कैसे नर्वस सिस्टम को सही किया जा सकता है ? जानिए डॉक्टर से

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कैसे नर्वस सिस्टम को सही किया जा सकता है ? जानिए डॉक्टर से

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नर्वस सिस्टम आमतौर पर हमारे शरीर का एक कंट्रोल सेंटर होता है, जो कि हमारे ब्रेन, रीढ़ की हड्डी स्पाइनल कॉर्ड और नसों के जरिये हमारे पूरे शरीर को चलाता है। आपको बता दें कि यह सिस्टम हमारे सोचने, समझने, महसूस करने, चलने, बोलने, देखने और यहां तक कि हमारे सांस लेने जैसे कई कामों को नियंत्रित करता है। पर इस प्रणाली में जब किसी भी तरह की कोई भी रूकावट या फिर कोई गड़बड़ी पैदा हो जाती है, तो इसको आमतौर पर नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहा जाता है। दरअसल यह नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर की परेशानी किसी भी उम्र में हो सकती है और इस समस्या के लक्षण एक व्यक्ति के लाइफस्टाइल और तंत्रिका प्रणाली पर निर्भर करते हैं। आपको बता दें कि नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर की परेशानी में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना, मांसपेशियों में कमजोरी होना, चलने-फिरने में परेशानी होना, संतुलन की कमी होना, बोलने में दिक्कत होना, सुन्नपन होना या फिर झुनझुनी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।

आमतौर पर यह बीमारी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्तर को प्रभावित करती है। हालांकि इस समस्या को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठता है, कि क्या नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर का इलाज संभव है? क्या इस समस्या को सिर्फ दवाइयों से ही ठीक किया जा सकता है या फिर इसका कोई प्राकृतिक तरीका भी है? तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं। 

नर्वस सिस्टम को कैसे ठीक किया जा सकता है? 

दवाइयों का उपयोग : आपको बता दें कि नर्वस सिस्टम की समस्यायों में दवाइयों का एक बहुत ही मत्वपूर्ण रोल होता है। पर इस दौरान आप दवाइयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी न करें। ऐसा इस लिए कहा जाता है, क्योंकि गलत दवा या फिर गलत डोज से समस्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है।

फिजिकल थेरेपी : दरअसल मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करने के लिए फिजिकल थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि यह मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है। इसके साथ ही शरीर को बहुत अच्छा महसूस होता है। इसके लिए आप इसके एक्सपर्ट की मदद जरूर लें, वह आपकी समस्या के अनुसार सही एक्सरसाइज बताएगा। आपको बता दें कि योग भी नर्वस सिस्टम को मजबूत करने में काफी ज्यादा मदद करता है।

सर्जरी : आपको बता दें कि इसके कुछ मामलों में, जैसे कि गंभीर तंत्रिका दबाव या फिर व्यक्ति को ट्यूमर जैसी गंभीर समस्या होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।आमतौर पर सर्जरी का विकल्प सिर्फ  विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन की सलाह पर ही अपनाना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान : आज के समय में ज्यादातर लोग काम और जिम्मेदारियों की वजह से तनाव और चिंता में ही रहते हैं, जबकि यह उनके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता है। बता दें कि तनाव और चिंता नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। इसलिए आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी है। दरअसल मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मनोवैज्ञानिक की सलाह से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रिजल्ट मिलते हैं।

 स्वस्थ जीवनशैली : रोजाना संतुलित आहार लें, आमतौर पर जिस में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन बी12 और एंटीऑक्सीडेंटस की पर्याप्त मात्रा हो। रोजाना नियमित रूप से कसरत करें, रोजाना समय से भरपूर नींद लें और इसके साथ ही  शराब और तंबाकू जैसी चीजों से अपना बचाव करें। 

नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के लक्षण 

दरअसल जब रीढ़ की हड्डी, नसों और दिमाग के काम करने में गड़बड़ी होने लगती है,  तो तब उसको नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहा जाता है। आपको बता दें कि नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के लक्षण हर व्यक्ति में बहुत अलग-अलग हो सकते हैं, जो आमतौर पर एक व्यक्ति की बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करते हैं। 

  1. व्यक्ति के हाथ और पैरों में झुनझुनी या फिर कमजोरी होना। 
  2. इस दौरान व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना। 
  3. चलने-फिरने में काफी ज्यादा कठिनाई होना। 
  4. बोलने या फिर कुछ भी समझने में परेशानी होना। 
  5. अचानक व्यक्ति को चक्कर आना या फिर बेहोशी होना। 
  6. मानसिक तनाव या फिर डिप्रेशन होना। 
  7. ज्यादातर सिर दर्द होना। 
  8. अपना संतुलन खोना। 
  9. मांसपेशियों में कमजोरी होना। 
  10. दौरे आना। 
  11. कुछ भी देखने में परेशानी होना। 
  12. नींद से जुड़ी समस्याएं होना। 
  13. इस दौरान शरीर की हरकतों पर नियंत्रण न रहना। 

इस दौरान अगर आपको या फिर आपके परिवार, या आपके किसी जानने वाले को इस तरह के लक्षण महसूस होते हैं, तो उस समय तुरंत  डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

