क्या दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है टॉयलेट में फोन चलाना? डॉक्टर से जाने कैसे

Categories
brain health Hindi mental health

क्या दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है टॉयलेट में फोन चलाना? डॉक्टर से जाने कैसे

Loading

आज कल फोन हमारी जिंदगी के लिए एक बहुत ही बड़ी जरूरत बनकर खड़ा हो गया है। चाहे लोगों को सुबह उठते ही खबर पढ़नी हो, दिनभर सोशल मीडिया स्क्रॉल करना हो या फिर रात को सोने से पहले वीडियो को देखना हो, आम तौर पर हमारा दिमाग हर वक्त स्क्रीन से जुड़ा रहता है। दरअसल फोन से एक पल भी दूर रह पाना लोगों के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल सा हो गया है। यह बात सच है, कि सोने से पहले के आखिरी मिनट तक ज्यादातर लोग फोन में रील्स को स्क्रोल कर रहे होते हैं। 

एक बार के लिए इसको भी ठीक माना जा सकता है, पर स्थिति जब बिगड़ जाती है, जब यह देखा जाता है की मोबाइल फोन की यह लत लोगों पर इस कदर हावी हो गई है, की कुछ लोग टॉयलेट में भी फ़ोन चलाने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। आम तौर पर यह आदत आपकी सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। आपकी यह आदत सिर्फ हाइजीन की नज़र से ही गलत नहीं है, बलकि यह आपकी मेंटल हेल्थ और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी काफ़ी ज्यादा नुक्सानदायक हो सकती है। 

अगर आप भी टॉयलेट में फोन लेकर जाते हैं, तो जरा सोचिये की यह वाकई आपके लिए बहुत जरूरी है, या फिर आपको इसकी लत लग चुकी है? बता दें कि कई लोगों का मानना है, कि टॉयलेट में फोन के बिना वक्त को काटना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है, इसलिए वह टॉयलेट में सोशल मीडिया, ईमेल या फिर गेम्स को खेल कर अपने वक्त को बिताते हैं। पर छोटी सी लगने वाली यह बात आपके दिमाग को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। असल में टॉयलेट इस्तेमाल करते वक्त अपने साथ में मोबाइल का उपयोग करना अपनी सेहत के साथ एक तरिके का खिलवाड़ है। आइये इस लेख के माध्यम से डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी लेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य और दिमाग के लिए टॉयलेट में फोन का उपयोग करना आखिर कैसे नुकसानदायक हो सकता है? 

टॉयलेट में फोन का उपयोग मेंटल हेल्थ और दिमाग के लिए कैसे है नुकसानदायक?

जब आप टॉयलेट में मोबाइल फोन को लेकर जाते है, तो अक्सर आप जरूरत से ज्यादा यहां पर समय बिताने लग जाते हैं, जो कि आपके लिए बिल्कुल भी सही नहीं होता है। दरअसल टॉयलेट में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना कई तरीकों से हमारे दिमाग और हमारी मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि, 

  1. दिमाग का ओवर स्टिम्युलेशन

आमतौर जब आप टॉयलेट में होते हैं, तो उस वक्त आपका शरीर आराम की स्थिति में जाने की कोशिश करता है, पर टॉयलेट में फ़ोन का इस्तेमाल करने से ऐसा नहीं हो पाटा है, क्योंकि इस दौरान फोन से दिमाग को लगातार नई जानकारी मिलती रहती है। इसकी वजह से न्यूरॉन्स जरूरत से ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं, जिसके कारण आपके दिमाग को बिल्कुल भी आराम नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से आपको मेंटल फटीग और एंग्जाइटी जैसी परेशानियां हो सकती हैं। 

  1. दिमाग के फोकस करने की क्षमता कमजोर होती है 

दरअसल टॉयलेट में लगातार फोन लेजाने और फोन पर स्क्रॉल करने की आदत से दिमाग के फोकस करने की क्षमता पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। जैसे किसी काम को बार -बार अधूरा छोड़ देना, यह ठीक वैसे ही होता है। आमतौर पर धीरे- धीरे इस आदत का आपके ध्यान और एकाग्रता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से आपकी याददाश्त भी कमजोर होने लग जाती है। इसके साथ ही आपके सोचने की क्षमता भी कम होने लगती है। 

  1. तनाव और चिंता को बढ़ाता है

असल में टॉयलेट में मोबाइल फोन को चलना तनाव और चिंता को बढ़ाने का कारण बनता है, जैसे टॉयलेट में बैठकर सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ स्क्रॉल करते रहना, काम की ईमेल को चेक करना या फिर बैठे बैठे उनको पड़ना यह आपके तनाव के  लेवल को बढ़ाने का काम कर सकता है, जो आपकी सेहत के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं होता है। विशेष रूप से जब आप कोई निगेटिव खबर को पढ़ते हैं या फिर अपने काम से जुड़ी चिंताओं पर ध्यान देते हैं, तो इसकी वजह से आपके मानसिक तनाव को बढ़ावा मिल सकता है।

  1. दिमाग और शरीर के बीच खराब तालमेल 

अगर टॉयलेट में जाकर आपका ध्यान पूरे तरीके से अपने फोन पर ही रहता है, तो फिर टॉयलेट  का उपयोग करते वक्त आपके दिमाग और शरीर के बीच का तालमेल खराब हो सकता है। मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की वजह से आपके पाचन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है और इसके साथ ही आपको पेट में कब्ज जैसी परेशानियां हो सकती हैं। 

