीक करने के उपाय क्या है इसके बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरुआत करते है आर्टिकल की ;

दिमाग में कीड़ा उत्पन कैसे होता है ?

  • दिमाग में कीड़ा उत्पन होने की बीमारी को मेडिकल की भाषा में न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस (Neurocysticercosis) के नाम से जाना जाता है। 
  • न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस दिमाग या नर्वस सिस्टम में संक्रमण से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जो शरीर में टीनिया सोलियम नाम के परजीवी या उनके अंडे के प्रवेश के कारण होता है। 
  • ये परजीवी मिट्टी में पैदा होते हैं। जब आप मिट्टी में उगने वाली सब्जियों का सेवन करते हैं तो ऐसे में इन परजीवी और अंडों के निकलने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि ये सब्जियों के पत्तों और सतह पर रह सकते हैं।
  • इसके अलावा पोर्क (सुअर का मीट) खाने वाले लोगों में भी इसकी अधिक संभावना होती है।
  • एक बार शरीर में ये कीड़े या अंडे पहुंच जाएं तो रक्त के साथ ही ये आपके दिमाग तक आसानी से पहुंच जाते है।

क्या दिमाग में कीड़े का उत्पन होना सिर दर्द का कारण बन सकता है ?

  • कुछ अनुभवी डॉक्टरों का मानना है कि जब टीनिया सोलियम नाम के परजीवी कीड़े दिमाग में घुस जाते हैं तो यह दिमाग को संक्रमित कर सकते हैं और यही संक्रमण सिर दर्द और दौरे का कारण बन सकती है। 
  • इसके अलावा यह कीड़े इतने घातक होते हैं कि ये लीवर और मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। जिससे सूजन हो सकती है और भविष्य में चल कर आपके अंदर मांसपेशियों में गांठ बनने की समस्या उत्पन हो जाती हैं।

दिमाग में कीड़े उत्पन होने के लक्षण क्या है ?

इसके लक्षण निम्न प्रस्तुत है ;

  • सिर में दर्द का होना। 
  • मिर्गी का दौरा पड़ना। 
  • बोलने में परेशानी का सामना करना। 
  • शरीर का तालमेल बैठाने में दिक्कत यानी आपके शरीर के अंगों का शिथिल (ढीला) होना।
  • जुबान का लड़खड़ाना। 
  • आंखों की रोशनी का कमजोर होना और बुखार की समस्या। 
  • शरीर के कुछ अंगो का कमजोर होना आदि।

आपको उपरोक्त लक्षणों से यदि लग रहा है की आपके दिमाग में कीड़े ने जन्म ले लिया है तो बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से इसके बारे में जानकरी एकत्र करे।

उपाय क्या है दिमागी कीड़े से बचाव का ?

  • दिमाग के कीड़े से बचने का उपाय यही है कि कभी भी आपको कच्ची सब्जियों का सेवन नहीं करना है, क्योंकि इससे आपको अधिक जोखिम हो सकता है। 
  • हमेशा सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धोएं। फिर इसे पूरी तरह पकाने के बाद ही सेवन करें। ऐसा करने से परजीवी और उनके अंडे आसानी से नष्ट हो जाते है।

सुझाव :

यदि आपके दिमाग में कीड़ो ने आक्रमण कर दिया है तो इसे नज़रअंदाज़ न करे बल्कि इसके लिए न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर के अनुभवी डॉक्टरों से इससे निजात पाने के तरीकों के बारे में जानकारी हासिल करे।

निष्कर्ष :

दिमाग में कीड़े का उत्पन होना काफी खतरनाक होता है। क्युकि ये कीड़ा अपने साथ कई अन्य बीमारियों को लेकर आता है। इसलिए आपके दिमाग में कीड़ा उत्पन न हो इसके लिए आप उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखे।

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बार-बार चक्कर आने से निजात पाने के क्या है बेहतरीन इलाज !

चक्कर आना कमजोर शरीर की निशानी है, या यू कहे कि कमजोर खान-पान की वजह से ये समस्या उत्पन होती है। यदि चक्कर आने की समस्या आपके सामने भी खड़ी हो रही है, तो इससे निजात कैसे पाना है इस बात का खास ध्यान रखे। इसके इलावा चक्कर क्यों आते है या ये समस्या क्यों उत्पन होती और इससे निजात कैसे पा सकते है, हम इसके बारे में बात करेंगे ;

चक्कर आने की समस्या किस कमी की वजह से उत्पन होती है ?