निष्कर्ष :  नर्वस सिस्टम शरीर का कंट्रोल सेंटर होता है, जो हमारे पूरे शरीर को चलाता है। यह हमारे कई कामों को नियंत्रित करता है। इस प्रणाली में जब कोई भी रूकावट या गड़बड़ी उत्पन्न होती है, तो इसको नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहा जाता है। नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इस समस्या में व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना, मांसपेशियों में कमजोरी होना, चलने-फिरने में परेशानी होना, संतुलन की कमी होना, बोलने में दिक्कत होना, सुन्नपन होना या फिर झुनझुनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह समस्या व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक दोनों स्तर को प्रभावित करती है। पर सही समय पर इसका उपचार और सावधानी से इस को कंट्रोल किया जा सकता है। दवाइयों के साथ-साथ लाइफस्टाइल में सुधार, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान और प्राकृतिक उपचार इसको बेहतर बनाने में मददगार होते हैं। यदि आपको या आपके किसी जानने वाले को किसी भी तरह के नर्वस सिस्टम के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इस दौरान आपका एक्सपर्ट या डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेना बेहद जरूरी है। अगर आपको भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी है और आपको भी नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर की समस्या है और आप इस समस्या का इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1. जब नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाता है तो क्या होता है?

हम सभी के शरीर में नर्वस सिस्टम एक बहुत ही अहम भूमिका निभाता है और जब व्यक्ति का नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो इसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस दौरान व्यक्ति को थकान, चक्कर आना, हाथ-पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी, याददाश्त की कमी, मूड स्विंग्स, नींद की समस्या और इसके साथ ही रिएक्शन देने में सुस्ती जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नर्वस सिस्टम के कमजोर होने से एक व्यक्ति को चलने-फिरने में असंतुलन, बोलने में रुकावट और ध्यान केंद्रित करने में भी  काफी ज्यादा कठिनाई होती है। आमतौर पर इसका समय पर इलाज न किये जाने पर यह समस्या एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का रूप ले सकती है।

प्रश्न 2. ब्रेन पावर को बढ़ाने के लिए क्या करें?

आपको बता दें कि अपनी दिमागी शक्ति को बढ़ाने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और एक अच्छी नींद को लेना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। इसके लिए आप अपनी रोजाना डाइट में बादाम, अखरोट, अश्वगंधा, हरी सब्जियां, फल और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त चीजों को शामिल करें। आमतौर पर नियमित रूप से  मेडिटेशन और प्राणायाम करने से मानसिक तनाव काफी कम होता है और इसके साथ ही एकाग्रता बढ़ती है। आपको बता दें कि नई चीजों को सीखने की आदत, जैसे किताब पढ़ना या पहेली हल करना, ब्रेन को एक्टिव बनाए रखने में मदद करती है। इस दौरान आप मोबाइल और टीवी का इस्तेमाल सीमित करें। आप रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और आप कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें। 

प्रश्न 3. दिमाग के लिए कौन सा योग करें?

आमतौर पर अपने दिमाग को तेज और स्वस्थ बनाने के लिए योग सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। दरअसल अपने दिमाग की शक्ति को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, कपालभाति और श्वासन योगासन प्रभावी माने जाते हैं। बता दें कि यह प्राणायाम दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाते हैं, जिसकी वजह से एकाग्रता, स्मरण शक्ति और मानसिक शांति मिलती है।

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How Positive Thinking Can Influence Your Cells And Boost Your Health?

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Positive cells are not medically termed; they refer to the cells in the body that respond positively to mental and emotional well-being, particularly through practices such as positive thinking, gratitude, and mindfulness. Research reveals that our thoughts and emotions can significantly impact health including various other cells. 

Positive cells and their roles

Every positive thought can help your body to heal, protect, and thrive from the inside out. Here’s the explanation of positive cells and their roles: 

  • Immune Cells: They protect the body against viruses, bacteria, and other abnormal cells. It helps in reducing stress to enhance their activity and boosting immunity.
  • Stem Cells: They support healing and regenerate the damaged tissues. Also reduced stress hormones in positive thinking may support better stem cell function.
  • Brain Cells: Brain cells support memory, and emotional regulation to increase resilience and improve mental well-being.
  • Endothelial Cells: These cells help to improve a positive mindset to heart health and reduce inflammation.
  • Telomeres in Chromosomes: It protects DNA during cell division and a positive thinking is linked to longer telomeres, which are associated with slower cellular aging.

What impact does positive thinking have on your cells?

Positive thinking has a significant impact on cell health and the other body function. It reduces stress and promotes a positive emotional state, it can influence various cellular processes and lead to improved overall well-being. Whereas, negative thinking can impact physical as well as mental well-being. It triggers body stress and various health issues. 

  • Reduce stress level: Positive thinking helps overall well-being while lowering cortisol levels. Negative thoughts trigger the release of cortisol, a stress hormone that can damage cells over time. 
  • Improve immune system: Positive emotions and attitudes can boost its ability to fight against infections and diseases. Research shows that optimists tend to have stronger immune responses, including increased antibody production.
  • Neuroplasticity: Positive thinking can promote neuroplasticity, which is the brain’s ability to change and adapt. It is helpful in improving cognitive function. 
  • Cellular repair and regulation: Some suggest that thoughts and emotions, including positive ones, can influence the vibrations of cells at a cellular level. 
  • Protect telomere: Positive thinking, emotional well-being and optimism are linked to longer telomeres, slowing the aging process at the cellular level.

Conclusion

Positive thinking has a great impact not just on the mindset but also on your overall well-being. It helps in reducing stress, supporting the immune system, protecting DNA (telomeres), and improving brain cell performance. Negative thinking invites many unwanted diseases and leads to chronic stress and other health issues. A positive outlook helps your body function more efficiently and age more gracefully. It reinforces the idea that your thoughts can shape your biology. Neuro Life Brain and Spine Centre in Ludhiana bring up not only mental well-being but also our physical health at the cellular level.