मेंटल हेल्थ पर पड़ने वाले अन्य नुकसान

  1. एक अध्यन के अनुसार टॉयलेट में फोन का इस्तेमाल करना से आपकी मेंटल हेल्थ पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हालाँकि जो समय आप टॉयलेट में बैठकर खुद के लिए एक सोच विचार के रुप में दे सकते थे, वह पूरा समय आप मोबाइल फोन में लगकर खराब कर देते हैं। इस वजह से ही इस आदत का प्रभाव आपकी  मेटल हेल्थ पर भी पड़ता है। 
  2. टॉयलेट में लगातार आप का छोटे-छोटे वीडियो या फिर पोस्ट देखना, दरअसल इससे आपका दिमाग बहुत तेजी से डोपामाइन रिलीज करने लग जाता है। जिसकी वजह से आपको धीरे धीरे सिर्फ फोन ही आपकी ख़ुशी का स्रोत लगने लग जाता है। इसके कारण आपको फोन की लत लग जाती है और आपका दिमाग इतना ज्यादा एक्टिव नहीं रह पाता है। 
  3. दरअसल टॉयलेट में मोबाइल फोन उपयोग करने की आदत आमतौर पर आपके दिमाग के पैटर्न को बुरी तरीके से प्रभावित करती है, जिसकी वजह से आपकी नींद की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है। 
  4. टॉयलेट में या फिर कहीं पर भी फोन का बार बार इस्तेमाल करना आपको अपनों से भी दूर कर सकती है। इसके कारण आपको धीरे-धीरे लोगों से या फिर अपनों से बात करने की जगह फोन सबसे ज्यादा जरूरी लगने लग जाता है।

इस आदत से अपना बचाव कैसे करें

टॉयलेट में फोन ले जाने की आदत से अगर आप अपना बचाव करना चाहते हैं, तो इन उपायों को जरूर अपनाएं। 

  1. आप अपने मोबाइल फोन को टॉयलेट में लेकर जाना पूरी तरह बंद करें।
  2. अगर टॉयलेट में आपको समय बिताना बहुत मुश्किल लगता या फिर बोरियत लगती है, तो उस वक्त आप कोई किताब या मैगजीन को पड़ें। 
  3. आमतौर पर टॉयलेट को एक आरामदायक जगह की तरह लें, जहां पर आपका दिमाग भी आराम कर सके। 
  4. टॉयलेट में किसी भी जगह पर मोबाइल फोन पर वक्त बिताने की बजाए आप माइंडफुलनेस प्रैक्टिस करें। इससे आपका दिमाग शांत होगा और किसी काम को करने में आपका मन लगेगा। 
  5. इस दौरान अगर आपको खुद पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है, तो इस दौरान आप स्क्रीन टाइम ट्रैकिंग ऐप्स की मदद ले सकते हैं। 
  6. दरअसल टॉयलेट में फ़ोन चलना आपके लिए एक छोटी सी बात हो सकती है, पर आपकी यह आदत धीरे-धीरे आपके दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर अपना गहरा प्रभाव डाल सकती है। इसलिए यह आपके लिए अच्छा होगा कि आप इस आदत को समय रहते छोड़ दें। 

निष्कर्ष

आज कल फ़ोन सभी लोगों की जरुरत बन चूका है। कोई भी काम फ़ोन के बिना लोगों से होता ही नहीं है, इसलिए फोन से एक पल भी दूर रहना लोगों के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल सा हो गया है। अपने काम के लिए, मनोरंजन के लिए फ़ोन का इस्तेमाल करना यहां तक ही ठीक रहता है, लेकिन लोगों का इसका इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा जैसे टॉयलेट में भी मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना, यह मानसिक सेहत और दिमाग के लिए नुक्सानदायक होता है। इसको फ़ोन की लत लगना भी कहा जा सकता है। टॉयलेट में मोबाइल फोन को चलना तनाव और चिंता का कारण बनता है और इससे, दिमाग की फोकस करने की क्षमता कमजोर होती है और इसके साथ ही दिमाग और शरीर के बीच खराब तालमेल बनता है। इससे अपना बचाव करने के लिए आप टॉयलेट में फोन ले जाना पूरी तरह बंद कर दें, टॉयलेट में समय बिताना बोरियत लगता है, तो आप कोई किताब या मैगजीन को पड़ें और अगर खुद पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है, तो इस दौरान आप स्क्रीन टाइम ट्रैकिंग ऐप्स की मदद ले सकते हैं।  अगर आपको भी टॉयलेट में फ़ोन ले जाने की लत लगी हुई है, तो आप तुरंत इससे अपना बचाव करें और किसी अच्छे डॉक्टर से जाकर इसके बारे में सलाह लें, अगर आप भी इसके बारे में ज्यादा जानकरी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Categories
Hindi Stroke

ब्रेन स्ट्रोक कितने प्रकार के होते है, इसके प्रमुख लक्षण, कारण और कैसे किया जाता है इलाज ?

Loading

ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क से जुड़ा एक गंभीर विकार है, जिसमें मस्तिष्क को पूर्ण रूप रक्त प्राप्त नहीं पाता है, जिसकी वजह से मस्तिष्क के हिस्से में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने लग जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लग जाती है | ब्रेन स्ट्रोक को रोकने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना, नियमित रूप से व्यायाम करना, संतुलित आहार का सेवन करना और शराब और धूम्रपान जैसे नशीली पदार्थों का सेवन करने बचना बेहद महत्पूर्ण होता है | आइये जानते है ब्रेन स्ट्रोक की समस्या को विस्तारपूर्वक से :- 

 

ब्रेन स्ट्रोक क्या होता है ? 

ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क से जुडी एक गंभीर और चिकित्सकीय आपातकालीन स्थिति होती है, जिसमें किसी कारणवश मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह बाधित होने लग जाता है | जिसकी वजह से मस्तिष्क के उस हिस्से ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लग जाती है | ब्रेन स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को विभिन्न शरीरिक और मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ जाता है, जैसे की बोलने में परेशानी होना, सुनने की क्षमता का कम होना, चलने- फिरने में कठिनाई होनी, सोचने की क्षमता को खोना, शरीरिक विकलांगता, यादाशत कमज़ोर होना यहाँ तक की इससे मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है | 

 

इसलिए पीड़ित व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी होता है की ब्रेन स्ट्रोक से जुड़े लक्षणों का पता लगते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं, क्योंकि ब्रेन स्ट्रोक का सटीक उपचार उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है | आइये जानते है ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार, लक्षण और इलाज: जानें सब कुछ

ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षण क्या है ? 

ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है :- 

 

  • बोलने, सुनने और समझने की क्षमता का कमज़ोर होना | 
  • आंखों की दृष्टि से जुड़ी समस्या 
  • चलने-फिरने में परेशानी होना | 
  • असहनीय सिरदर्द होना 
  • भ्रम या फिर चेतना में बदलाव 

 

ब्रेन स्ट्रोक होने के मुख्य कारण क्या है ? 

ब्रेन स्ट्रोक होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित है :- 

 

  • इस्केमिक स्ट्रोक :- यह स्ट्रोक होने के सबसे आम कारण है | जब मस्तिष्क में मौजूद धमनिया किसी कारणवश अवरुद्ध हो जाती है, तो इससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह काफी कम हो जाता है, इस स्थिति को इस्केमिक स्ट्रोक के नाम से भी जाना जाता है | 

 

  • रक्तस्रावी स्ट्रोक :- जब मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं में रिसाव होने या फिर फटने की वजह से रक्त प्रवाह में गड़बड़ी हो जाती है, तो इसे रक्तस्रावी स्ट्रोक कहा जाता है | यह रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के परिणामस्वरूप हो सकता है |       

 

ब्रेन स्ट्रोक होने के कुछ जोखिम कारक

ब्रेन स्ट्रोक होने के कुछ जोखिम कारक ऐसे भी है, जो इस स्थिति को बढ़ावा देने का कार्य करते है, जिनमें शामिल है :- 

  • मोटापा 
  • मधुमेह की समस्या 
  • तनावपूर्ण जीवन होना 
  • शराब का अधिक मात्रा में सेवन करने से 
  • रक्तचाप का उच्च स्तर होना और कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होना 
  • हृदय संबंधी समस्या का होना 
  • बढ़ती उम्र 
  • अनुवांशिक कारणों से 
  • तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करने से आदि |         

 

ब्रेन स्ट्रोक कितने प्रकार के होते है ?          

ब्रेन स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है, पहला है इस्केमिक स्ट्रोक और दूसरा है रक्तस्रावी स्ट्रोक | इसके अलावा ब्रेन स्ट्रोक के कुछ प्रकार इस तरह भी है :- 

 

  • थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक :- जब मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में थक्का जमा होने लग जाता है, तो इस स्थिति को थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक कहा जाता है | 

 

  • एम्बोलिक स्ट्रोक :- जब शरीर के किसी और हिस्से से निर्मित खून के थक्के मस्तिष्क के रक्त वाहिकाओं में जाकर रुक जाते है तो इस स्थिति को एम्बोलिक स्ट्रोक कहा जाता है | 

 

  • ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक :- यह स्थिति अपेक्षाकृत हलके प्रकार का स्ट्रोक होता है, जिससे मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में किसी कारणवश अस्थायी रुकावट होने लग जाती है |   

 

ब्रेन स्ट्रोक से बचाव कैसे करें ? 

ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है, जिसमें पड़ने पर आपातकालीन चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता पड़ जाती है, क्योंकि मरीज़ का जितनी जल्दी उपचार होगा, उतना ही जल्दी वह व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक से रिकवर हो पायेगा | लेकिन कुछ ऐसे उपाय मौजूद है, जिसके अनुसरण से ब्रेन स्ट्रोक से खुद का बचाव किया जा सकता है :- 

 

  • प्रतिदिन स्वस्थ आहार का सेवन करें 
  • नियमित रूप से योगासन और व्यायाम का अभ्यास करें 
  • धूम्रपान का सेवन करना बंद कर दें 
  • शराब के सेवन कम करें 
  • अपने मधुमेह की समस्या में प्रबंधन करें 
  • नियमित रूप से मोटापे को कम करें 
  • तनाव में प्रबंधन करें 
  • रोज़ाना 7 से 8 घंटे की नींद पूरी करें          
  • अपने स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच करवाते रहे

 

ब्रेन स्ट्रोक का कैसे किया जाता है इलाज ? 

ब्रेन स्ट्रोक का इलाज इस प्रकार पर निर्भर करता है, क्योंकि कई तरीकों से ब्रेन स्ट्रोक का इलाज किया जाता है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • रक्तस्रावी स्ट्रोक के इलाज के लिए, दवाओं से मस्तिष्क के रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के बनाये जाते है | इसके अलावा मस्तिष्क में जमा रक्त को निकालने के लिए या फिर दबाव को कम करने के लिए सर्जरी को करने की आवश्यकता भी पड़ जाती है | 

 

  • इस्केमिक स्ट्रोक के इलाज के लिए, रक्त के थक्के को घोलने वाले दवाओं का उपयोग किया जाता है | इसके अलावा एंडोवस्कुलर थ्रोम्बेक्टोमी नामक प्रक्रिया का उपयोग करके थक्के को हटाया जाता है | 

 