इस समस्या के बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

  • कई बार शरीर में खून की कमी, एनीमिया या अन्य किसी शारीरिक समस्या से तेज चक्कर आ सकता है। इसकी वजह से व्यक्ति कहीं भी अचानक उठते ही गिर सकता है। गर्मी में धूप में देर तक घूमने, शरीर में पानी की कमी होने से भी आपको चक्कर जैसा महसूस हो सकता है।
  • इसके आलावा जब आपके शरीर को प्रयाप्त ऑक्सीजन न मिल रही हो तो भी ये समस्या उत्पन हो सकती है।

यदि चक्कर आने की समस्या लगातार आपमें बनी हुई है, तो बिना समय गवाए बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चयन करें।

चक्कर आने के मुख्य कारण क्या है ?

इसके कारण निम्नलिखित है ;

  • चक्कर आना आमतौर पर आंखों और कानों को प्रभावित करता है। आमतौर पर असंतुलन यानी की डिस-इक्विलिब्रियम और वर्टिगो, चक्कर आने का मुख्य कारण होते हैं।
  • कमजोर खान-पान और सेहत का अच्छे से ध्यान न रखना भी इसके एक कारण को दर्शाती है।
  • ज्यादा तनाव लेने की वजह से भी चक्कर आने की समस्या उत्पन हो जाती है।

चक्कर आने से छुटकारा पाने के लिए क्या खाएं ?

इससे निजात पाने के लिए निम्न बातो का खास ध्यान रखे ;

  • यदि आपको चक्कर आ रहे है तो आप अदरक को काट कर खा सकते है या अदरक वाली चाय भी आपके चक्कर को रोकने में सहायक मानी जाती है।
  • इसके अलावा ताजा पानी प्रयाप्त मात्रा में पिएं।
  • ब्लैक-टी पिएं, और इसमें तुलसी और अदरक का उपयोग करें।
  • चॉकलेट खाएं।
  • केला खाएं, आइसक्रीम खाएं, ड्राइफ्रूट्स खाएं और दही-चीनी का सेवन भी आपके चक्कर को रोक सकता है।

चक्कर आए तो क्या करे ?

  • यदि आप किसी उचाई पर खड़े है, तो चक्कर आने पर सामान्य जगह पर लेट जाए।
  • चक्कर आने पर पानी पिए, जूस पिए और फल खाने की कोशिश करें।
  • बहुत अधिक दवा लेने से जितना हो सके बचें।
  • यदि चक्कर लगातार आ रहे है तो अपनी आंखे बंद करके लेट जाए।
  • यदि चक्कर के दौरान आपको ब्लड प्रेशर कम महसूस हो रहा हो तो कुछ मीठा खाने की कोशिश करे।
  • इसके इलावा रोज योग और ध्यान लगाने से भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
  • ज्यादा चिंता करने से भी आपको प्रयाप्त साँस न ले पाने और चक्कर आने की समस्या उत्पन हो सकती है, इसके लिए बस आपको करना ये है कि एक गहरी लम्बी सांस ले, जिससे आप ठीक महसूस करेंगे।

सुझाव :

यदि चक्कर की समस्या ज्यादा ही गंभीर है तो न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर के डॉक्टर्स से मिले और उनसे इस समस्या से निजात पाने का बेहतरीन सुझाव ले।

निष्कर्ष :

 समस्या कोई भी हो अगर समय रहते उस पर ध्यान दे दिया जाए तो उस समस्या का ज्यादा गहरा सामना नहीं करना पड़ता। ठीक वैसे ही चक्कर आने की समस्या पर भी लागु होता है। इसलिए उपरोक्त बातो को ध्यान में रखते हुए इस समस्या से निजात पाए।

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चक्कर आने के क्या है, लक्षण, कारण और इलाज ?