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मस्तिष्क के स्वास्थ्य से जुड़े कुछ अज्ञात सीमाओं की खोज, जाने एक्सपर्ट्स से इन रहस्यों के बारें में

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मानव मस्तिष्क के रहस्यों को उजागर करने के लिए लिए वैज्ञानिकों के कई तरह की खोज में अपनी भूमिका को निभाया है, जिसमें शामिल है मानव जीनोम का अनुक्रमण, तंत्रिका संबंध के लिए नए उपकरणों का विकास, इमेजिंग तकनीकों के रिज़ॉल्यूशन का बढ़ना,  नैनो विज्ञान की परिपक्वता, जैविक इंजीनियरिंग का उदय आदि है | आइये जानते है ऐसे ही कुछ खोजों के बारे में, जो मस्तिष्क से जुड़े रहस्यों के बारे में ज्ञान को बढ़ाता है :- 

मस्तिष्क से जुड़े रहस्यों के बारे में कुछ बातें

  • मस्तिष्क विचारों, विश्वासों, अच्छी और बुरी यादें, व्यवहार और मानव के मूड का केंद्र स्थान होता है | 
  • मस्तिष्क हिलने, छूने, सूंघने, स्वाद लेने, सुनने और देखने की क्षमताओं में अपनी अहम भूमिका को निभाने का कार्य करता है |  
  • मस्तिष्क में अरबों की मात्रा में कोशिकाएं मौजूद होती है, जिनके बीच आपस में आंतरिक संचार होता रहता है | 
  • मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियां, तंत्रिका कोशिकाएं से होने वाली इलेक्ट्रिकल इम्पल्स से उत्पन्न होती है | 
  • मस्तिष्क को लगातार पोषक तत्वों की ज़रुरत पड़ती है | 
  • मस्तिष्क में मौजूद तीन मुख्य भाग होते है:- पहला है सेरेब्रम, दूसरा है मस्तिष्क स्तम्भ और तीसरा है सेरिबैलम | 
  • मस्तिष्क में मौजूद कोशिकाएं संचार के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग तरीके को बनता है | 

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने यह बताया कि मानव का मस्तिष्क, न्यूरॉन्स और सिनेप्स का जटिल जाल के साथ-साथ, वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए हमेशा से ही सबसे रहस्यमयी क्षेत्रों में से एक रहा है | हालांकि इसकी संरचना और इसमें ज़रिये होने वाले कार्यों को समझने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति हो गयी है, लेकिन मस्तिष्क से जुड़े कुछ रहस्य ऐसे भी है, जिसको सुलझाना वैज्ञानिकों के लिए अभी भी बाकि है | आइये जानते है जानते है ऐसे ही कुछ अज्ञात सीमाओं के बारे में :- 

न्यूरोप्लास्टिसिटी :- मस्तिष्क का अद्भुत अनुकूलनशीलता 

न्यूरोप्लास्टिसिटी मस्तिष्क का सबसे रहस्मयी और दिलचस्प पहलू में से एक है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह खुद को ही फिर से जोड़ने और आकार देने के काबिल होता है | पहले के दशक में यह माना जाता था की मस्तिष्क की सरंचना वयस्क के दौरान तय हो जाती है, लेकिन एक शोध से यह बात सामने आयी है की मानव मस्तिष्क जीवन भर के लिए लचीला रहता है | यह अद्भुत अनुकूलनशीलता न्यूरोलॉजिकल से जुडी स्थितियों के इलाज के लिए और संज्ञानात्मक से जुड़े कार्य को बढ़ाने के लिए आशाजनक की तरह होता है, लेकिन न्यूरोप्लास्टिसिटी से जुडी सीमाओं को समझने और स्मृति के लिए अभी भी इसके निहितार्थों के बारे में सवाल उठते है | 

चेतना :- आत्म-जागरूकता का रहस्य 

चेतना की प्रकृति-जीवित और जागरूकता होने का मनुष्यपरक अनुभव, वैज्ञानिकों के लिए अभी भी एक पहेली बनी हुई है, जैसे कि यह हमारे आत्म-भावना को क्या जन्म देता है ?, मस्तिष्क मानव सचेत विचार और धारणाएं को कैसे उत्पन्न करने के काबिल होता है ? आदि पहेलियाँ शामिल है | दशकों से एक शोध के होने के बावजूद भी वैज्ञानिकों के लिए अभी तक चेतना के अंतनिर्हित को पूर्ण रूप से समझाना कठिन हो गया है | इस रहस्य की खोज से मानव अस्तित्व की प्रकृति और मन-मस्तिष्क संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त होने में मदद मिल सकती है | 

सपना :- अचेतन मन का द्वार

पिछले हज़ारों वर्षों से सपने, व्यक्तियों को आकर्षित और हैरान कर देने वाली स्थिति रही है | सपने व्यक्तियों के लिए अचेतन मन की खिड़कियों की तरह काम करती है | सपने किस उद्देश्य से बनाये जाते है और उन्हें हम क्यों देखते है, इसका आज-तक वैज्ञानिकों को भी नहीं पता चल पाया है | हालाँकि स्मृति समेकन से लेकर भावनात्मक प्रसंस्करण तक कई तरह के सिद्धांत मौजूद है, लेकिन अभी भी सपनों के आने का असली उद्देशय अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है | सपनों के रहस्यों के उजागर के बाद इसकी अनुभूति और चेतना के मूलभूत के पहेलियों पर प्रकाश पड़ सकता है | 