  • मस्तिष्क में उत्पन्न सूजन को कम करने के लिए एंटीहाइपरटेंसिव दवाओं और और IV तरल पदार्थ का उपयोग किया जाता है | 

 

  • धमनीशिरापरक विकृति यानी एवीएम को हटाने के लिए या फिर सिकोड़ने के लिए सर्जरी या विकीकरण प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है |

 

  • सूजन को कम करने और खोपड़ी के अस्थायी हिस्से को हटाने के लिए क्रोनियोटॉमी सर्जरी को करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है |      

 

ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इससे जुड़े लक्षणों का सही समय पर पहचान करना और इलाज करवाना एक पीड़ित व्यक्ति के लिए बेहद ज़रूरी होता है | एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने और नियमितरूप से डॉक्टर से जांच-पड़ताल करवाने से ब्रेन स्ट्रोक से बचाव किया जा सकता है | यदि आप या फिर आपका कोई भी परिजन ब्रेन स्ट्रोक से जुड़े लक्षणों से गुजर रहा है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर अमित मित्तल से परामर्श कर सकते है | 

डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट और पंजाब के बेहतरीन ब्रेन एंड स्पाइन सर्जन स्पेशलिस्ट में से एक है, जो पिछले 15 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर की ऑफिसियल पर जाएं और परामर्श के लिए तुरंत अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके आप वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

Categories
brain health Brain Injury Hindi Neurologist

एक सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट से मिले इलाज के बाद माता-पिता ने दी अपनी यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी

Loading

न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह दिखाया गया की कैसे इलाज के बाद मिले परिणाम से मरीज़ के माता-पिता बेहद खुश है और इलाज करने के लिए वह न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमित मित्तल का शुक्रगुज़ार कर रहे है | 

इस वीडियो में उन माता-पिता ने अपने बच्चे को हुए परेशानी के बारे में बताते हुए यह कहा कि कुछ समय पहले एक दुर्घटना होने के कारण उनके बच्चे के दिमाग में फ्रैक्चर आ गया था, जिसकी  वजह से उनके बच्चे के पूरे सिर में सूजन आ गयी थी | हालांकि उन्होंने समय रहते अपने बच्चे इलाज तो करवा लिया था, लेकिन इलाज के बाद कुछ समय बाद उनके बच्चे को दौरे की समस्या होने लग गयी थी, जो अब हर दिन उनके बच्चे को काफी प्रभावित कर रही थी | अनेकों जगह इलाज और परीक्षण करवाने के बाद उन्हें कहीं से न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर के बारे पता चला और समय को व्यर्थ न करते हुए वह अपने बच्चे को लेकर इस संस्थान में इलाज के लिए पहुंच गए | 

 

इस संस्थान में उनकी मुलाकात डॉक्टर अमित मित्तल से हुई जो की न्यूरोसर्जन में स्पेशलिस्ट है, जिन्होंने उनके बच्चे की स्थिति की पूरी जाँच पड़ताल कर उन्हें दुराप्लास्टी सर्जरी करवाने की सलाह दी | हलाकि सर्जरी सुन कर पहले तो वह काफी डर गए थे लेकिन डॉक्टर अमित मित्तल ने उन माता-पिता को यह अस्वाशन दिया की सर्जरी के बाद उनका बच्चा संपूर्ण से ठीक हो सकता है | इसलिए उन्होंने डॉक्टर पर भरोसा कर सर्जरी करवाने का निर्णय लिया | उनके बच्चे की सर्जरी सफलतापूर्वक से हुई और उनके बच्चे को इस सर्जरी से किसी भी तरह के दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ा | आज उनका बच्चा बिलकुल ठीक है और सर्जरी से मिले परिणाम से वह दोनों माता-पिता बेहद खुश है | उनकी सलाह यही है की यदि कोई भी व्यक्ति दिमाग या फिर रीढ़ की हड्डी से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से गुज़र रहा है तो वह अपने इलाज न्यूरो ब्रेन लाइफ एंड स्पाइन सेंटर के डॉक्टर अमित मित्तल से ही करवाए |

Categories
Hindi

एक पिता ने बताया कैसे डॉक्टर अमित मित्तल ने बचाई उनके बेटे की जान ?

Loading

न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से एक मरीज़ के पिता ने यह बताया की एक दुर्घटना में उनके बेटे का मोटरसाइकिल के साथ बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया था, जिस वजह से उनके बेटे के सिर में काफी गंभीर चोट आ गयी थी | इस दुर्घटना में उनके बेटे का बहुत ज़्यादा स्कल फ्रैक्चर भी हुआ था और अंदर ही अंदर खून भी काफी जमने लग गया था | आपाकलीन स्थिति होने के कारण वह अपने बेटे का इलाज करवाने के न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर में लेकर गए थे | 

उनके बेटे की स्थिति काफी गंभीर होने के कारण डॉक्टर अमित मित्तल ने तुरंत ही उनके बेटे के ऑपरेशन को करने का निर्णय लिया | इस ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर मित्तल ने उनके बेटे के अंदर जमा हो रहे खून को सारा का सारा ही निकाल दिया था | उनके बेटे का ऑपरेशन पूरी तरह से सफलतापूर्वक हुआ | ऑपरेशन के बाद उनके बेटे को पूरे एक हफ्ते के लिए आईसीयू में रखा गया, जहां उनके बेटे की बहुत अच्छे से देखभाल किया गया | ऑपरेशन के बाद रिकवरी में इस हॉस्पिटल के पूरे स्टाफ मेंबर ने उनके बेटे की काफी मदद की है | आज उनका बेटा बिकुल ठीक हो गया है और अब उनके बेटे को किसी भी तरह की समस्या नहीं है | इसलिए वह अब इलाज के लिए डॉक्टर अमित मित्तल और रिकवरी में समर्थन करने के लिए इस हॉस्पिटल में मौजूद पूरे स्टाफ मेंबर का शुक्रिया करना चाहते है | 

यदि कोई भी व्यक्ति दिमाग या फिर रीढ़ की हड्डी से जुडी किसी भी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है और सटीक रूप से इलाज करवाना चाहता है तो इसमें न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरोसर्जरी में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले कई वर्षों से दिमाग और रीढ़ की हड्डी से जुडी समस्याओं से पीड़ित व्यक्तिओं का सटीक रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | 

Categories
Hindi Neurologist

सेंट्रल वर्टिगो क्या है – जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके ?

