स्पाइनल टीबी: डॉक्टर से जाने रीढ़ की हड्डी में होने वाली टीबी के लक्षण और उपचार के तरीके

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स्पाइनल टीबी: डॉक्टर से जाने रीढ़ की हड्डी में होने वाली टीबी के लक्षण और उपचार के तरीके

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स्पाइनल टीबी, आमतौर पर जिसको पोट्स डिजीज या फिर ट्यूबरक्यूलस स्पॉन्डिलाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें, कि स्पाइनल टीबी की समस्या एक दुर्लभ और एक गंभीर समस्या है, जो आमतौर पर इस समस्या से पीड़ित लोगों के लिए लगातार, रीढ़की हड्डी में चुबने वाले दर्द के साथ उठना, जो असल में वयक्ति की हर हरकत के साथ और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है, ये समस्या विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है, जो कि एक व्यक्ति को परेशान कर देने वाली हो सकती है। आपको बता दें, कि स्पाइनल टीबी, आमतौर पर आपके लक्षणों के साथ पेश होता है, जो हल्की बेहरामी के रूप में शुरू होता है। आम तौर पर, इस समस्या के लक्षण दिखाई देने के तुंरत बाद ही आपको एक माहिर डॉक्टर से परामर्श और साथ ही इसके इलाक़ के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी समस्या का समय पर इलाज हो सकता है। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं, कि स्पाइनल टीबी वास्तव में क्या है और यह हमें किस वजह से परेशान करता है और साथ ही इसके इलाज के तरीके क्या हैं?

स्पाइनल टीबी क्या है?

दरअसल हम सभी स्पाइनल टीबी को एक इन्फेक्शन के रूप में जानते हैं, जो विशेष रूप से रीढ़ को प्रभावित करता है। आपको बता दें की यह समस्या मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया की वजह से पैदा होती है, जिससे व्यक्ति की रीढ़की हड्डी पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है और साथ ही इस समस्या की वजह से हड्डियों को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचता है। आपको बता दें कि ऐसा आपको बहुत ही कम मामलों में देखने को मिल सकता है, पर कई बार पल्मोनरी टीबी की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। 

अगर इस गंभीर स्थिति का समय पर इलाज न किया जाये तो, स्पाइनल टीबी आमतौर पर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे कि रीढ़ की हड्डी के आकार में समस्या, नर्वस सिस्टम में समस्या और यहां तक की यह समस्या रीढ़ की हड्डी या नसों के संपीड़न की वजह से अर्धांगघात (शरीर के आधे हिस्से में लकवा मरना) जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है। 

स्पाइनल टीबी में, आमतौर पर बैक्टीरिया रक्त प्रवाह के माध्यम से, फेफड़ों या शरीर के अन्य भागों के जरिये रीढ़ की हड्डी में फैलता है। यह संक्रमण विशेष रूप से रीढ़ की छाती, कमर के भाग को और साथ ही रीढ़ के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। यह गंभीर स्थिति आमतौर पर रीढ़ की हड्डियों को धीरे-धीरे विनाश की ओर लेकर जाती है, जिस के कारण एक मरीज को गंभीर पीठ दर्द, अकड़न और साथ ही किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। स्थाई नुकसान को रोकने और साथ ही इस समस्या के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए प्रारंभिक निदान और उपचार महत्वपूर्ण हैं।

स्पाइनल टीबी के कारण

स्पाइनल टीबी, आमतौर पर कई कारणों से एक व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक एक बैक्टीरिया की वजह से होता है। आपको बता दें, कि इस समस्या की शुरुआत वास्तव में, फेफड़ों से होती है, शरीर के अन्य अंगों में, यह रक्त प्रवाह या लिम्फ प्रणाली के माध्यम से फैल सकती है। आम तौर पर स्पाइनल टीबी होने के कुछ अन्य प्रमुख कारण हैं, जैसे कि, 