मस्तिष्क की अंतिम सीमा 

जैसे-जैसे हम मस्तिष्क से जुड़े अज्ञात सीमाओं का उजागर किया जाता है, उतना ही हमे इसके रहस्यों और अंतनिर्हित प्रश्नों का सामना करना पड़ जाता है | भावनाओं और रचनात्मक की जटिलताओं से लेकर स्वतंत्र इच्छा की पहेली तक, मस्तिष्क अपनी असीम जटिलताओं से हमे हमेशा से ही चका-चौंध करते आया है | जैसे-जैसे वैज्ञानिक मस्तिष्क से जुड़े ज्ञान की सीमाओं में आगे बढ़ते जा रहा है, यह अगली सफलता और अँधेरे में रौशनी डालने में मदद कर सकता है | 

यदि इस विषय के बारे अधिक जानकारी को प्राप्त करना चाहते है तो इसमें न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर आपको पूर्ण रूप से मदद कर रहा है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ब्रेन और स्पाइनल न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है जो पिछले 15 वर्षों से मस्तिष्क और स्पाइन से जुड़ी समस्याओं का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

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ब्रेन ट्यूमर से जुड़े कुछ संकेत और लक्षण, जिसे नज़रअंदाज़ करना पड़ सकता भारी

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ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी गंभीर समस्या है, जो आपके जीवनकाल को बदल सकता है | इसके प्रभावी उपचार के लिए लक्षणों का सही समय पर पता लगाना बेहद ज़रूरी होता है, ताकि ब्रेन ट्यूमर के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर यह पीड़ित व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है | आइये जानते है ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती संकेतों और लक्षणों के बारे में :- 

ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती संकेत और लक्षण कौन-से होते है ? 

  • सिरदर्द :- गंभीर और लगातार सिरदर्द होना, ब्रेन ट्यूमर से जुड़ा सबसे आम लक्षण है | अब अगर बात करें ब्रेन ट्यूमर में कैसा महसूस होता है तो इससे होने वाला सिरदर्द माइग्रेन, साइनस दर्द, आँखों में दर्द और तनाव में होने से उत्पन्न दर्द की तरह हो सकता है | कई बार यह सिरदर्द सुबह के समय, झुकने के समय और लेटने के समय स्थिति को बद-बदतहर कर सकता है और यह दर्द नींद के समय खलल डालने का काम कर सकता है | 
  • दौरे पड़ने यानी सीज़र्स :- दौरे पड़ना ब्रेन ट्यूमर के शुरूआती लक्षण हो सकते है | एक व्यक्ति को दौरे तब पड़ते है जब मस्तिषक में असामान्य विद्युत गतिविधि उत्पन्न हो जाती है | ब्रेन ट्यूमर के कारण 100 में से 80 प्रतिशत लोगों को दौरे पड़ने की समस्या हो सकती है | इसके अलावा वयस्कों में नए-नए दौरे के लिए 30 प्रतिशत तक मस्तिष्क जिम्मेदार रहता है | 
  • मतली और उल्टी का होना :- ब्रेन ट्यूमर के कारण पीड़ित व्यक्ति को मतली और उलटी की समस्या से गुजरना पड़ सकता है | ऐसा इसलिए होते है क्योंकि जब ब्रेन ट्यूमर बढ़ने लग जाता है, इससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ने लग जाता है, जिससे इंट्राक्रैनिल दबाव भी कहा जाता है, इससे व्यक्ति को मतली और उलटी की समस्या हो सकती है | इसके अलावा ब्रेन ट्यूमर हार्मोन के स्तर को प्रभावित करने लग जाता है, जिससे मतली होने लग जाता है |
  • आंखों की दृष्टि संबंधी समस्या :- ब्रेन ट्यूमर की वजह से आंखों की दृष्टि धीरे-धीरे कमज़ोर हो सकती है या फिर यह अचानक से भी हो सकता है | इसके अलावा आँखों के दृष्टि में धुँधलापन आना, दोहरी दृष्टि की समस्या का होना, आंखों में असामन्य गतिविधि, भेंगेपन की समस्या और दृष्टि का सीमित क्षेत्र होना आदि आँखों से जुडी समस्या उत्पन्न हो सकती है | हालाँकि ब्रेन ट्यूमर दुर्लभ होता है, जिसका अर्थ यह है की अधिकतर आँखों से जुड़े समस्या ब्रेन ट्यूमर के असंबंधित स्थितियों के कारण होता है | 
  • व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आना :- कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आ सकता  है | वह प्रेरणा की कमी से लेकर चिड़चिड़े हो सकते है, इसके अलावा वह निश्चयात्मक भी हो सकते है | हलाकि कई मामलों में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होता | 
  • सुनने की क्षमता कम होना :- ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित व्यक्ति में सुनने की क्षमता कम हो सकती है | खासकर तब, जब ट्यूमर श्रवण तंत्रिकाओं के पास स्थित हो | 
  • कमज़ोरी या भद्दापन होना :- ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के ताकत और हरकतों को नियंत्रित करने के क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे शरीर के एक तरफ कमज़ोरी या भद्दापन हो सकता है | 
  • संतुलन करने में कठिनाई होना :- सेरिबैलम या फिर उसके आसपास ट्यूमर के उत्पन्न होने से समन्वय या फिर संतुलन करने में कठिनाई हो सकती है | 
  • बोलने में कठिनाई होना :- सोचने, बोलने और सही शब्द को चुनने में समस्या होना, मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्से में प्रभावित करने वाला ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हो सकते है |      

ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती संकेतों और लक्षणों को समझना, शुरुआती निदान और उपचार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है | यदि आप या फिर आपका कोई भी परिजन ब्रेन ट्यूमर जैसे गंभीर समस्या से पीड़ित है और स्थायी रूप से अपना इलाज करवाना चाहत है तो इसमें न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के डॉक्टर अमित मित्तल पंजाब के बेहतरीन ब्रेन और स्पाइन के न्यूरोसर्जन में से के है, जो पिछले 15 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अपोईंमेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर मौजूद नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |

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स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस के मुख्य लक्षण कौन-से है और कैसे पाया जा सकता है इस समस्या से निजात ?