Loading

सेंट्रल वर्टिगो एक ऐसी स्थिति है, जिसमें चक्कर आना और घूमने या हिलने-डुलने का गलत एहसास होना शामिल है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के भीतर एक समस्या से उत्पन्न होती है। परिधीय चक्कर के विपरीत, जो आमतौर पर आंतरिक कान के मुद्दों से जुड़ा होता है, केंद्रीय चक्कर में अक्सर अधिक गंभीर अंतर्निहित कारण शामिल होते है। तो इस ब्लॉग में, हम सेंट्रल वर्टिगो के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के तरीकों का पता लगाएंगे, इसलिए इसके बारे में जानने के लिए लेख के साथ अंत तक बने रहें ;

सेंट्रल वर्टिगो के कारण क्या है ?

  • सेंट्रल वर्टिगो विभिन्न मस्तिष्क विकारों, जैसे ट्यूमर, मल्टीपल स्केलेरोसिस या स्ट्रोक के कारण उत्पन्न हो सकता है। ये स्थितियाँ मस्तिष्क की संतुलन और स्थानिक जानकारी को संसाधित करने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे चक्कर आता है।
  • माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों को एक प्रकार का केंद्रीय चक्कर का अनुभव होता है जिसे वेस्टिबुलर माइग्रेन के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति बार-बार चक्कर आने से चिह्नित होती है और अक्सर गंभीर सिरदर्द के साथ होती है।
  • कुछ दवाएं, विशेष रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली दवाएं, साइड इफेक्ट के रूप में केंद्रीय चक्कर का कारण बन सकती है। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ ऐसे किसी भी दुष्प्रभाव पर चर्चा करना आवश्यक है।

अगर चक्कर आने जैसी समस्या का सामना आपको भी करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट के संपर्क में आना चाहिए।

सेंट्रल वर्टिगो क्या है ?

  • वर्टिगो चक्कर आने की अनुभूति है या ऐसा महसूस होना कि प्रभावित व्यक्ति के आसपास का वातावरण घूम रहा है। यह प्रभावित व्यक्ति के संतुलन को बिगाड़ सकता है और किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है और नहीं भी। वर्टिगो आमतौर पर स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर जैसी किसी अंतर्निहित स्थिति का संकेत होता है।
  • अगर स्ट्रोक का खतरा आपको काफी गंभीर समस्या में डाल रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए। 

सेंट्रल वर्टिगो के लक्षण क्या है ?

चक्कर आना : 

सेंट्रल वर्टिगो आमतौर पर चक्कर आने या चक्कर आने की गहरी अनुभूति के रूप में प्रकट होता है, जो लगातार या रुक-रुक कर हो सकता है।

मतली और उल्टी : 

सेंट्रल वर्टिगो वाले व्यक्तियों को अक्सर मतली का अनुभव होता है और उनके चक्कर की गंभीरता के कारण उल्टी भी हो सकती है।

संतुलन की हानि : 

अस्थिरता की भावना और संतुलन बनाए रखने में कठिनाई आम है। इससे गिरने और दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

चलने में कठिनाई : 

चलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि केंद्रीय चक्कर समन्वय और चाल को बाधित कर सकता है।

दृश्य गड़बड़ी : 

सेंट्रल वर्टिगो से पीड़ित कुछ लोग दृश्य गड़बड़ी की शिकायत करते है, जैसे धुंधली दृष्टि या तेजी से आंख हिलाना।

सिरदर्द : 

यदि सेंट्रल वर्टिगो माइग्रेन से जुड़ा है, तो गंभीर सिरदर्द एक प्रमुख लक्षण हो सकता है।

सेंट्रल वर्टिगो के रोकथाम के तरीके क्या है ?

  • यदि आपके पास एक अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है जो केंद्रीय चक्कर में योगदान कर सकती है, जैसे उच्च रक्तचाप या मधुमेह, तो इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना आवश्यक है। आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ नियमित जांच से आपके समग्र स्वास्थ्य की निगरानी करने में मदद मिल सकती है।
  • यदि आप ऐसी दवाएं ले रहे है, जो चक्कर का कारण बन सकती है, तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें। वे आपकी दवा को समायोजित करने या दुष्प्रभावों को कम करने के लिए वैकल्पिक विकल्पों की सिफारिश करने में सक्षम हो सकते है।
  • निर्जलीकरण से चक्कर आना और वर्टिगो बढ़ सकता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उचित जलयोजन बनाए रखने के लिए पूरे दिन पर्याप्त पानी पियें।
  • एक स्वस्थ, संतुलित आहार माइग्रेन जैसी स्थितियों को रोकने और समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद कर सकते है। कैफीन और कुछ परिरक्षकों जैसे ट्रिगर खाद्य पदार्थों और योजकों को सीमित करना फायदेमंद हो सकता है।
  • तनाव केंद्रीय चक्कर को बढ़ा सकता है, खासकर अगर यह माइग्रेन से जुड़ा हो। ध्यान, योग या गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होने से समग्र संतुलन में सुधार करने और गिरने के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। ऐसे व्यायाम चुनना आवश्यक है जो आपके फिटनेस स्तर और स्वास्थ्य स्थिति के लिए सही हों।
  • यदि आपने सेंट्रल वर्टिगो के एपिसोड का अनुभव किया है, तो घर पर गिरने से रोकने के लिए सावधानी बरतें। ट्रिपिंग के खतरों को दूर करें, रेलिंग लगाएं और अपने बाथरूम में नॉन-स्लिप मैट का उपयोग करें।
  • कुछ मामलों में, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा की सलाह देते है। यह विशेष कार्यक्रम मस्तिष्क को समस्याओं को संतुलित करने और चक्कर के लक्षणों को कम करने के लिए प्रशिक्षित करने में मदद करता है।