चक्कर आने की समस्या काफी गंभीर बीमारी को दर्शा सकती है। इसके इलावा आज के युवा में इसकी समस्या काफी देखने को मिल सकती है। क्युकि उनके द्वारा डाइट को काफी फॉलो किया जाता है। जिसकी वजह से उनमे कमजोरी की समस्या उत्पन हो जाती है और उनमे चक्कर आने जैसी समस्याओ का आगमन होता है।

चक्कर आना क्या है ?

चक्कर आने की समस्या आज के समय में काफी गंभीर समस्या बन कर सामने आ रही है, तो हम निम्न में बात करेंगे की चक्कर आना क्या है, या ये समस्या क्यों उत्पन होती है, इसके लक्षण, कारण, व उपचार क्या है, के बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

  • वेस्टिबुलर सिस्टम में गड़बड़ी, जो संतुलन को नियंत्रित करती है, वर्टिगो से जुड़ी होती है। मेनिएरेस सिंड्रोम जैसे कान के रोग और संक्रमण, आपके कानों से सिस्टम के कनेक्शन के कारण आपके संतुलन की भावना और आपकी चाल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  • इसके इलावा भोजन में कमी, नींद, निम्न रक्त शर्करा, या यहां तक ​​कि सामान्य पुराने तनाव और चिंता भी शामिल है। मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस रोग और मिर्गी सहित कई न्यूरोलॉजिकल स्थितियां चक्कर आने के रूप में प्रकट होकर हमारे सामने आते हैं।

चक्कर आने की समस्या उत्पन होने पर बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना के संपर्क में आए।

चक्कर आने के कारण क्या है ?

चक्कर आने के बहुत से कारण है, जिनमे से हम कुछ को निम्न में प्रस्तुत कर रहे है ;

  • हृदय रोग या रक्तचाप की समस्या के कारण चक्कर आना।
  • मस्तिष्क रोगों या स्थितियों के कारण चक्कर आना।
  • दवा के कारण चक्कर की समस्या का उत्पन होना।
  • भ्रम या मनोभ्रंश की शंका।
  • उम्र बढ़ने के कारण चक्कर का आना।
  • अन्य बीमारियों या स्थितियों के कारण चक्कर आना।

चक्कर आने के लक्षण क्या है ?

इसके लक्षण काफी गंभीर होते है, जिनको जानना जरूरी है, जैसे ;

  • चक्कर आने पर कई बार हम दोहरी छवि को भी देखते है।
  • उल्टी आना भी चक्कर की छवि में शामिल है।
  • बुखार आना।
  • सिर दर्द।
  • सीने में बेचैनी का सामना करना।
  • चेतना में कमी का होना।

चक्कर आने से निजात पाने के क्या है उपचार ?

इसके इलाज कुछ निम्न प्रकार से है ;

  • चक्कर आने पर आप पीठ के बल बैठ जाए या लेट जाए। या आप कुछ देर के लिए आंखें बंद करके लेट जाएं, आपको ऐसा करके काफी अच्छा महसूस होगा।
  • अगर आपको बार-बार चक्कर आते हैं, तो आप कार चलाने या भारी मशीनरी चलाने से बचे।
  • शराब और तंबाकू के सेवन से जितना हो सके बचें।
  • संतुलित आहार का सेवन करे।
  • बहुत अधिक दवा लेने से बचें और दवा अगर लेना भी है, तो डॉक्टर के सलाह से लें। इसके इलावा आपको अगर निर्जलीकरण के कारण चक्कर आ रहे हैं, तो आप किसी ठंडी जगह पर आराम कर सकते हैं और पर्याप्त पानी पी सकते हैं। तो वही चक्कर आने का अहसास होने पर चलने या दौड़ने से बचें।

अत्यधिक चक्कर आने की समस्या उत्पन होने पर आप हमारे सेंटर का चुनाव भी कर सकते है। क्युकि चक्कर आना कोई आम बात नहीं है।

 

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सिर, पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या से परेशान चल रहे लोग हो जाए सतर्क ?

सिर, पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या क्या है ?