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न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो  में यह बताया की रीढ़ की हड्डी में होने वाली ट्यूबरक्लोसिस की समस्या की शुरुआत इंटर वर्टिबल डिस्क से होता है, जो रीढ़ की हड्डी में फैलने लग जाता है | स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिसि जैसी गंभीर समस्या का सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है, इलाज में देरी होने पर इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति अपाहिज तक हो सकता है | 

 

एक शोध से यह बात सामने आयी है की स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस जैसी समस्या का शिकार अकसर युवा ही होता है और इसके साथ ही इस समस्या के लक्षण बहुत ही साधारण होते है, जिसे हर पीड़ित व्यक्ति अक्सर नज़रअन्दाज़ कर देता है | आइये जानते है स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस प्रमुख लक्षण कौन-कौन से है :- 

 

  • पीठ और कमर में अकड़न की समस्या होना 
  • टीबी से प्रभावित क्षेत्र में सोने के दौरान असहनीय दर्द का उत्पन्न होना 
  • रीढ़ की हड्डी में झुकाव का आना 
  • पीड़ित व्यक्ति के हाथों और पैरों में कमज़ोरी और सुन्नता जैसे प्रतीत होना 
  • पैरों और हाथों के मांसपेशियों में खिचाव पड़ना 
  • पेशाब करने में परेशानी होना 
  • सांस लेने में दिक्कत होना 

 

डॉक्टर अमित मित्तल ने भी बताया की किसी भी व्यक्ति को कमर दर्द और गर्दन दर्द जैसी स्थिति को बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, यदि व्यक्ति को हो रहे कमरदर्द और गर्दनदर्द को चार सप्ताह से अधिक हो गया है तो यह स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस होना का संकेत हो सकता है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी | 

 

यदि आप स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस जैसी समस्या से पीड़ित है इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने में आपकी पूर्ण रूप से सहायता कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें  

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शरीर के लिए फोलिक एसिड क्यों होता है ज़रूरी तत्व, जाने कौन-सी बिमारियों को यह रखता है दूर?

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एक मानव शरीर को प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्वों की ज़रुरत पड़ती रहती है | हालाँकि सभी तरह के पोष्टिक तत्वों का कार्य शरीर के अलग-अलग क्रिया को ठीक तरीके से करने के लिए होता है | अगर इसमें से किसी भी पौष्टिक तत्व की शरीर में कमी हो जाती है तो इससे शरीर के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है, जिससे यह किसी भी बीमारी के चपेट में आ सकती है | उन्ही में से एक बहुत ही खास पौष्टिक तत्व होता है, जो सेहत के लिए बेहद ज़रूरी पौष्टिक तत्व माना जाता है, उसका नाम है फोलिक एसिड | आइये जानते है फोलिक एसिड के बारे में विस्तापूर्वक से और यह भी जानेगे की यह शरीर के इतना ज़रूरी क्यों होता है :- 

फोलिक एसिड क्या है ? 

 

फोलिक एसिड को विटामिन बी के नाम से भी जाना जाता है, जो मुख्य रूप से खट्टे फल, फल्लियां और साग-सब्ज़ियों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते है | हलाकि इसकी कमी होने पर किसी न किसी खाद्य पदार्थ के जरिये इसको पूरा कर सकते है | लेकिन कई विशेष स्थिति में विटामिन बी की कमी होने के कारण यह कई तरह की बिमारियों का शिकार हो सकती है | आइये जानते है किन-किन पदाथों में फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद होते है :- 

 

इस खाद्य पदार्थों में फोलिक एसिड होता है मौजूद 

 

वैसे तो कई तरह के खाद्य पदार्थों में फोलिक एसिड मौजूद होते है, लेकिन अगर इसके मुख्य स्त्रोत खाद्य पदार्थ की बात करें तो हरी-पत्तेदार सब्ज़िया जैसे की पालक, पत्ते वाले सलाद और ब्रोकोली, बिन्स और मूंगफली, सूरजमुखी के बीज, सी-फ़ूड, अंडा, मटर आदि जैसे भोजन तत्वों में फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाए जाते है | आइये जानते है फोलिक एसिड कौन-सी बिमारियों से दूर करने का कार्य करता है :- 

 

इन बीमारियों को करता है फोलिक एसिड दूर 

 

  • हेयर फॉल की समस्या को करता है कम :- यह सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा, परन्तु यह बात बिलकुल सच है की फोलिक एसिड के सेवन से हेयर फॉल की समस्या को कम किया जा सकता है | कई बार सही खानपान न होने के कारण लोगों को पर्यात रूप से फोलिक एसिड मिल नहीं पता, जिसकी वजह से उन लोगों को हेयर फॉल की समस्या से जूझना पड़ जाता है | यदि आप हेयर फॉल की समस्या से छुटकारा पाना चाहते है तो इसके लिए आपको पर्याप्त रूप से फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए | 

 

  • गर्भवती महिलाओं के लिए है फायदेमंद :- गर्भवती महिलाओं के फोलिक एसिड सुपर फ़ूड से कम नहीं | ऐसा इसलिए क्योंकि फोलिक एसिड गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग और रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ बाकि अंगों के सामान्य विकास और वृद्धि में आपकी एहम भूमिका को निभाता है | इसलिए डॉक्टर प्रत्येक गर्भवती महिला को फोलिक एसिड सेवन करने की सलाह ज़रूर देते है | 