  1. कमजोर इम्यून सिस्टम: एचआईवी/एड्स,डायबिटीज़ और इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का काफी लंबे वक्त से इस्तेमाल हमारे शरीर और इम्यून सिस्टम को काफी ज्यादा कमजोर बना सकता है, और इस बात को आपको समझना पड़ेगा। 
  2. पिछला टीबी संक्रमण: अगर पहले कभी आपको टीबी की समस्या हुई है, या फिर इस समस्या की कोई मेडिकल हिस्ट्री रही है, तो आपको दोबारा से स्पाइनल टीबी की समस्या होने का ख़तरा काफी ज्यादा हो सकता है। 
  3. कुपोषण: अगर आपके आहार में किसी भी प्रकार की कोई भी कमी या फिर कोई समस्या है, तो आपको स्पाइनल टीबी जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। 
  4. संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आना: अगर कोई व्यक्ति टीबी या फिर स्पाइनल टीबी जैसी किसी गंभीर समस्या से पीड़ित है, और आप काफी लंबे वक्त से उस व्यक्ति के संपर्क में है, आप भी इस गंभीर समस्या की चपेट में आ सकते हैं। 

स्पाइनल टीबी के लक्षण

आमतौर पर स्पाइनल टीबी की समस्या में कुछ शुरुआती लक्षण पैदा हो सकते हैं, जैसे कि इस समस्या की शुरुआत में हल्की बेचैनी या असहजता हो सकती है और समय के साथ यह एक गंभीर दर्द का रूप ले सकते हैं और कभी-कभी अर्धांगघात (शरीर के आधे हिस्से में लकवा) जैसी समस्या पैदा हो सकती है,  इसके लक्षणों की पहचान कर तुरंत इलाज करने से आपको जल्दी आराम मिल सकता है। इस स्थिति में निम्न लक्षण पैदा हो सकते हैं: 

  1. कमर दर्द: रोजाना कमर में दर्द होना, आमतौर पर यह स्पाइनल टीबी का एक प्रमुख लक्षण है, दरअसल जो वक्त के साथ शरीर के बाकी अंगों में भी फैल सकता है। 
  2. बुखार: एक व्यक्ति को हल्का बुखार होना कोई खतरे वाली बात नहीं होती है, और साथ ही यह किसी खास समस्या की तरफ संकेत नहीं करता है, पर अगर यह किसी दूसरे लक्षणों के साथ हो, तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए, और जितना जल्दी हो सके, आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 
  3. वजन कम होना: अगर आपका वजन अचानक से और बिना किसी कारण के घट गया है, तो ये टीबी की समस्या का एक प्रमुख कारण हो सकता है। 
  4. थकान: अगर आपको अपने शरीर में काफी ज्यादा कमजोरी और रोजाना थकान महसूस होती है और साथ में दूसरे लक्षण भी पैदा हो रहे हैं, तो आपको इस तरह की स्थित में तुरंत अपने डॉक्टर से मुलाक़ात करनी चाहिए और इसके इलाज के विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए।  
  5. मांसपेशी में कमजोरी: आपको बता दें, कि स्पाइनल टीबी की वजह से शरीर के नर्वस सिस्टम पर काफी ज्यादा गहरा असर पड़ता है, जिसकी वजह से ज़्यादातर लोगों की मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या शुरू हो जाती है। 
  6. बिगाड़: स्पाइनल टीबी जैसी समस्या की स्थिति काफी ज्यादा गंभीर होने की वजह से, मरीज की रीढ़ की हड्डी का आकार बदलने लग जाता है। 
  7. तंत्रिका लक्षण: आपको बता दें, कि इस मामले में, मरीज की रीढ़ की हड्डी पर काफी ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसके कारण संवेदनहीनता या फिर मूत्राशय और आंतों की समस्याएं पैदा होने लग जाती हैं, जो कि इस समस्या के विशेष लक्षण होते हैं। पर यह लक्षण आम तौर पर, आपको इसके गंभीर मामलों में ही देखने को मिल सकते हैं। 

स्पाइनल टीबी का निदान कैसे किया जाता है?

बता दें कि, स्पाइनल टीबी की जांच के दौरान, विशेषज्ञ सबसे पहले मरीज से उसकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में प्रश्न करता है। इस के बाद मरीज का शारीरिक परीक्षण, इमेजिंग टेस्ट और बैक्टीरिया टेस्ट किया जाता है, हालांकि इसके विशेषज्ञों द्वारा मरीज को इलाज के लिए निम्न लिखित टेस्ट करवाने की सलाह प्रदान की जाती है:

  1. आमतौर पर, शारीरिक जांच से, यह पता किया जाता है, कि मरीज के दर्द कहां हो रहा है।
  2. आपको बता दें, कि एक्स-रे से रीढ़ की हड्डी में होने वाले नुकसान की पहचान की जाती है। 
  3. दरअसल, रीढ़ की हड्डी को होने वाले नुकसान को अच्छे तरीके से समझने के लिए, एमआरआई या फिर सीटी स्कैन किया जाता है। 
  4. बैक्टीरियल टेस्ट की मदद से टीबी के बैक्टीरिया के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। इस तरह की जांच के लिए बायोप्सी की जा सकती है। ब्लड टेस्ट की मदद से संक्रमण का निदान आसानी से हो सकता है।

स्पाइनल टीबी की संभावित जटिलताएं

अगर स्पाइनल टीबी जैसी गंभीर समस्या का उपचार तुरंत और प्रभावी तरीके से न किया जाये, तो यह कई गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है, आमतौर पर इन जटिलताओं में शामिल हैं, जैसे कि: 

  1. इस दौरान एक मरीज की रीढ़ की हड्डी के आकार में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जैसे कि रीढ़ की हड्डी का एक तरफ झुकाव होना, इसके ज्यादातर मामलों में लोग खुद ही झुक कर चलने लग जाते हैं, जिसको आमतौर पर काइफोसिस के नाम से जाना जाता है। 
  2. आमतौर पर हमारे नर्वस सिस्टम पर, इस समस्या की वजह से काफी ज्यादा गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण संवेदनहीनता और बाथरूम जैसी समस्या होने लग जाती है। 
  3. दरअसल इस तरह की समस्या में बैक्टीरिया संक्रमण का कारण बनता है, आम तौर पर अगर इसका उपचार वक्त पर न किया जाये, तो रीढ़ के आसपास घाव या फिर फोड़े बन सकते हैं।
  4. इसके गंभीर मामलों में, आम तौर पर संक्रमण रक्त प्रवाह में फैल सकता है, जिसकी वजह से सेप्सिस की परेशानी पैदा हो सकती है, जो कि आपके लिए काफी ज्यादा घातक साबित हो सकती है। 

स्पाइनल टीबी का इलाज कैसे किया जाता है?

आमतौर पर रीढ़ की हड्डी में होने वाली टीबी के इलाज में दरअसल लक्षणों को कंट्रोल करने और जटिलताओं को रोकने के लिए एंटी-टीबी दवाओं और इसके कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। दरअसल इलाज के लिए विशेष रूप से, निम्नलिखित विकल्पों का इस्तेमाल किया जाता है:

  1. दवाएँ (एंटी-टीबी दवाएं): इस दौरान सबसे पहले एंटी-ट्यूबरकुलोसिस दवाओं को आमतौर पर स्पाइनल टीबी के इलाज के रूप में दिया जाता है। आपको बता दें, कि इन दवाओं का एक कोर्स होता है, जिस को आमतौर पर पूरा करना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। रिफैम्पिसिन, आइसोनियाजिड, पिराजीनामइड, और एथमबुटोल इस समस्या के दौरान मुख्य रूप से, इन चार दवाओं को दिया जाता है। आमतौर पर डॉक्टर इन दवाओं को 6 से 12 महीने तक के लिए लिख कर देते हैं। 
  2. सर्जिकल उपचार: आपको बता दें कि, अगर आपकी रीढ़ हड्डी पर स्पाइन संक्रमण की वजह से गंभीर दबाव पड़ता है, तो आमतौर पर इसकी वजह से हड्डी में समस्या पैदा हो सकती है, और उस दौरान आपको सर्जरी की काफी ज्यादा जरूरत पड़ सकती है। दरअसल इस तरह की स्थिति में, निम्न लिखित विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है:
  3. स्पाइनल डिब्रेडमेंट: आमतौर पर इस तरह की स्थिति से संक्रमित ऊतक या फिर फोड़े को सर्जरी की सहायता से निकाला जा सकता है। 
  4. स्पाइनल फ्यूजन: बता दें, कि इस तरह की स्थिति में, मेटल के इम्प्लांट्स से हड्डियों को जोड़ा जाता है, ताकि रीढ़ की हड्डी को स्थिर रखा जा सके। 
  5. वर्टेब्रल बॉडी रीकंस्ट्रक्शन: इस तरह के मामले में, आमतौर पर प्रभावित हड्डियों को रिपेयर और रिप्लेस किया जाता है।
  6. कीमोथेरेपी: दरअसल सही वक्त पर, इस स्थिति के बारे में पता लग जाने के बाद, कीमोथेरेपी और दवा का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे समस्या का इलाज आसानी से होता है। आपको बता दें, कि विशेष रूप से टीबी के इलाज के लिए एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी (एटीटी) का इस्तेमाल किया जाता है। 
  7. दर्द का प्रबंधन: आमतौर पर, इलाज के दौरान, सर्जन नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), ओपिओइड या फिर लोकल एनेस्थेटिक का इस्तेमाल करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज को कम से कम दर्द और परेशानी हो।
  8. रिकवरी: आपको बता दें, कि डॉक्टर समय-समय पर आपकी निगरानी रखते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवा और इलाज अपना ठीक से काम कर रहे हैं, या फिर नहीं और साथ ही स्पाइनल टीबी की समस्या को जल्द से जल्द रोका जा सके।