ध्यान रखें !

अगर आप चक्कर आने या सिर घूमने जैसी समस्या का सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो लाइफ ब्रेन एन्ड स्पाइन सेंटर का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

सेंट्रल वर्टिगो एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। इसके कारणों को समझना, इसके लक्षणों को पहचानना और निवारक उपायों का पालन करने से सेंट्रल वर्टिगो की गंभीरता को प्रबंधित करने और कम करने में मदद मिल सकती है। यदि आपको संदेह है कि आपको सेंट्रल वर्टिगो है, तो आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप उचित निदान और उपचार योजना के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। याद रखें, शुरुआती हस्तक्षेप और जीवनशैली में बदलाव आपकी सेहत में काफी अंतर ला सकते है।

Categories
Hindi Neurologist

इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी क्या है और क्या इससे हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक की समस्या का इलाज ?

Loading

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में यह बताया कि ब्रेन स्ट्रोक ऐसी समस्या है, जिससे आपातकालीन स्थिति में मेडिकल केयर की ज़रुरत पड़ती है, क्योंकि इस स्ट्रोक से पीड़ित मरीज़ के दिमाग की कोशिकाएं मर जाती है | लेकिन एक स्ट्रोक पीड़ित व्यक्ति को कैसे प्रभावित करता है, यह पूर्री तरह से इस बात पर निर्भर करता है की स्ट्रोक के अटैक ने व्यक्ति के मस्तिष्क पर कहाँ और कितना नुक्सान किया है | 

 

अगर बात करें की क्या ब्रेन स्ट्रोक का इलाज किया जा सकता है तो इसका जवाब हां है | आजकल हर हॉस्पिटल और संस्थान में ऐसे नयी तकनीकों ने प्रक्षेपण किया है जिसके उपयोग से ब्रेन स्ट्रोक की समस्या का इलाज भी आसानी से किया जा सकता है | इन उपचारों में एक है इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी |  इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी यानी आईआर एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें मस्तिष्क के चिंता हिस्सों में नियमित रूप से निर्दिष्ट करने के लिए छोटे कैथेटर ट्यूब और तारों और इसके साथ ही छोटे सुईओं का उपयोग कर सर्जरी की जाती है | इस प्रक्रिया को पिनहोल प्रक्रिया भी कहा जाता है जो ओपन सर्जरी और लैप्रोस्कोपी सर्जरी के मुकाबले एक बेहतर विकल्प होता है | 

 

यदि बात करें जटिलताओं की तो ओपन सर्जरी के मुकाबले आईआर सर्जरी से होने वाले जोखिम कारक बहुत कम होता है | इससे हुए सर्जरी के बाद मरीज़ को हॉस्पिटल में ज्यादा दिन नहीं बिताने पड़ते है और वह जल्द ही ठीक होने के बाद अपने रोज़मर्रा जीवनशैली पर वापिस भी जा सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | 

 

यदि आपका का कोई परिजन ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्या से पीड़ित है और आप उसका इलाज करवाना चाहते है तो इसलिए लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ब्रेन और स्पाइन सर्जन में स्पेशलिट्स है, जो इंटरवेशनल न्यूरोराडियोलॉजी का उपयोग कर ब्रेन स्ट्रोक जैसे समस्या को कम करने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पाए दिए नंबरों से आप इस संस्थान से सीधा संपर्क कर सकते है |

Categories
Hindi Trigeminal Neuralgia

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया क्या होती है और इसके मुख्य लक्षण कौन से है ?

Loading

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया की ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया एक ऐसी समस्या है जिसमे जब कोई रक्त की नली किसी नस के बहुत ही पास आ जाती है तो हार्ट पल्सेशन से उस नली पर कई सालों तक दबाव और धक्का पड़ता रहता है , जिससे ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित मरीज़ को चेहरे पर काफी तीव्र दर्द होने लग जाता है | 

 

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया 95 प्रतिशत तक के पीड़ित मरीज़ों में रक्त की धमनी या फिर नस के दबने से उत्पन्न होता है और बाकि के बचे 5 प्रतिशत पीड़ित मरीज़ को घांट या फिर ट्यूमर की वजह से होता है | कई मामलों में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से होने वाला दर्द इतना तीव्र हो जाता है कि इससे पीड़ित मरीज़ के मन में सुसाइड करने का ख्याल भी आने लग जाते है | आइये जानते है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के मुख्य लक्षण कौन-से है:- 

 

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के मुख्य लक्षण 

 

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित मरीज़ को दाएं और बाएं चहरे पर काफी तेज़ झटके का अनुभव हो सकता है | यदि मरीज़ के चेहरे की किसी एक हिस्से पर दर्द होता है तो उस हिस्से के तीन जगह पर तीव्र दर्द होगा | जिनमे शामिल है :- 