 

  • पुरुषों में फर्टिलिटी को बढ़ाएं :- इनफर्टिलिटी की समस्या अब धीरे-धीर बहुत ही आम समस्या बन गयी है | खराब वातावरण और खराब खानपान होने के कारण कई पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या देखने को मिल रही है | एक रिसर्च के दौरान यह पता चला है की फोलिक एसिड के पर्याप्त रूप से सेवन करने से पुरुषों में इनफर्टिलिटी की क्षमता में सुधार किया जा सकता है | 

 

  • स्ट्रेस को करता है कम :- कई लोग अलग-अलग परेशानियों के कारण स्ट्रेस की समस्या से जूझ रहे होते है, लेकिन आपको बता दें कि फोलिक एसिड के सेवन से स्ट्रेस की समस्या को कम किया जा सकता है | यदि आपको भी ऑफिस या फिर घर से जुड़ी समस्याओं के कारण बात-बात पर स्ट्रेस हो जाता है तो उसको कम करने के पर्याप्त रूप से फोलिक एसिड का सेवन करें | 

 

  • कैंसर से बचाने में है सक्षम :- कैंसर जैसी गंभीर समस्या से बचने के लिए फोलिक एसिड का सेवन आपके शरीर के लिए बहुत कारगर साबित हो सकता है | एक लैब टेस्ट में यह पाया गया है की पर्याप्त रूप से फोलिक एसिड का सेवन करने से, यह शरीर में कैंसर सेल को विकसित नहीं होने देता है, यही कारण है कई लोग कैंसर का शिकार होने से बच जाते है | 

यदि आप में से कोई भी दिमाग और रीढ़ की हड्डी से जुडी किसी भी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है और इलाज करवाना चाहते है तो इसमें न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ब्रेन एंड स्पाइन न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 15 वर्षों से ब्रेन और स्पाइन से जुडी समस्या से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से संपर्क कर सकते है |   

        

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स्ट्रोक के मुख्य लक्षण कौन-से है? जानिए F.A.S.T के मदद से कैसे पता करे स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण

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एक व्यक्ति के मस्तिष्क को सही तरह से काम करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और धमनियां के माध्यम से व्यक्ति के मस्तिष्क में ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाती है | स्ट्रोक की समस्या तब उजागर होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है या फिर रक्त की वाहिका फट जाती है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आपके मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में सही मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होता तो इससे मस्तिष्क पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालता है जिस कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या फिर मर जाती है |  

 

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट यूट्यूब शॉर्ट्स के द्वारा से यह बताया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्ट्रोक के होने मुख्य लक्षण और संकेत एक जैसे ही होते है, जो कि निम्नलिखित है :- 

  • आपके चेहरे या हाथ या फिर पैर एक तरफ से कमज़ोर या सुन्नता हो जाना 
  • भ्रम का होना, बोलने में परेशानी होना और किसी बात को समझने में दिक्कतों का सामना करना 
  • दोनों आँखों से देखने में परेशानी का होना 
  • चलने में परेशानी होना, बार-बार चक्कर आना 
  • शरीर को संतुलन या समन्वय की कमी होना 
  • बिना किसी वजह से सिर में तीव्र दर्द होना 
  • कुछ समय के लिए बेहोश हो जाना 
  • किसी स्पष्ट कारण के बिना गिर जाना   
  • स्ट्रेंथ की कमी होना 

 

स्ट्रोक के लक्षणों में F.A.S.T है कैसे फायदेमंद ?

डॉक्टर अमित मित्तल ने बताया की F.A.S.T का उपयोग लोगों को यह याद दिलाने के लिए किया जाता है कि, इस दौरान स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान कैसे करे और क्या करना चाहिए | FAST  का अर्थ है :- 

  1. F : चेहरा का झुकना – यह देखे कि वह व्यक्ति का चेहरा मुस्कुराने के दौरान लटक तो नहीं रहा | 
  2. A : बांह में कमजोरी का आना – यह सुनिश्चित करे व्यक्ति को दोनों उठाने पर कोई ढीला या फिर कमज़ोर तो नहीं हो   गया | 
  3. S : बोलने में परेशानी – यह देखे कि व्यक्ति को सरल वाक्य बोलने के समय अस्पष्ट या फिर अजीब लगने वाले शब्द तो नहीं बोल रहा | 
  4. T : आपातकालीन सेवाओं को संपर्क करें – स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति का हर समय महतवपूर्ण होता है, इसलिए बेहतर यही है की आपातकालीन सेवाओं को संपर्क करे | 

 

यदि आपको या फिर आपके किसी साथी को स्ट्रोक के किसी भी तरह लक्षण दिखाई दे रहे है तो समय बिलकुल भी न   गवाएं और जल्द-जल्द नज़दीकी आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करे | इससे जुडी कोई भी जानकारी लेना चाहते हो तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है, यहाँ के डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरोसर्ज़न में एक्सपर्ट है, जो आपको इस समस्या को कम करे में आपकी मदद कर सकते है |

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जानिए क्या है ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स और कैसे किया जाता है इनका उपचार?

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ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स की अगर बात करें तो दोनों ही हमारे शरीर से जुड़े हुए भाग है। वही ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स की समस्या किन कारणों से होती है और इनको हम कैसे ठीक कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो आप भी अगर इस तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ;

क्या है ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स ?