गर्भवती महिलाओं की स्पाइनल टीबी सर्जरी – न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर की विशेषज्ञता

आपको बता दें, कि एक 27 साल की गर्भवती महिला लुधियाना, पंजाब में स्थित, न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर में, अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा के, हमारे पास आई, असल में उसको अपनी कमर के निचले हिस्से में लगातार सुन्नता और दर्द की शिकायत थी, आमतौर उसको स्पाइनल टीबी की समस्या की वजह से मल त्याग को कंट्रोल करने और अपनी आम गतिविधिओं को कंट्रोल करने में काफी ज्यादा परेशानिओं का सामना करना पड़ रहा था। MRI टेस्ट के दौरान टीबी का पता चला, जिसमें पांचवीं और छठवीं डोर्सल वर्टेब्रा का प्रभावित होना और रीढ़ की हड्डी पर दबाव का संकेत शामिल था। 

न्यूरो सर्जरी की, माहिर टीम ने डॉ. अमित मित्तल की अगुवाई में, आमतौर पर एक जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और साथ ही सर्जरी के बाद मरीज के शरीर में कई सकारात्मक बदलावों को देखा गया। बता दें की सर्जरी के बाद उसके मूत्राशय, मल त्याग और पैरों की गतिशीलता में भी काफी ज्यादा सुधार देखा गया।

ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल 

क्या स्पाइनल टीबी की समस्या को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है?  

हाँ, स्पाइनल टीबी की समस्या को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, अगर सही वक्त पर इस स्थिति का पता चल जाए या फिर सही वक्त पर इस समस्या का इलाज हो जाये, तो आपको स्पाइनल टीबी जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा मिल सकता है, हालांकि आपको बता दें, कि इस समस्या के गंभीर मामलों में तंत्रिका को नुकसान हो सकता है, और साथ ही इसके इलाज में काफी समय लग सकता है। 

क्या स्पाइनल टीबी संक्रामक है?

नहीं, मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया जो स्पाइनल टीबी का कारण बनते हैं, दरअसल वह हवा में फेल सकते हैं, जो विशेष रूप से, पल्मोनरी टीबी के साथ देखा जाता है, पर स्पाइनल टीबी खुद संक्रामक नहीं है।

स्पाइनल टीबी और पल्मोनरी टीबी में क्या अंतर है?

आमतौर पर स्पाइनल टीबी का रीढ़ पर असर पड़ता है, जबकि पल्मोनरी टीबी विशेष रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। बता दें कि यह दोनों मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की वजह से पैदा होते हैं, पर शरीर में इनका प्रभाव काफी अलग अलग होता है। 

स्पाइनल टीबी के मरीज को क्या नहीं करना चाहिए?

आपको बता दें कि स्पाइनल टीबी के मरीजों को, आमतौर पर, जो रीढ़ पर काफी दबाव को डाले, जैसे ज्यादा भारी सामान को उठाना और भरी गतिविधियों को करने से अपना बचाव करना चाहिए। इसके अलावा, आपको उन व्यक्तियों से बचना चाहिए जिस में सक्रिय टीबी होता है। 

क्या स्पाइनल टीबी का दोबारा से होना संभव है?