 

  • आँखों की ऊपरी हिस्से में दर्द होना 
  • आँखों के निचे या फिर मुँह के ऊपर वाले जबड़े में दर्द होना 
  • चेहरे के निचे के जबड़े से लेकर गाल तक दर्द होना 
  • चेहरे में दर्द शॉक की तरह महसूस होना और पूरे दिन इस दर्द से गुज़ाना

 

यदि आप ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की बीमारी से गुजर रहे है तो बेहतर है की आप डॉक्टर के पास जाएं और अच्छे से इलाज करवाएं, क्योंकि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का सही समय पर इलाज करना बेहद ज़रूरी होता है, अगर सही समाय इलाज न करवाया गया तो यह आगे जाकर बाहत बड़ी बीमारी और गणबहिर बीमारी का कारण बन सकती है | 

 

डॉक्टर अमित मित्तल ने भी कहा की ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया इलाज में न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर आपकी संपूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है | इसलिए आज ही लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक वेबसाइट में जाएं और और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | 

 

अधिक जानकारी के लिए आप लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है, यहाँ आपको इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मिल जाएगी |   

Categories
Hindi

रीढ़ की हड्डी का क्षय रोग क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण कौन-से है?

Loading

पॉट्स रोग को रीढ़ का हड्डी का क्षय रोग भी कहा जाता है, जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी काफी प्रभावित हो जाती है | यह संक्रमण फेफड़ो से रक्तप्रवाह द्वारा आपके रीढ़ की हड्डी तक फैलता है | इसकी वजह से आपकी कशेरुकाओं में नकारात्मक प्रभाव डालने के साथ-साथ एक टेडी रीढ़ की हड्ड़ी बनने का कारण भी बन जाती है | लेकिन घबराएं नहीं इसका उपचार दवाओं और सर्जरी द्वारा किया जा सकता है | 

न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉ अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में  यह बताया की रीढ़ की हड्डी का क्षय रोग एक किस्म का जीवाणु संक्रमण होता है, जो रीढ़ की हड्डियां पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालते है | यह एक तरह का ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी.) है जो विशेष रूप से एक्सट्रापल्मोनरी टीबी होता है | यह पॉट्स रोग आपके शरीर के फेफड़ो से शुरू होकर रीढ़ की हड्डी तक पहुंच जाती है | 

जिसकी वजह से आपको पीठ में काफी लम्बे समय तक दर्द या फिर हाथ-पैरों की मांसपेशियों में कमज़ोरी होने का अनुभव हो सकता है | जिसकी वजह से आपके रीढ़ की हड्डी टेडी भी हो सकती है और साथ ही कशेरुक क्षतिग्रस्त होने का खतरा भी जाता है | कई मामले ऐसे भी होते है जिसमे पॉट्स रोग घातक भी साबित हो सकते है | पॉट्स रोग की समस्या टीबी होने का सबसे आम माना जाता है | एक शोध के अनुसार पूरे विश्व में कम से कम 40 प्रतिशत लोग इस समस्या से जूझ रहे है |  

पॉट्स रोग होने के मुख्य लक्षण क्या है?   

  • पीठ में तीव्र दर्द होना और अकड़न की समस्या 
  • हाथ-पैरों में कमज़ोरी और सुन्न होने का अनुभव करना 
  • गर्दन में दर्द होना 
  • भूख न लगना
  • वजन का घटते रहना 
  • बुखार आना  

पॉट्स रोग से कौन से हड्डियां प्रभावित हो जाती है ? 

पॉट्स रोग आपके रीढ़ की हड्डी का कोई भी हिस्सा या फिर कशुरूका को प्रभावित कर सकती है | आइये जानते है इसके सबसे ज्यादा लक्षण निमरनलिखित क्षेत्र में पाए जाते है :- 

  • ग्रीवा रीढ़ की हड्डी 
  • मध्य भाग या वक्षीय की रीढ़ की हड्डी में 
  • रीढ़ की हड्डी का निचला भाग या फिर लम्बर स्पाइन 

पॉट्स रोग होने के मुख्य कारण क्या है ? 

रीढ़ की हड्डी में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु होता है, जो पॉट्स रोग होने का कारण बनती है | टीबी से संक्रमित व्यक्ति टीबी पैदा करने वाली बैक्टीरिया को बूंदों में अपने सांसो के ज़रिये अंदर लेने से भी पॉट्स रोग हो सकता है, क्योंकि यह संक्रमण आपके फेफड़ों से शुरू होता है और रक्तप्रवाह द्वारा आपके रीढ़ की हड्डियों तक पहुंचता है | 

यदि सही समय पर इस समस्या का उपचार न किया गया तो यह पॉट्स रोग आपके रीढ़ की हड्डी का काफी क्षतिग्रस्त कर सकते है | इसलिए लक्षणों का अनुभव होते ही डॉक्टर के पास जाये और इलाज करवाए | इससे जुडी जानकारी के लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन & स्पाइन सेंटर से परामर्श कर सकते है | यहाँ से सीनियर कंसलटेंट डॉ अमित मित्तल ब्रेन और स्पाइन सर्जन में एक्सपर्ट है इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |

Categories
health Hindi

स्ट्रोक के मुख्य लक्षण कौन-से है? जानिए F.A.S.T के मदद से कैसे पता करे स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण

Loading

एक व्यक्ति के मस्तिष्क को सही तरह से काम करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और धमनियां के माध्यम से व्यक्ति के मस्तिष्क में ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाती है | स्ट्रोक की समस्या तब उजागर होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है या फिर रक्त की वाहिका फट जाती है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आपके मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में सही मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होता तो इससे मस्तिष्क पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालता है जिस कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या फिर मर जाती है |  

 

न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट यूट्यूब शॉर्ट्स के द्वारा से यह बताया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्ट्रोक के होने मुख्य लक्षण और संकेत एक जैसे ही होते है, जो कि निम्नलिखित है :- 

  • आपके चेहरे या हाथ या फिर पैर एक तरफ से कमज़ोर या सुन्नता हो जाना 
  • भ्रम का होना, बोलने में परेशानी होना और किसी बात को समझने में दिक्कतों का सामना करना 
  • दोनों आँखों से देखने में परेशानी का होना 
  • चलने में परेशानी होना, बार-बार चक्कर आना 
  • शरीर को संतुलन या समन्वय की कमी होना 
  • बिना किसी वजह से सिर में तीव्र दर्द होना 
  • कुछ समय के लिए बेहोश हो जाना 
  • किसी स्पष्ट कारण के बिना गिर जाना   
  • स्ट्रेंथ की कमी होना 

 

स्ट्रोक के लक्षणों में F.A.S.T है कैसे फायदेमंद ?

डॉक्टर अमित मित्तल ने बताया की F.A.S.T का उपयोग लोगों को यह याद दिलाने के लिए किया जाता है कि, इस दौरान स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान कैसे करे और क्या करना चाहिए | FAST  का अर्थ है :- 

  1. F : चेहरा का झुकना – यह देखे कि वह व्यक्ति का चेहरा मुस्कुराने के दौरान लटक तो नहीं रहा | 
  2. A : बांह में कमजोरी का आना – यह सुनिश्चित करे व्यक्ति को दोनों उठाने पर कोई ढीला या फिर कमज़ोर तो नहीं हो   गया | 
  3. S : बोलने में परेशानी – यह देखे कि व्यक्ति को सरल वाक्य बोलने के समय अस्पष्ट या फिर अजीब लगने वाले शब्द तो नहीं बोल रहा | 
  4. T : आपातकालीन सेवाओं को संपर्क करें – स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति का हर समय महतवपूर्ण होता है, इसलिए बेहतर यही है की आपातकालीन सेवाओं को संपर्क करे | 

 

यदि आपको या फिर आपके किसी साथी को स्ट्रोक के किसी भी तरह लक्षण दिखाई दे रहे है तो समय बिलकुल भी न   गवाएं और जल्द-जल्द नज़दीकी आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करे | इससे जुडी कोई भी जानकारी लेना चाहते हो तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है, यहाँ के डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरोसर्ज़न में एक्सपर्ट है, जो आपको इस समस्या को कम करे में आपकी मदद कर सकते है |

Categories
brain health Hindi

यह 5 फ़ूड करते है दिमाग की नसों को कमज़ोर, जाने एक्सपर्ट्स से दिमाग को कैसे रखे हेअल्थी

Loading

हमारा दिमाग शरीर के बाकी अंगों में से एक जटिल अंग होता है, जो शरीर के हर अंग के कार्य को नियंत्रित करता है | दिमाग के स्वास्थ्य का हमेशा ख्याल रखना चाहिए इसके लिए सही खानपान बेहद ज़रूरी होता है | लेकिन कुछ खाद पदार्थ ऐसे भी होते है जिसके सेवन से दिमाग की नसों को कमज़ोर हो जाती है | आइये जानते है 5 ऐसे ही फूस के बारे में :- 

 

  1. प्रक्रिया भोजन :- प्रक्रिया भोजन यानी प्रोसेस्ड फ़ूड में उच्च स्तर में सोडियम, चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा का प्रयोग किया जाता है, जिसके सेवन से दिमाग की नसों को काफी नुस्कान पहुँचता है और याददाश्त तक कमज़ोर हो जाती है | 

 

  1. ट्रांस फैट भोजन :- यह भोजन आमतौर पर प्रोसेस्ड फ़ूड में पाया जाता है |  जिसके सेवन से दिमाग की नसों में सूजन आ जाती है और डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ जाता है | 

 

  1. चीनी का अधिक सेवन करना :- चीनी के अत्यधिक सेवन से दिमाग को अधिक सक्रिय कर देती है | क्योंकि ग्लूकोस दिमाग के लिए ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत होता है, लेकिन इसमें पायी जाने वाली चीनी पदार्थ दिमाग को ओवरड्राइव मोड में डाल सकती है | 

 

  1. शराब का अधिक सेवन करना :- शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करने से दिमाग की नसों पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालते है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक होने और मनोभ्रंश विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है | 

 

  1. कैफीन का अधिक सेवन करना :- कैफीन में उत्तेजित जैसे पदार्थ पाए जाते है, जिसके अधिक सेवन से दिमाग में चिंता और अवसादों के लक्षण को ख़राब कर देते है और रक्तस्राव का स्तर भी बढ़ जाता है | 

 

इन खाद पदार्थ के अलावा अन्य कारक ऐसे भी होते है, जो दिमाग की नसों को कमज़ोर कर देते है, जैसे की धूम्रपान करना, तनाव में रहना और प्रदुषण | इसलिए यह ज़रूरी है की आप इन खाद पदार्थो का सेवन कम करे और बेहतर जीवनशैली के लिए अच्छे खानपान को अपनाये | इससे जुडी कोई भी जानकारी या अपने विचारों का विमर्श करना चाहते है तो आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर का चयन कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमिता मित्तल न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट्स है, जो आपकी समस्या को कम करने में आपकी सहायता करेंगे |