  • “ब्रेन डिसऑर्डर्स” की बात करें तो ये व्यक्ति को तब प्रभावित करते है जब व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है, वही जब दिमाग क्षतिग्रस्त होता है तो यह आपकी स्मृति, आपकी संवेदना और यहां तक ​​कि आपके व्यक्तित्व सहित कई अलग-अलग चीजों को प्रभावित कर सकता है। 
  • इसके अलावा “स्पाइन डिसऑर्डर्स” की अगर बात करें तो ऐसा होने पर आपको कंधे से लेकर गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है, आप गर्दन और पीठ में दर्द, जलन या चुभन सी महसूस कर सकते है। ब्लैडर या आंत में खराबी, जी मिचलाना, उल्टी और हाथ-पैरों मे दर्द की समस्या हो सकती है, पैरालाइज, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना भी स्पाइन डिसॉर्डर के अंतर्गत ही आते है।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चुनाव करें।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स के लक्षण क्या है ? 

  • “स्पाइन डिसऑर्डर्स” की बात करें तो इसमें रीढ़ की हड्डी का सुन्न होना शामिल है। 
  • कमज़ोरी की समस्या। 
  • गर्दन या पीठ में हल्के या तेज जलन वाले दर्द का अनुभव करना। 
  • उल्टी या मतली की समस्या। 
  • कंधे या पीठ का गोल होना। 
  • आंत्र या मूत्राशय की शिथिलता का सामना करना।
  • “ब्रेन डिसऑर्डर्स” की बात करें तो इसमें सिर दर्द, चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी, खासकर शरीर के एक तरफ।
  • अचानक भ्रम की स्थिति का सामना करना। 
  • बोलने में परेशानी का सामना करना। 
  • भाषण समझने में कठिनाई का सामना करना। 
  • एक या दोनों आँखों से देखने में अचानक परेशानी। 
  • चलने में अचानक परेशानी, या चक्कर का आना।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स का इलाज क्या है ?

  • स्पाइन डिसऑर्डर्स की यदि बात करें तो इस समस्या की वजह से किसी इंसान को स्पाइनल ट्यूमर हो सकता है और जब ट्यूमर की समस्या होती है तो इसके लिए व्यक्ति को सर्जरी करानी पड़ सकती है और इस सर्जरी में रेडिएशन थैरेपी या कीमोथैरेपी की जा सकती है। इसके अलावा अन्य स्पाइन डिसॉर्डर के लिए बैक ब्रेसिंग, इंजरी के लिए आइस या हीट थैरेपी, इंजेक्शन, दवाएं, पीठ या पेट की मांसपेशियों की मजबूती के लिए फिजिकल थैरेपी जैसे विकल्प मौजूद है। 
  • ब्रेन डिसऑर्डर्स की बात करें तो इसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को प्रबंधित करने और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के परामर्श और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी। अल्जाइमर और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी कुछ स्थितियों के लक्षणों में सुधार करने और स्ट्रोक की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन। 

यदि आपको अपने ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स का इलाज सर्जरी के माध्यम से करवाना है तो इसके लिए आप लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करें।

ब्रेन और स्पाइन डिसऑर्डर्स के लिए बेस्ट हॉस्पिटल व सेंटर !

अगर आपके ब्रेन या स्पाइन के हिस्से में किसी तरह की गंभीर चोट लग गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर के अनुभवी डॉक्टरों और सर्जनों का चयन करना चाहिए ताकि आपको आपकी समस्या का हल मिल सकें।

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किन पांच चीजों के इस्तेमाल से कभी भी बढ़ सकता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा !

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दिमाग में होने वाला स्ट्रोक बहुत ही गंभीर होता है। वही इसके प्रभाव सेहत पर लंबे समय तक बने रह सकते है। जिसे ब्रेन अटैक भी कहा जा सकता है। तो बात करें इससे ठीक होने की संभावना सभी में अलगअलग हो सकती है। इसके अलावा किन चीजों के इस्तेमाल से ये समस्या और बढ़ सकती है और हम किन कारणों के बारे में जानकर इस समस्या से निजात पा सकते है, तो अगर आप भी ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से निजात पाना चाहते है तो आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ;

क्या होता है स्ट्रोक ?

  • लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट बताते है की स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब आपके मस्तिष्क के हिस्से में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं हो पाता।

  • यह आमतौर पर मस्तिष्क में अवरुद्ध धमनी के कारण बाधित हुए रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन के कारण या मस्तिष्क में रक्त धमनी फटने की वजह से हुए रक्तस्राव के कारण होता है।

  • वही रक्त की निरंतर आपूर्ति के बिना, उस क्षेत्र में मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी से मरने लगती है जो कि स्ट्रोक का रूप लेता है, जिसे ब्रेन डैमेज भी कहा जाता है।

किन कारणों से बढ़ता है स्ट्रोक का खतरा ?

  • हाई ब्लड प्रेशर के कारण।

  • ब्लड में शुगर का हाई लेवल होना।

  • मोटापे की समस्या के कारण।

  • कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना।

  • बढ़ती उम्र भी इसके एक कारणों में शामिल है।

स्ट्रोक का खतरा किन चीजों के इस्तेमाल से बढ़ता है ?