ये समस्या काफी गंभीर है जिसको हम नज़रअन्दाज़ कर देते है। जिसकी वजह से निम्न और परेशानियों का सामान करना पड़ता है ;

  • आज के समय की अगर बात करे तो व्यक्ति भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में इतना व्यस्त हो गया है कि अक्सर काम की वजह से कई घंटे एक ही जगह पर बैठ के निकाल देता है। जिसकी वजह से उसको सिर, पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या उत्पन हो जाती है।

  • इसके इलावा यदि आपको सिर में दर्द की समस्या भी है या आपके पूरे शरीर में कुछ बदलाव की समस्या उत्पन हो गई है, तो आपको न्यूरोलॉजिकल की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

न्यूरोलॉजिस्ट कौन होते है ?

न्यूरोलॉजिस्ट काफी अनुभवी डॉक्टर होते है, दिमाग से जुडी हर समस्या को दूर करने के लिए, ये कौन होते है इनके बारे में हम आपको निम्न में बताएंगे।

  • एक न्यूरोलॉजिस्ट मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली के हर रोगों के निदान और उपचार में काफी अनुभवी होते है। वे न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर, सीखने की अक्षमता और अन्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित स्थितियों जैसी बीमारियों का भी इलाज करने में माहिर होते हैं।

  • एक न्यूरोलॉजिस्ट को दिमाग से जुडी हर परेशानी का अच्छे से अनुभव होता है।

सिर, पीठ और गर्दन में दर्द या न्यूरोलोजी के लक्षण क्या है ?

  • न्यूरोलोजी संबंधी बीमारियों में आमतौर पर बोलने में अंतर का आना।

  • शारीरिक असंतुलन का होना।

  • शरीर में अकड़न और कमजोरी की समस्या का उत्पन होना।

  • याददाश्त में कमी का होना।

  • उठने, बैठने चलने में परेशानी का सामना करना।

  • शरीर में कंपन की समस्या और मांसपेशियों का कठोर होना।

  • निगलने में या अन्य कोई कठिनाई हो तो आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से जरूर सम्पर्क करना चाहिए।

न्यूरोलोजी की समस्या उत्पन होने पर किन बातो का रखे ध्यान ?

निम्न बातो का ध्यान रख के हम इस समस्या से निजात पा सकते है ;

  • न्यूरोलॉजिकल रोगों का कोई तत्काल समाधान नहीं है, लेकिन रोगी की अच्छी देखभाल उसे लंबे समय तक स्वस्थ रख सकती है।

  • इसके इलावा स्वास्थ्य खानपान का इस्तेमाल व जीवनशैली को सही करके भी आप इस बीमारी से हमेशा के लिए निजात पा सकते है।

सुझाव :

सिर, पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या का उत्पन होना आपकी जीवन शैली को बिगाड़ने में एहम भूमिका निभाने का काम करती है। इसलिए ये समस्या अगर उत्पन हो तो इसे नज़रअंदाज़ न करे, बल्कि समय रहते इसके उपचार को ढूंढ़ने के लिए किसी अच्छे डॉक्टर और क्लिनिक का जरूर से चुनाव करे। इसके इलावा भी आप अगर किसी अन्य क्लिनिक का चुनाव करना चाहते है, तो न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर से भी सम्पर्क कर सकते है।

निष्कर्ष :

शरीर में कोई भी समस्या उत्पन होने पर उसे नज़रअंदाज़ न करे बल्कि समय पर इसका इलाज करवा कर इस बीमारी से हमेशा के लिए निजात पाए। इसके इलावा यदि आप उपरोक्त बीमारी का सामना कर रहे है। तो इसके शुरुआती लक्षण दिखने पर ही न्यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करे, क्युकि इसके शुरुआती लक्षणों को जान कर आप इस बीमारी का खात्मा जड़ से कर सकते है।

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क्लस्टर सिरदर्द (Cluster Headaches): कारण, लक्षण, इलाज, निदान

आज के इस लेखन में हम जानेंगे कि क्लस्टर सिरदर्द क्या है? इसके लक्षणों को हम कैसे जानें, कारण क्या हैं इसके और इससे निदान कैसे पा सकते हैं।

क्लस्टर सिरदर्द क्या हैं ?