हाँ, ऐसा हो सकता है, अगर इलाज योजना का सही तरीके से पालन न किया जाये, या फिर इस समस्या का संक्रमण मरीज में पूरी तरह से खत्म न हो, तो इस तरह की समस्या दोबारा से पैदा हो सकती है। 

स्पाइनल टीबी हड्डियों को कमजोर क्यों बनता है?

बता दें कि स्पाइनल टीबी आम तौर पर रीढ़ की हड्डियों को संक्रमित करने की शक्ति रखता है, जिसकी वजह से हड्डियां काफी ज्यादा कमजोर और ढ़हने का कारण बन सकती हैं, जिसकी वजह से विकृति और तंत्रिका संपीड़न भी संभव है।

निष्कर्ष: स्पाइनल टीबी को एक इन्फेक्शन के रूप में जाना जाता है। स्पाइनल टीबी की समस्या एक दुर्लभ और एक गंभीर समस्या है, जो विशेष रूप से रीढ़ को प्रभावित करती है। यह समस्या मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया की वजह से पैदा होती है, जो पीड़ित लोगों के लिए लगातार, रीढ़ की हड्डी में चुबने वाले दर्द के साथ उठना, जो वयक्ति की हर हरकत के साथ और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है। स्पाइनल टीबी, आमतौर पर आपके लक्षणों के साथ पेश होता है, जो हल्की बेहरामी के रूप में शुरू होता है। बहुत ही कम मामलों में देखने को मिल सकता है, पर कई बार पल्मोनरी टीबी की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। कमजोर इम्यून सिस्टम, पिछला टीबी संक्रमण और कुपोषण आदि इस समस्या के कारण हो सकते हैं। इस दौरान कमर दर्द, बुखार, वजन कम होना, थकान और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं, इसके साथ ही अगर इस गंभीर स्थिति का समय पर इलाज न किया जाये तो, यह गंभीर जटिलताओं को पैदा कर सकती है, जैसे कि रीढ़ की हड्डी के आकार में समस्या, नर्वस सिस्टम में समस्या और यहां तक की यह समस्या रीढ़ की हड्डी या नसों के संपीड़न की वजह से अर्धांगघात (शरीर के आधे हिस्से में लकवा मरना) जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है। इस समस्या के लक्षण दिखाई देने के तुंरत बाद ही आपको एक माहिर डॉक्टर से परामर्श और साथ ही इसके इलाक़ के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी समस्या का समय पर इलाज हो सकता और आपको जल्द ही इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। अगर आपको भी स्पाइनल टीबी जैसी कोई गंभीर समस्या है, या फिर आपको इसके लक्षण नज़र आ रहे हैं और आप इस समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं और आप इस समस्या का तुरंत इलाज करवाना चाहते हैं, और इसके इलाक़ के बारे में जाकारी लेना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकरी प्राप्त कर सकते हैं।

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स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस क्या होती है और इसका शीघ्र निदान करना क्यों महत्वपूर्ण होता है ?

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न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर के न्यूरोसर्जरी में स्पेशलिस्ट और  सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित मित्तल ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया कि स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस एक किस्म की गंभीर चिकित्सा स्थिति होती है, जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी की तांत्रिक चाप को प्रभावित कर देती है | इस स्थित पर ध्यान देना बेहद आवशयक होता है | इसके लक्षण दिखते ही तुरंत विशेषज्ञ के पास जाकर इलाज कराएं, अगर सही पर इलाज न करवाया गया तो यह गंभीर जटिलताओं पर तब्दील हो सकती है | 

 

स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस मेडिकल टर्म में एक ऐसी स्थिति होती है, जो माइकोबैक्टेरियम टीबी के कारण होने वाले टीबी का एक एक्स्ट्रा-पल्मोनरी रूप माना जाता है | आमतौर यह समय तब उत्पन्न होती है जब केंद्रीय फोकस से संक्रमित हेमेटोजेनस के कारण टीबी बन जाती है, जो व्यक्ति के फेफड़ों या फिर किसी भी ने स्थान पर हो सकता है | दूसरे शब्दों में बात करे तो स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस एक ऐसी गंभीर बीमारी होती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति पूरी ज़िन्दगी के लिए विकलांग हो सकता है या फिर अन्य गंभीर बीमारी का कारन बन सकता है | इससे जुडी कुछ युक्तियाँ होती जिसका अनुसरण करना बेहद आवश्यक होता है, ताकि स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस से व्यक्ति केशरीर पर पड़ रहे प्रभाव को कम किया जा सके | आइये जानते है इसके मुख्य लक्षण कौन से है :- 