  • पहली चीज अगर आप चाहते है की स्ट्रोक का खतरा न बढ़े तो इसके लिए व्यक्ति को ब्रेड का सेवन नहीं करना चाहिए क्युकि ब्रेड में सोडियम का लेवल सबसे ज्यादा होता है। इसलिए दिमागी आघात से बचने के लिए हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ब्रेड नहीं खाना चाहिए।

  • सैंडविच के अंदर भी ब्रेड वाले मिनरल बहुत मात्रा में पाया जाता है। क्योंकि, इसमें ब्रेड की दो स्लाइस, मस्टर्ड सॉस, चीज़ आदि इंग्रीडिएंट्स होते है। और इन सभी चीजों के अंदर स्ट्रोक लाने वाला सोडियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

  • इसके अलावा अगर आपको उच्च रक्तचाप की बीमारी है, तो अंडे और ऑमलेट को भी नियंत्रित मात्रा में खाएं।

  • स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए आपको पिज्जा, सूप, चिकन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से बचे क्युकि आप रोजाना अगर सॉफ्ट ड्रिंक्स का इस्तेमाल करते है तो आपको स्ट्रोक पड़ने का खतरा 40 फीसदी और बढ़ सकता है।

लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का कहना है की अगर आप चाहते है की आपको स्ट्रोक के कारण अपने दिमाग की सर्जरी न करवानी पड़े तो इसके लिए आपको उपरोक्त खाने की चीजों से परहेज करना होगा।

स्ट्रोक के लिए बेस्ट हॉस्पिटल व सेंटर !

  • स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा और ये बदलाव आप कैसे ला सकते है इसके बार्रे में जानने के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन करना चाहिए।आपको बता दे की यहाँ के अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट के द्वारा आपको काफी अच्छे से सलाह दी जाएगी की आपको स्ट्रोक की समस्या के लिए कैसे जीवनशैली को अपनाना है और इस समस्या के लिए आपको सर्जरी का चयन करना चाहिए या दवाई के बल पर आपकी परेशानी ठीक हो सकती है।

निष्कर्ष :

  • स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक की समस्या काफी खतरनाक है, इसलिए इस समस्या के उत्पन्न होते ही जल्द डॉक्टर के सम्पर्क में आए।

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शरीर में गंभीर लक्षण दिखने पर फौरन करें डॉक्टर का चयन !

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अगर हमे ज़िन्दगी अच्छे से जीना है तो उसके लिए हमारे शरीर का स्वास्थ्य रहना बहुत जरूरी है। इसके अलावा अगर हमारे शरीर में कोई भी समस्या हो तो उसके लिए हमे जल्दी ही डॉक्टर का चयन कर लेना चाहिए, तो वही ऐसे कौन-से लक्षण है जो अगर हममें दिखे तो हमे सतर्क हो जाना चाहिए, इसके बारे में बात करेंगे। इसलिए अगर आप चाहते है कि आपका शरीर स्वास्थ्य रहें तो इसके लिए आपको आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए ;  

शरीर को स्वास्थ्य रखने के लिए क्या करना चाहिए ?

  • इसके अलावा योग को भी अपनी रोजाना की दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। क्युकि योग करने से व्यक्ति निरोग रहता है। 

शरीर में किसी भी तरह की समस्या कब उत्पन होती है ?

  • जब हमारे द्वारा हद से ज्यादा एक ही जगह पर बैठ कर काम किया जाता है तो हमारे शरीर में तरह-तरह की समस्या उत्पन हो जाती है जैसे, सिर, गर्दन और पीठ में दर्द का होना।  
  • भाग दौड़ भरे दिन की शुरुआत करने के चक्कर में हम हेल्थी डाइट नहीं ले पाते या हम अपने खान-पान की तरफ अच्छे से ध्यान नहीं दे पाते जिसकी वजह से हमारे शरीर में तरह-तरह की समस्या उत्पन हो जाती है और ये समस्या कई बार सर्जरी का रूप भी धारण कर लेती है।  

अगर आपके शरीर में भी उपरोक्त समस्या उत्पन हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोसर्जन लुधियाना के सम्पर्क में आना चाहिए। 

शरीर में कौन-से लक्षण दिखने पर हम अस्वास्थ्य महसूस करते है ?

  • “हाथ और पैरों में झनझनाहट” अक्सर लोगों को मामूली बात लगती है। लेकिन हाथ और पैरों में झनझनाहट की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो ये गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। कई बार हाथ और पैरों में झनझनाहट नसों में ब्लॉकेज की वजह से हो सकती है। इसके अलावा आपको चलने के दौरान पैरों में दर्द, छोटी-छोटी बातों को भूलने जैसी समस्या आपमें उत्पन हो गई है तो इसके लिए आपको तुरंत बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से संपर्क करना चाहिए। 
  • कई घंटों तक लगातार एक ही पोजीशन में बैठकर कोई काम करने या लगातार गर्दन को एक ही पोजीशन में रखने की वजह से दर्द की समस्या हो सकती है। लगातार गर्दन में दर्द रहने पर भी आपको तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। 
  • अगर आपको लगातार सिर में दर्द रहता है। लेकिन ये दर्द सिर के आगे और पीछे वाले हिस्से में लगातार समस्या बन चुकी है तो आप तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करें। डॉक्टर के मुताबिक लगातार सिर में दर्द रहने की वजह से कई मानसिक और शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं। कई बार ये दर्द नसों को प्रभावित कर सकती है, जिसकी वजह से आपको परेशानी उठानी पड़ सकती हैं। तो वही कुछ अनुभवी डॉक्टरों का मानना है की सिर दर्द की परेशानी कई बार स्क्रिन (screen) देखने की वजह से भी हो सकती है। 

सुझाव :

अगर आपके शरीर में भी उपरोक्त लक्षण दिखाई दे रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन कर लेना चाहिए। 

निष्कर्ष :

शरीर में किसी भी तरह की समस्या आने पर जल्द ही डॉक्टर का चयन करें, और अपनी सेहत का खास ध्यान रखें।