Cluster Headaches: क्लस्टर हेडेक एक प्रकार का सिर दर्द होता है जो कि आंखों के आसपास महसूस होने वाला दर्द होता है। यह दर्द अत्यंत ही दर्दनाक होता है और यह दिन में कई बार हो सकता है। क्लस्टर सिरदर्द एक असामान्य दर्द होता है जो कि दौरे की तरह आता है।

यह आमतौर पर रोजाना 15 मिनट से तीन घंटे तक या हफ्तों और महीनों के लिए नियमित रूप से होता है। इसलिए इसे कलस्टर पीरियड कहा जाता है। क्लस्टर सिरदर्द हर साल लगभग एक ही समय में होते हैं, जैसे कि बसंत या पतझड़ में।

Causes: Cluster Headaches – क्लस्टर सिरदर्द के कारण क्या हैं ?

इसके एक कारणों का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल हैं लेकिन कुछ अध्यनों से इसके कुछ कारणों का पता चला हैं जिनका उल्लेख हम निम्न कर रहें हैं,..

ऐसा माना जाता है कि यह सिरदर्द चेहरे से संबंधित तंत्रिका क्षेत्र यानी शरीर की ट्राइजेमिनल नर्व में अचानक हिस्टामाइन या सेरोटोनिन केमिकल के निकलने के कारण हो सकता है।

तो वहीं इसके अनुवांशिक कारणों की अगर बात करें तो उनको हम निम्न प्रस्तुत कर रहे हैं,..

  • शराब और सिगरेट का सेवन।
  • ट्रेकिंग और हवाई यात्रा।
  • सूरज और कोई अन्य चमकदार रोशनी का मुँह पर पड़ना।
  • अधिक शारीरिक गतिविधि का करना।
  • कुछ दवाइयां।
  • कोकीन का अत्यधिक सेवन इत्यादि।

यदि आप क्लस्टर के दर्द से निजात पाना चाहते है तो बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चुनाव करें।

Symptoms: Cluster Headaches क्लस्टर सिरदर्द के लक्षण क्या हैं ?

इसके कुछ लक्षणों को जान कर आप इस बीमारी से खुद के लिए ऐतिहात बरत सकते हैं।

  • तेज सिरदर्द के साथ जलन का होना।
  • चेहरे के एक तरफ गर्दन से सिर का दर्द।
  • दर्द 5 से 10 मिनट तक और तेज दर्द का आधे घंटे तक बढ़ जाना।
  • आंख के नीचे या आसपास सूजन।
  • लाल आंखें।
  • झुकी हुई पलक।

Diagnosis Cluster Headaches: क्लस्टर सिरदर्द से निदान कैसे पाए ?

इस दर्द से निजात पाने के लिए डॉक्टर द्वारा कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता हैं, जैसे,..

एम.आर.आई (MRI)–

इसमें चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करके मस्तिष्क और रक्त वाहिकाओं की छवि को बनाकर और असामान्यताओं का पता लगाया जाता हैं

सी.टी स्कैन (CT Scan)–

इसमें एक्स-रे का उपयोग करके मस्तिष्क की एक क्रॉस सेक्शनल छवि ली जाती है।

कुछ रोगियों में क्लस्टर सिरदर्द में एक विशिष्ट प्रकार का दर्द और दौरा शामिल होता है। ऐसे में डॉक्टर मरीज के सिर या आंख के प्रभावित हिस्से, गंभीरता और उससे जुड़े लक्षणों के आधार पर बीमारी का निदान करते हैं। क्लस्टर अटैक के दौरान डॉक्टर हॉर्नर सिंड्रोम यानी पलकों पर भारीपन और पुतली के सिकुड़ने की समस्या का शारीरिक परीक्षण करके निदान भी करते हैं।

इसके इलावा इस दर्द से निजात पाने के लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन हॉस्पिटल का चयन भी कर सकते है। तो वही अगर इस हॉस्पिटल की बात करें तो यहाँ पर आपके दिमाग का अच्छे से जाँच किया जाता हैं, ताकि डॉक्टर के द्वारा आपकी इस बीमारी को जल्दी से ठीक किया जा सकें।

निष्कर्ष :

यदि शुरुआती लक्षणों से आपको इस बीमारी का पता चल चूका है तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें बल्कि शुरू में इसके बारे में जानने के बाद जड़ से इसका खात्मा कर दे ताकि बाद में आपको परेशानी का सामना न करना पड़े।

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ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क का कैंसर: लक्षण कारण,प्रकार और उपाए

ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क का ट्यूमर क्या हैं ?