 

  • इससे पीड़ित व्यक्ति की पीठ में  अकड़न के साथ-साथ तीव्र दर्द होने लग जाता है  | 
  • पूरे शरीर में दर्द होने लग जाता है और शरीर के कई हिस्सों पर सुन्नता जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है | 

 

यदि आप भी ऐसे ही ऊपर बताई गयी स्थिति से गुजर रहे है तो बिल्कुल भी देरी न करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, ताकि समय रहते स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस जैसी समस्या से विशेषज्ञ की मदद से कम किया जा सके |  

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर आपको वीडियो मिल जाएगी | यदि आप अपना इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए भी आप न्यूरो लाइफ ब्रेन एंड स्पाइन सेंटर से संपर्क कर सकते है |  इस संस्था के डॉक्टर अमित मित्तल न्यूरो सर्जरी में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |

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Spinal Tuberculosis

  • Spinal tuberculosis which is also known as Pott’s disease. It is a spinal infection that tuberculosis causes and can lead to osteomyelitis, spinal mechanical instability, and kyphotic deformity.
  • Good knock to diagnose this condition with the help of CT-guided biopsy sent for acid-fast bacilli.
  • The treatment-related to this is usually bracing and antituberculosis antibiotics in the absence of neurological defects or some mechanical instability.
  • In the presence of neurological deficits, Progressive kyphosis, and mechanical instability, the doctor manages the surgical treatment.

With the help of a neurologist in Ludhiana, you could manage such health conditions without any difficulty.

Epidemiology

  • Incidence
    • There has been an increase in the incidence of tuberculosis because of the increasing immunocompromised population demographics.
    • We can see it in the HIV-positive population and especially in those patients with CD4 + counts of 50 to 200.
  • Anatomic location
    • Almost 15% of patients with tuberculosis will have extrapulmonary involvement in the spine. You can specifically sit in the thoracic spine, which is the most common extrapulmonary site.
    • Almost 5% of all tuberculosis patients have spine involvement.

The best neurologist will manage to control spinal tuberculosis.

Etiology

  • Pathoanatomy
    • Early infection
      • It begins in the metaphysics of the vertebral body.
      • It spreads under the anterior longitudinal ligament and leads to contagious multilevel involvement.
      • Non-contagious segments or skip lesions(15%)
      • Paraspinal abscesses formation (50%).
      • Generally, the anterior can be pretty massive, which is much more common in tuber classes than pyogenic infection.
      • In the beginning, it does not involve the Disc space That distinguishes it from pyogenic osteomyelitis, but the doctor can miss diagnose it as a neoplastic lesion.
    • Chronic infection
      • Severe kyphosis
        • It means deformity in non-operative cases is around 15°. In 5% of patients, the deformity is less than 60°.
        • higher rate of progression of kyphosis when there is an involvement of the vertebral body and posterior elements.
      • dr often diagnose the infection late as there is frequently much more severe chi poses in granulomatous spinal infection then pyogenic infection.
      • In adults
        • Kyphosis stay static after healing of disease
      • In children
        • kyphosis the props in 40% of cases because of growth spurt.
      • Classification of progression
        • Type 2, Reduction in progression with growth.
        • Type 3, there are minimal changes during either active or healed phases.

Symptoms

  • Onset of signs of tuberculosis spondylitis are generally more insidious as compared to pyogenic infection. Some of the symptoms include:
    • Constitutional symptoms
    • chronic illness
    • Night sweats
    • Malaise
    • weight loss
    • back pain
      • There is often a lack of symptoms that only occurs after major destruction and deformity.

Physical exams

  • Kyphotic deformity
  • Neurological deficit which is present in 10 to 47 percent of patients with spinal tuberculosis.
    • Mechanism
      • abscess, Granulation tissue, Caseous tissue, Tubercular debris causes mechanical pressure.
      • Subluxation or dislocation of paraplegia Causes mechanical instability from Healed diseases can occur with severe deformity.
    • Stenosis from ossification of ligamentum flavum adjacent to severe kyphosis.

 Treatment

  • Laminectomy
    • Indication
      • Extradural extraosseous granuloma subdural granuloma
      • decompression and myelotomy indications.
      • intramedullary granuloma