मस्तिष्क जो हैं वो शरीर का बहुत ही अहम अंग माना जाता है, इसलिए इसका सही रहना बहुत आवश्यक है |

  • जब दिमाग में गांठ बन जाती है तो इसको ट्यूमर कहते हैं। ब्रेन के जिस हिस्से में ट्यूमर होता है तो उस हिस्से को नियंत्रित करने वाला शरीर का भाग प्रभावित होता है।
  • ब्रेन ट्यूमर का मतलब है मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि का होना है।
  • ट्यूमर शरीर के अन्य भागों से शुरू होता है और बाद में मस्तिष्क में फैल जाता है, जिसे मस्तिष्क ट्यूमर के रूप में जाना जाता है।
  • घातक ट्यूमर या कैंसर के ट्यूमर तेजी से बढ़ने वाले होते हैं जो आक्रामक भी होते हैं। जबकि दूसरी तरफ, बिनाइन ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ते हैं और गैर-आक्रामक होते हैं।

ब्रेन ट्यूमर कितने प्रकार के होते हैं :

  ० पहला बिनाइन टयूमर जोकि एक जगह ही स्थित रहते हैं, जिनका खतरा थोड़ा कम होता हैं।

० दूसरा मालिगनेंट टयूमर काफी खतरनाक माना जाता हैं इसलिए सही समय पर इनका इलाज होना बहुत जरूरी हैं।

लक्षण क्या ब्रेन ट्यूमर के :

  ० सिर में दर्द।

० दिमाग में गांठ की वजह से उल्टी का आना।

० मूड स्विंग या मूड का बदलना।

० सीखने की क्षमता का कम होना।

० सुनने में दिक्कत का सामना करना |

० बोलने में दिक्कत।

० दौरे का पड़ना।

सुझाव :

मस्तिष्क में केंसर की परेशानी का अगर आपको भी करना पड़ रहा हैं, सामना तो Neuro Hospital से बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना का चुनाव करें और खुद को सुरक्षित रखें |

कारण क्या ब्रेन ट्यूमर की बीमारी का :

  • रेडिएशन, कैमिकल वाली जगह।
  • जो खाना आप खा रहे हैं, उसमे कितना फैट है, अल्कोहल है कितना हैं या फिर धूम्रपान पर भी निर्भर करता है।
  • इस बीमारी के होने का असल कारण परिवार से जुड़ा हुआ भी हो सकता हैं।
  • यदि आपके शरीर के किसी भाग में भी कैंसर होगा तो ये आपके मस्तिष्क तक जरूर पहुंचेगा।

इलाज क्या है केंसर की बीमारी का ?

  • घरेलू नुस्खे के इस्तेमाल में मशरूम का सेवन लाभदायक होगा।
  • योगा करना।
  • बायोप्सी के जरिये पता लगाना की मस्तिष्क में केंसर कितना बड़ा हैं।
  • ब्रेन की सर्जरी करवाना।
  • रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल |

इस बीमारी से निज़ात के लिए रोकथाम क्या हैं :

 निम्न रोकथामो की तरफ ध्यान देकर आप इस बीमारी से काफी हद तक अपने आप को बचा सकते हैं, जैसे…….,,

 ० ताज़े फल और सब्जियों का अत्यधिक सेवन।

० तंबाकू के सेवन से जितना हो सके बचें।

० वजन का खास ध्यान रखें।

० टीकाकरण कराते रहना चाहिए।

० पर्यावरणीय खतरों से जितना हो सकें खुद का बचाव करें।

  निष्कर्ष :

ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क का कैंसर होने से इसका असर हमारे शरीर पर काफी गहरा पड़ता है ,जोकि हमने और आपने जान ही लिया है। तो अगर ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क का कैंसर के लक्षण आपमें नज़र आए तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें बल्कि किसी अच्छे ब्रेन केंसर हॉस्पिटल का चुनाव करें या फिर लुधियाना में ही  न्यूरो हॉस्पिटल में अपना इलाज करवाए और यदि आप यहाँ पर आए तो यहाँ के अनुभवी चिकित्सक डाॅ. अमित मित्तल से जरूर मुलाकात करें।